भारतीय संविधान पर निबंध

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भारतीय संविधान पर निबंध | Essay on Constitution of India in Hindi

संविधान का अर्थ-

संविधान या Constitution एक प्रकार का नियम और कानूनों का दस्तावेज है जिसके अंतर्गत किसी भी देश की सरकार कार्य करती है। किसी भी देश का संविधान उस देश के आदर्श उद्देश और मूल्यों को दर्शाता है। संविधान शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है सम और विधान

सम का अर्थ होता है बराबर या समान और विधान का अर्थ होता है नियम या कानून, अर्थात संविधान वह होता है जिसे जो हर नागरिक और व्यक्ति के लिए समान होता है।

संविधान दो प्रकार के होते हैं- लिखित और आलिखित

लिखित संविधान वह होता है जिसका आधे से ज्यादा भाग लिखित रूप में हो। लिखित संविधान किसी भी देश का सर्वोच्च सम्मान कानून होता है।

अलिखित संविधान वह होता है जो लिखित रूप में न हो और जिसका केवल कुछ भाग ही लिखित हो। ऐसा संविधान निरंतर आवश्यकता के अनुसार बदलता रहता है।

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के द्वारा बनाया गया भारत का संविधान भारत का सबसे सर्वोच्च कानून है। यह संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित कानून है। संविधान के अंतर्गत दिए गए नियम व कानून बड़े से बड़े और छोटे से छोटे व्यक्ति के लिए एक समान हैं।

कोई भी कार्य जो संविधान के बाहर जाकर किया जाए वह गैरकानूनी होता है। संविधान का निर्माण हर व्यक्ति को एक समान न्याय, समान अधिकार दिलाना व देश को सुचारू रूप से चलाने के लिए किया गया था।

15 अगस्त 1947 को भारत को ब्रिटिश राज्य के चंगुल से आजादी हासिल हुई थी।

आजादी के बाद संविधान सभा की घोषणा हुई थी जिसका कार्य 9 दिसंबर 1947 से शुरू हो गया था।

इस संविधान को बनने में लगभग 2 वर्ष 11 महीने से अधिक लगे। भारतीय संविधान 26 नवंबर 1949 को जाकर स्वीकृत हुआ और 26 जनवरी 1950 को भारत में पूरी तरह लागू किया गया।

26 नवंबर यानी जब हमारा संविधान स्वीकृत हुआ, वह दिन संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है और 26 जनवरी जब हमारा संविधान पूरे देश में लागू हुआ, वह दिन गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।

भारत संविधान के गठन की शुरुआत

ब्रिटिशर्स ने वर्ष 1946 में भारत को जब आजाद करने का सोचा तो उन्होंने भारत में संविधान के निर्माण के लिए एक कैबिनेट टीम भेजी। इस कैबिनेट मिशन को भारत के और ब्रिटिश सरकार के अलग-अलग प्रतिनिधियों से मिलना था और उनसे भारतीय संविधान को तैयार करने के लिए संविधान सभा के गठन के बारे में चर्चा करनी थी।

कैबिनेट मिशन प्लान के तहत संविधान सभा का गठन हुआ। इस सभा में कुल संख्या 389 निश्चित की गई थी, जिनमें 292 ब्रिटिश प्रांतों के प्रतिनिधि के लिए, 4 चीफ कमिश्नर क्षेत्र के प्रतिनिधि के लिए और 93 देसी रियासतों के प्रतिनिधि के लिए रखी गई थी।

9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक हुई थी। जवाहरलाल नेहरु जी ने 13 दिसंबर 1946 को संविधान सभा में उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया और संविधान के निर्माण का कार्य शुरू हुआ। यह प्रस्ताव संविधान सभा के द्वारा 22 जनवरी 1947 को उत्तीर्ण हुआ।

संविधान के निर्माण के लिए बहुत सारी समितियों का निर्माण हुआ था जिसमें सबसे प्रमुख प्रारूप समिति (Drafting committee) थी, जिसके अध्यक्ष डॉक्टर बी आर अंबेडकर थे। इस समिति में कुल 7 सदस्य थे जिनमें-

अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर, एन गोपाल स्वामी आयंगर, अल्लादी कृष्णस्वामी आयार, डॉक्टर के एम मुंशी, सैयद मोहम्मद सादुल्लाह, एन माधवराव और टीटी कृष्णमाचारी और बी एन राव को संवैधानिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था।

प्रारूप समिति का गठन 29 अगस्त 1947 को हुआ था 9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की जब पहली बैठक हुई थी तब जिसमें मुस्लिम लीग ने हिस्सा नहीं लिया था। संविधान सभा की लगभग 165 दिनों की बैठक हुई।

संविधान सभा की आखिरी बैठक 24 जनवरी 1950 को पूरी हुई, और 2 वर्ष 11 महीने तथा 18 दिन के बाद संविधान बनके तैयार हुआ। संविधान सभा के 284 सदस्यों ने भारतीय संविधान पर हस्ताक्षर किए जिनमें 15 महिलाएं भी थी।

इसी दिन डॉ राजेंद्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति के रूप में चुना गया। 26 जनवरी 1950 को यह भारत में पूरी तरह लागू हो गया और भारत को गणतंत्र देश घोषित किया गया।

भारत के संविधान के निर्माण में जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, आचार्य कृपलानी, डॉक्टर बी आर अंबेडकर, मौलाना अब्दुल कलाम और सरदार वल्लभभाई पटेल आदि मुख्य चेहरे थे।

जिस समय भारत के संविधान का निर्माण हुआ था उस समय इसमें 395 अनुच्छेद 12 अनुसूचियां वक्त 22 भाग में विभाजित था जो आज के समय में बढ़कर 465 अनुच्छेद 12 अनुसूचियां और 22 भागों में विभाजित है।

