Special & Inclusive Education Difference

Special Education & Inclusive Education difference in Hindi
विशिष्ट शिक्षा और समावेशी शिक्षा के मध्य अंतर | Special Education and Inclusive Education difference in Hindi

विशिष्ट शिक्षा और समावेशी शिक्षा के मध्य अंतर | Difference between Special Education and Inclusive Education in Hindi


विशिष्ट शिक्षा क्या है? (What is Special Education in Hindi?)

विशिष्ट शिक्षा, विशिष्ट बच्चों को दी जाती है। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर विशिष्ट बच्चे कौन होते हैं? वैसे तो प्रत्येक बच्चा अपने आप में विशेष होता है लेकिन जब विशिष्ट बच्चा शब्द का इस्तेमाल किया जाता है तब यह स्पष्ट हो जाता है कि इसका मतलब एक ऐसे बच्चे से है जो सामान्य बच्चों के समूह से अलग कुछ विशेषताएं रखता हो।

विशिष्ट बच्चा सोचने, समझने, सीखने जैसी अलग-अलग तरह की योग्यताओं में अन्य बालकों से भिन्न हो सकता है। इन्हीं विभिन्न योग्यताओं के आधार पर विशिष्ट बच्चों को कई समूहों में बांटा जाता है जिनमें शारीरिक क्षमता के आधार पर और अपंग, दृष्टिबाधित, श्रवण और वाणी दोष संबंधित बालकों को शामिल किया जाता है। मानसिक अक्षमता में मंदबुद्धि बच्चों को शामिल किया जाता है। इसी तरह के कई समूह और उप समूहों में इन बच्चों को बांटा जाता है। इन बच्चों को विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चे भी कहा जाता है।

विशेष होने की वजह से यह बच्चे जीवन के कई मोर्चों पर पिछड़ जाते हैं जिस वजह से इन बच्चों को स्वतंत्र, सक्रिय और योग्य बनाने, समाज का एक अंग बनाने के उद्देश्य से विशेष शिक्षा का प्रावधान किया गया। विशिष्ट शिक्षा, विशिष्ट विद्यालयों में दी जाती है क्योंकि विशिष्ट बच्चों को सामान्य बच्चों की तरह पढ़ने और सीखने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

उनकी जरूरतें मुख्यधारा के विद्यालयों से पूरी नहीं की जा सकती इसीलिए विशिष्ट विद्यालयों की संकल्पना प्रकाश में आई। इन विशिष्ट विद्यालयों में विशिष्ट बच्चों की सभी शैक्षणिक आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती है। इन विद्यालयों में विकलांग बच्चों की शिक्षा से संबंधित सभी संसाधन, विशिष्ट शिक्षा-प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षक और अन्य कर्मचारी होते हैं। इन विद्यालयों में विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों के लिए चिकित्सक, मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सक भी उपलब्ध रहते हैं।

विशिष्ट शिक्षा के उद्देश्य

  • इसका पहला उद्देश्य है विशिष्ट बच्चों में भावी रोजगार के दक्षता तथा क्षमता का विकास करना।
  • दिव्यांग बच्चों की शक्तियों तथा कमजोरियों को पहचानना।
  • दिव्यांग बच्चों के लक्ष्य निर्धारण में मदद करना।
  • मुख्यधारा से अलग हो चुके दिव्यांग बच्चों को वापस मुख्यधारा में जोड़ना।

विशिष्ट शिक्षा की विशेषताएं (Characteristics of Special Education in Hindi)

