Table of Contents
बाल मजदूरी या बाल श्रम पर निबंध | Child Labour Essay
सामग्री (Content)
• प्रस्तावना
• बाल मजदूरी या बाल श्रम का अर्थ (Child Labour Definition)
• बाल मजदूरी या बाल श्रम का कारण (Child labour causes)
• भारत में बाल मजदूरी रोकने के लिए सरकार द्वारा बनाए गए कानून (Child Labour Act)
• निष्कर्ष
प्रस्तावना
हमारा भारत देश जिस प्रकार प्रगति की राह पर अग्रसर है वह अत्यंत गौरव की बात है । आज कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जिसमें भारत देश ने अपना परचम ना लहराया हो। किंतु हमारे देश में आज भी ऐसी जटिल समस्याएं हैं जो समय के साथ अत्यंत भयावह होती जा रही है। इन समस्याओं में एक समस्या है बाल मजदूरी या बाल श्रम की। बाल मजदूरी या बाल श्रम की समस्या समय के साथ-साथ इतनी साधारण हो चुकी है कि इसका समाधान निकालना तो दूर बल्कि हमने इसको समस्या समझना ही बंद कर दिया है। हर दुकान, हर गली, हर मोहल्ले में आपको कोई ना कोई बालक काम करता हुआ ज़रूर मिलेगा। इसके लिए सरकार ने कानून तो बनाया है लेकिन उसे कोई गंभीरता से नहीं लेता है। बाल मजदूरी के कारण बालक अशिक्षित रह जाते हैं जिस वजह से उनको रोजगार प्राप्त नहीं होता। इसी कारण वह चोरी, डकैती आदि जैसे अपराध में शामिल हो जाते हैं। अब समय आ गया है कि हम सभी देशवासियों को एकजुट होकर बाल मजदूरी जैसी समस्या को जड़ से निकाल कर फेंकना होगा। और इस समस्या की चपेट में आए सभी बच्चों को शिक्षा का उपहार एवं उज्जवल भविष्य देना होगा।
बाल मजदूरी या बाल श्रम का अर्थ (Child labour meaning |Child Labour Definition | what is child labour)
बाल मजदूरी का अर्थ है जब किसी भी बच्चे को उसके बाल्यकाल में मजदूरी या काम करने के लिए विवश किया जायें। घरों में गरीबी और बेरोज़गारी होने के कारण इन बच्चों से उनका शिक्षा का अधिकार छीन कर उनको बाहर निकल कर छोटी सी रकम के बदले काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। बाल मजदूरी या बाल श्रम पूर्ण रूप से हमारे देश में गैरकानूनी है जाये। भारत का संविधान 1950 का 24वा अनुच्छेद कहता है कि- कोई भी बालक जिसकी उम्र 14 वर्ष से कम है वह यदि मजदूरी ,कारखाने, होटलों, घरेलू नौकर या ढाबों में काम करता है तो वह बाल मजदूरी के अंतर्गत आता है। बाल मजदूर की समस्या से ना केवल भारत देश बल्कि कई अन्य बड़े राज्य जैसे- ब्राजील, मेक्सिको, अफ्रीका आदि देश भी जूझ रहे हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार देश भर में 152 मिलियन बच्चे बाल मजदूरी का शिकार है जिसमे 7.3 प्रतिशत बाल मजदूरी की समस्या भारत में है। 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत में 10.1 मिलियन बच्चे मजदूरी कर रहे थे। भारत एक कृषि प्रधान देश है जिस कारण सबसे अधिक बाल मजदूरी की समस्या कृषि क्षेत्र में ही पाई जाती है।
बाल मजदूरी या बाल श्रम के कारण (Child labour causes)
बाल मजदूरी या बाल श्रम का सबसे बड़ा कारण है गरीबी। गाँव मे बड़ा परिवार और अशिक्षा होने के कारण घर के छोटे बच्चों को बाहर निकल कर घर का बोझ अपने कंधों पर उठाना पड़ता है। गांवों में बच्चें छोटी उम्र से ही खेतों में काम करना शुरू कर देते हैं या फिर शहरों में आकर दुकानों या ढाबों पर काम करके अपने घर का खर्च उठाते हैं। बाल मजदूरी ना केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी बच्चों को प्रताड़ित करती है।
बाल मजदूरी का दूसरा कारण निरक्षरता भी है। पिछड़े गांव के लोग आज भी शिक्षा के महत्व को नहीं पहचानते है जिस कारण वह अपने आने वाली पीढ़ियों को भी शिक्षा से वंचित रखते हैं। ऐसे कस्बों या गांव में आज भी स्कूल की सुविधा उपलब्ध नहीं है। यदि वहां स्कूल है अभी तो उनकी स्थिति इतनी खराब होती है कि वहां शिक्षा प्राप्त करना या ना करना एक समान है। जिस कारण माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजने की जगह खेतों में काम कराना या मजदूरी करवाना उचित समझते हैं।
भारत में बाल मजदूरी रोकने के लिए सरकार द्वारा बनाए गए कानून (child labour act in India)
भले ही बाल मजदूरी की समस्या को अभी तक जड़ से उखाड़ के नहीं फेंका जा सका किंतु सरकार इस को कम करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। सरकार ने इसे कम करने के लिए बहुत सारे कानून बनाए हैं(child labour act) –
जिनमें साल 1948 मैं कारखाना अधिनियम का निर्माण हुआ था जिसमें 14 साल से कम आयु (child labour in India age) वाले बच्चों को कारखानों में काम करने पर रोक लगाई गई थी।
वर्ष 1986 मैं बाल श्रम अधिनियम का निर्माण हुआ था जिसमें 14 साल या उससे कम उम्र के बच्चों को जोखिम भरे कामों में काम करने पर रोक लगाई गई थी।
2015 में बच्चों के संरक्षण के लिए किशोर न्याय अधिनियम लागू किया गया था।
वर्ष 2007 में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की स्थापना की गई थी।
वर्ष 2009 में बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार प्रदान किया गया था।
इन तमाम कानूनों के लागू होने के बाद भी हमारा देश बाल मजदूरी की समस्या से जूझ रहा है। बाल मजदूरी की समस्या को समाप्त करने के लिए न केवल हमारी सरकार बल्कि हर एक नागरिक को जिम्मेदार होना चाहिए। हमें बाल मजदूरी करने और करवाने वालों का विरोध करना होगा। बाल मजदूरी ना केवल बच्चों को प्रताड़ित करता है बल्कि उनमें बहुत सी बीमारियों को भी जन्म देता है। बड़े व्यवसाई छोटी सी रकम के बदले बच्चों से घंटों मजदूरी करवाते हैं या स्पष्ट कहे तो गुलामी करवाते हैं।
Child Labour Day
12 June
निष्कर्ष (conclusion)
हमारी सरकार कितने भी प्रकार के कानून लागू कर दे लेकिन वास्तव में सच्चाई यह है कि जब तक हमारे देश का हर नागरिक आगे आकर इस अभिशाप को बढ़ने से रोकने के लिए नहीं कदम उठाएगा तब तक बाल मजदूरी जैसे समस्या से मुक्ति पाना संभव नहीं है। हमें बाल मजदूरी करवाने वालों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने का प्रयास करना होगा। बाल और बाल मजदूरी के जाल में फसें बच्चों के माता-पिता को शिक्षा का महत्व समझाना होगा। हमें प्रयास करना होगा कि देश के उज्जवल भविष्य के लिए शिक्षा का अधिकार हर बच्चे को प्राप्त हो।