भारतीय संविधान की प्रस्तावना- जवाहरलाल नेहरु के द्वारा बनाए गए भारतीय संविधान की प्रस्तावना उद्देश्य प्रस्ताव पर आधारित है। जिसे संविधान विशेषज्ञ नानी पालकिवाला ने संविधान का परिचय पत्र कहा था।

भारतीय संविधान की प्रस्तावना (Constitution of India preamble)

(Preamble of Indian Constitution)

हम भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक, गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को:

न्याय, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक,

विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास धर्म और उपासना की स्वतंत्रता,

प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा, उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए,

दृढ संकल्प कर होकर अपनी इस संविधान में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 0 को एतद द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।

भारतीय संविधान की प्रस्तावना हम भारत के लोग से शुरू होती है जिसका संबोधन भारत के हर नागरिक से है यानी संविधान की ताकत भारत की जनता से है। यह प्रस्तावना भारत के लोगों के लक्ष्यों को प्रस्तुत करती है। संविधान की प्रस्तावना ऑस्ट्रेलिया के संविधान से प्रेरित है और विश्व में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।

भारतीय संविधान की मूल प्रतिमा प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिखी थी, यह हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में हस्तलिखित है। यह टाइपिंग या प्रिंट के द्वारा नहीं बल्कि पेन से लिखी गई थी रायजादा जी ने नंबर 303 के 254 पेन होल्डर का इस्तेमाल करके अत्यंत सुंदर शब्दों में संविधान को लिखा था।

इसे लिखने में उन्हें 6 महीने लगे थे। संविधान को लिखने के लिए उन्होंने कोई शुल्क नहीं लिया था। उनकी बस यह शर्त थी कि संविधान के हर पृष्ठ पर उनका नाम हो और अंतिम पेज पर उनका और उनके दादा जी का भी नाम लिखा है।

संविधान के हर पृष्ठ को आचार्य नंदलाल बोस ने चित्रों से सजाया था और संविधान के प्रस्तावना पृष्ठ को राम मनोहर सिन्हा ने सजाया था।

भारतीय संविधान की मूल प्रति भारतीय संसद की लाइब्रेरी में हिलियम गैस से भरे केस में रखी हुई है।

मूल संविधान में दिए गए छह मौलिक अधिकार

पहले संविधान में 7 मौलिक अधिकार दिए गए थे परंतु 44वें संशोधन के बाद संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार की सूची से हटा कर, अनुच्छेद 300a के अंतर्गत कानूनी अधिकार में डाल दिया गया।

जो 6 मूल अधिकार भारत के नागरिकों को प्रदान किए गए हैं वह है-

समानता का अधिकार- अनुच्छेद 14 से 18

स्वतंत्रता का अधिकार- अनुच्छेद 19 से 22

शोषण के विरुद्ध अधिकार- अनुच्छेद 23 से 24

धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार- अनुच्छेद 25 से 28

संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार- अनुच्छेद 29 से 30

तथा संवैधानिक अधिकार- अनुच्छेद 32 हैं।

इन मौलिक अधिकारों में आवश्यकता अनुसार संशोधन करे जाने की सुविधा है।

भारत संविधान के बारे में कुछ रोचक तथ्य

•भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा और लंबा हस्तलिखित संविधान है।

•भारत के संविधान को बनाने में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का सबसे बड़ा योगदान है इसलिए उन्हें संविधान का निर्माता या पिता भी कहा जाता है।

•भारत के संविधान को श्री श्याम बिहारी रायजादा ने पेन से लिखा था और हर पृष्ठ को शांति निकेतन ने सजाया था।

•भारत भारतीय संविधान को बनने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन लगे थे।

•भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को बनकर तैयार हो गया था जिसे संविधान दिवस कहा जाता है।

•संविधान 26 जनवरी 1950 को भारत में लागू हुआ था क्योंकि इस दिन पूर्ण स्वराज दिवस की वर्षगांठ थी।

•भारत के संविधान में कुल 395 अनुच्छेद 8 अनुसूची और 22 भाग है।

•भारत के संविधान का पहला संशोधन 1951 में हुआ था।

•भारत का संविधान बहुत से अन्य देशों से प्रेरित है जैसे अमेरिका, फ्रांस, कनाडा, आयरलैंड आदि।

•भारत में संविधान लागू होने से पहले ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाए गए एक्ट 1935 माना जाता था।

•संविधान की हिंदी व अंग्रेजी दोनों मूल प्रतिमा संसद भवन की लाइब्रेरी में हिलियम से भरे केस में रखी हुई है।

•भारतीय संविधान को बनाने में लगभग 6.3 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।

•संविधान के निर्माण की पहली सभा 9 दिसंबर 1946 को हुई थी। जिसके अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद जी थे और कमेटी के चेयरमैन डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी।

उधारी का थैला-

भारतीय संविधान को उधारी का थैला भी कहा जाता है क्योंकि यह बहुत से अन्य देशों के संविधान से प्रेरित हुआ है। जैसे-व्यापार और कॉमर्स प्रार्थना ऑस्ट्रेलिया के संविधान से प्रेरित है।

पंचवर्षीय योजना सोवियत संघ से ली गई थी।

जापान के संविधान से भारत जिस कानून के तहत सुप्रीम कोर्ट काम करता है वह लिया गया था।

लिबर्टी, क्वालिटी, इनफर्टिलिटी शब्द फ्रांस के संविधान से प्रेरित है।

भारतीय संविधान की प्रस्तावना अमेरिकी संविधान की प्रस्तावना से प्रेरित है।

Author:

आयशा जाफ़री, प्रयागराज