  1. विशिष्ट शिक्षा, विशिष्ट बच्चों की आवश्यकताओं की पूर्ति को सुनिश्चित करती है।
  2. विशिष्ट शिक्षा प्रत्येक बच्चे की योग्यता, क्षमता और रुचियां को ध्यान में रखकर दी जाती है।
  3. विशिष्ट शिक्षा से विशिष्ट बच्चे समाज में समायोजन कर पाते हैं।
  4. विशिष्ट शिक्षा से बच्चे आत्मनिर्भर बनते हैं।
  5. इस तरह की शिक्षा से बालक शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं संवेगात्मक रूप से विकास कर पाते हैं।
  6. विशिष्ट शिक्षा में प्रशिक्षित शिक्षक, विशेष पाठ्यक्रम तथा स्कूल की बनावट भी विशिष्ट होती है।
  7. अपनी सभी सुविधा और व्यवस्थाओं की वजह से विशिष्ट शिक्षा महंगी होती है।
  8. विशिष्ट शिक्षा से विशिष्ट बालकों के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, संवेगात्मक हर पक्ष का विकास होता है।
  9. विशिष्ट शिक्षा का मानना है कि जिस प्रकार प्रत्येक बालक को शिक्षा का अधिकार है उसी तरह विशिष्ट बालकों को भी शिक्षा का पूरा अधिकार है।
  10. विशेष शिक्षा देने वाले स्कूल और कॉलेज ज्यादातर चैरिटी पर आधारित होते हैं।
  11. विशेष शिक्षा से विशेष छात्र समाज के साथ समायोजित होते हैं।

समावेशी शिक्षा क्या है? (What is Inclusive Education in Hindi?)

एक तरफ जहां विशिष्ट शिक्षा व्यवस्था का मानना है कि विशिष्ट बच्चों की शैक्षणिक आवश्यकताओं की पूर्ति मुख्यधारा के विद्यालयों में नहीं हो सकती। वही समावेशी शिक्षा, विशिष्ट आवश्यकता वाले छात्रों को सामान्य बालकों से अलग रखकर विशिष्ट शिक्षा प्रदान किए जाने का विरोधी है। समावेशी शिक्षा में एक सामान्य छात्र को एक दिव्यांग छात्र के साथ पढ़ाया जाता है।

समावेशी शिक्षा यह बताता है कि एक सामान्य छात्र और एक दिव्यांग छात्र को समान शिक्षा हासिल करने का अवसर मिलना चाहिए। इसके मुताबिक असक्षम और दिव्यांग बच्चों को सामान्य बच्चों से अलग नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही यह शिक्षा विशेष विद्यालय और कक्षाओं को भी स्वीकार नहीं करता।

समावेशी शिक्षा का मानना है कि विशेष शिक्षा और एकीकृत शिक्षा की वजह से छात्र खुद को हाशिए पर और समाज से अलग-थलग महसूस करते हैं जिस वजह से उनके अंदर हीन भावना का विकास होता है। समावेशी शिक्षा जिन स्कूलों में दी जाती है वहां पर कई तरह के बच्चे जैसे सांस्कृतिक, आर्थिक, भाषाई, अल्पसंख्यक साथ ही विकलांग एवं असक्षम छात्र एक साथ एक छत के नीचे पढ़ते हैं।

कई शोधों में सामने आया है कि समावेशी शिक्षा की वजह से छात्रों में क्षमताओं का विकास होता है। इससे विशेष आवश्यकता वाले छात्रों की पढ़ने, समझने की क्षमता में भी प्रगति होती है।

समावेशी शिक्षा के उद्देश्य

  • बच्चों के विकास के लिए सही वातावरण उपलब्ध कराना।
  • विशिष्ट बच्चों में सकारात्मक दृष्टिकोण लाना।
  • विशेष बच्चों में सीखने की प्रवृत्ति का विकास करना।
  • विशिष्ट बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना। जिससे वह भी समाज से जुड़ सकें।
  • विशिष्ट बच्चों की असमर्थताओं का पता लगाना तथा उन्हें दूर करने का प्रयास करना।
  • विशिष्ट बच्चों को शिक्षा का समान अधिकार देना।
  • समावेशी शिक्षा का उद्देश्य कक्षा में विविधता को प्रोत्साहित करना है जिससे सभी भाषाओं, सांस्कृतिक, अल्पसंख्यक व विशिष्ट बालक शामिल हो सकें।

समावेशी शिक्षा की विशेषताएं (Characteristics of Inclusive Education in Hindi)

  1. समावेशी शिक्षा में शारीरिक, मानसिक रूप से असक्षम बच्चों को सामान्य बच्चों के साथ ही शिक्षा दी जाती है।
  2. इस तरह की शिक्षा सामान्य और दिव्यांग बालकों के बीच की दूरियों को कम करती हैं।
  3. समावेशी शिक्षा में बच्चे को भागीदारी के समान अवसर मिलते हैं।
  4. समावेशी शिक्षा का उद्देश्य है कि दिव्यांग बच्चे भी सामान्य शिक्षा प्राप्त कर सकें जिससे वह अन्य लोगों की तरह आत्मनिर्भर जीवन यापन कर सकें।
  5. समावेशी शिक्षा में दिव्यांग छात्रों को सभी तरह की सुविधाएं दी जाती है। उनके आने-जाने तथा खाने पीने की भी पूरी व्यवस्था होती है।
  6. समावेशी शिक्षा का मानना है कि इस तरह की शिक्षा से बालक को कम प्रतिबंधित और अधिक प्रभावी वातावरण प्राप्त होता है जिससे वे सामान्य बच्चों की तरह ही अपना जीवन यापन कर सके।

विशिष्ट शिक्षा और समावेशी शिक्षा के मध्य अंतर (Special Education and Inclusive Education difference in Hindi)

  1. विशिष्ट शिक्षा और समावेशी शिक्षा के बीच का महत्वपूर्ण अंतर यह है कि एक तरफ जहां समावेशी शिक्षा में सामान्य छात्रों को विशेष आवश्यकता वाले छात्रों के साथ एक छत के नीचे पढ़ाया जाता है वही विशिष्ट शिक्षा में विशिष्ट आवश्यकता वाले छात्रों के लिए अलग से स्कूलों का प्रावधान किया जाता है। इस तरह के स्कूल में प्रशिक्षित शिक्षक, कर्मचारी आदि की नियुक्ति की जाती है।
  2. विशिष्ट स्कूलों में विशिष्ट आवश्यकता वाले छात्रों को भागीदारी के कम अवसर मिलते हैं जबकि समावेशी शिक्षा में उन्हें भागीदारी के बराबर अवसर मिलते हैं।
  3. समावेशी शिक्षा की लागत विशिष्ट शिक्षा के मुकाबले कम होती है।
  4. विशिष्ट स्कूलों में बच्चों की अलग-अलग क्षमताओं के आधार पर अलग-अलग सुविधाएं मुहैया करवाई जाती है। लेकिन Inclusive education में ऐसा नहीं होता।
  5. विशिष्ट स्कूलों में छात्रों को सभी तरह की सुविधाएं मुहैया करवाई जाती है जबकि समावेशी शिक्षा में छात्रों को उसके मुकाबले कम सुविधाएं प्राप्त होती है ।
  6. विशिष्ट शिक्षा छात्रों को शिक्षा के अधिकार को दिलाने पर जोर देती है। वही समावेशी शिक्षा, शिक्षा के अधिकार के साथ समानता के अधिकार को देने में जोर देती है।
  7. विशिष्ट शिक्षा में छात्र खुद को समाज से अलग-थलग महसूस करते हैं लेकिन समावेशी शिक्षा में वे खुद को समाज का हिस्सा मानते हैं।

निष्कर्ष

इस लेख में आपने जाना कि समावेशी शिक्षा और विशिष्ट शिक्षा क्या है? इनकी क्या विशेषताएं हैं तथा उनके क्या उद्देश्य हैं। वैसे तो समावेशी शिक्षा में विशिष्ट और सामान्य बच्चों को साथ पढ़ाया जाता है जिससे उनके बीच हीन भावना का जन्म ना हो। वहीं विशिष्ट शिक्षा में विशिष्ट बच्चों को सभी तरह की सुविधाएं मुहैया करवाई जाती है जिससे वे समाज में बराबर की स्थिति हासिल कर सके। यह दोनों ही शिक्षा अपने स्वरूप में अलग होने के बावजूद इन दोनों के उद्देश्य एक ही है।

Loudspeakerमुक्त शिक्षा और दूरस्थ शिक्षा के बीच अंतर

Loudspeakerउद्यमिता और सामाजिक उद्यमिता में अंतर

तो ऊपर दिए गए लेख में आपने जाना विशिष्ट शिक्षा और समावेशी शिक्षा के मध्य अंतर (Special Education and Inclusive Education difference in Hindi), उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।

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Author:

Bharti

भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।