दिवाली

दिवाली पर निबंध | Essay on Diwali

सामग्री Content

•प्रस्तावना Introduction
•दिवाली/दीपावली क्यों मनाई जाती है? Why Diwali is celebrated?
•दिवाली पर मां लक्ष्मी और गणपति जी की पूजा का महत्व Importance of worshipping Goddess Lakshmi and Ganpati ji on Diwali.
•दिवाली पर की जाने वाली तैयारियां Preparations for Diwali.
•दिवाली पर ध्यान देने वाली कुछ विशेष बातें Precautions to be considered on Diwali.
•उपसंहार Conclusion.

प्रस्तावना Introduction.

भारत एक ऐसा देश है जहां अधिकतम संख्या में तीज त्यौहार मनाए जाते हैं। यह एक उपवासों और त्योहारों का देश है। भारत के कुछ मुख्य त्योहारों में से एक त्यौहार है दीपावली का त्यौहार। दीपावली यानी दीपों का त्योहार पूरे भारत में पूरे हर्षोल्लास व धूमधाम से मनाया जाता है। दीपावली के पर्व पर पूरा देश दीपों की जगमगाहट से रोशन हो उठता है।

दिवाली पर लोग अपने घरों को लाइट और दियों से सजाते हैं। घरों के साथ-साथ बाजारों, कार्यालयों आदि सार्वजनिक स्थानों को भी सुंदर तरह से सजाते हैं। पूरे वर्ष लोग दिवाली का बेसब्री से इंतजार करते हैं। दीपों का पर्व होने के कारण इसे दिवाली कहा जाता है।

दिवाली का त्यौहार दशहरा के कुछ समय बाद, शरद ऋतु के कार्तिक महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। पौराणिक रीति-रिवाजों के अनुसार इस त्यौहार को संपन्न किया जाता है।

दिवाली/दीपावली क्यों मनाई जाती है? Why Diwali is celebrated/why we celebrate Diwali

कई वर्षों से दिवाली से जुड़ी हुई बहुत सी कथाएं और कहानियां चली आ रही है। जिनमें कुछ कथाओं का उल्लेख नीचे किया गया है।

Diwali is also known as: Deepavali

श्री राम का वनवास के बाद अयोध्या लौटना-

ऐसा माना जाता है कि माता कैकई के आदेश अनुसार श्री राम, भाई लक्ष्मण और माता सीता के साथ 14 वर्ष के वनवास के लिए निकल पड़े थे। वनवास के दौरान रावण भिक्षुक का रूप धारण करके माता सीता का अपहरण कर लेता है। तब श्रीराम ने अपनी वानर सेना और प्रभु हनुमान की सहायता से रावण का वध करके माता सीता को सुरक्षित ले आए थे। जिस दिन श्री राम ने रावण का वध किया था उस दिन को दशहरे के रूप में मनाया जाता है। और 14 वर्ष का वनवास पूरा होने के बाद जब श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण वापस अयोध्या लौटे थे उसे दिवाली के रूप में मनाया जाता है।

जब श्री राम वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे उस दिन पूरे राज्य को दीपों से सजाया गया था। इसी दिन को आज तक दिवाली के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।

हिरणकश्यप का वध-

एक और पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने जब हिरणकश्यप का वध किया था तो उसकी मृत्यु की खुशी में प्रजा ने दिए जलाकर खुशी मनाई थी।

पांडवों का वापस लौटना-

इसी प्रकार महाभारत की कथा के अनुसार शकुनी मामा की छल के कारण पांडवों ने अपना राजपाठ परिवार सब कुछ गवा दिया था जिसके रूप में उनको 12 साल का वनवास व 1 साल के अज्ञातवास की सजा दी गई थी। कार्तिक में आज के दिन ही पांडव अपने राज्य में वापस लौटे थे जिसकी खुशी प्रजा ने दिए जलाकर मनाई थी। जिस कारण भी दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है।

श्री कृष्ण द्वारा राजा नरकासुर का वध-

दिवाली मनाने का एक कारण यह भी माना जाता है कि दिवाली के दिन ही श्री कृष्ण ने क्रूर राजा नरकासुर का वध किया था और उसका वध करने के पश्चात अपनी पत्नी सत्यभामा की सहायता से 16000 कन्याओं को उसके चंगुल से छुड़ाया था।

सिख धर्म के आखिरी गुरु की आजादी-

यह भी माना जाता है कि मुगल बादशाह जहांगीर को एक स्वप्न द्वारा गुरु गोविंद सिंह को आजाद करने का आदेश आया था। दूसरे दिन जहांगीर ने गुरु के साथ 52 राजाओं को आजाद कर दिया था। जिसके कारण सिख समुदाय दिवाली का त्यौहार मनाते हैं।

इन्ही पौराणिक कथा और परंपराओं के कारण दिवाली ना केवल हिंदु धर्म बल्कि अनेक धर्म के लोगों के द्वारा उतने ही हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है।

दिवाली पर मां लक्ष्मी और गणपति जी की पूजा का महत्व Importance of worshipping Goddess Lakshmi and Ganpati ji on Diwali.

दिवाली पर मां लक्ष्मी और गणपति की पूजा का बहुत ही महत्व है। दिवाली में संपूर्ण रीति रिवाज के साथ मां लक्ष्मी और गणपति जी की पूजा को संपन्न किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि धन की देवी मां लक्ष्मी कार्तिक अमावस्या की तिथि को विचरण करने निकलती है। अतः उनके आशीर्वाद और कृपा बनी रहे इसलिए दिवाली पर विशेष रूप से उनकी पूजा का आयोजन किया जाता है।

दिवाली के मौके पर बुद्धि के देवता गणपति जी की भी पूजा की जाती है ताकि वह परिवार के सभी लोगों पर आशीर्वाद बनाए रखे और उनको सद्बुद्धि प्रदान करें।

मां लक्ष्मी की पूजा से घर में धन समृद्धि रहे और गणपति जी के आशीर्वाद से उस धन का प्रयोग अच्छे कार्यों के लिए किया जाए। इसी आस्था के साथ सच्ची भावना से दिवाली पर इन पूजा को संपन्न किया जाता है।

दिवाली पर की जाने वाले विशेष तैयारियां Preparations for Diwali.

घरों कार्यालयों और बाजारों को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। दीया लाइट आदि की रोशनी से पूरा देश जगमगाता है।

दिवाली आने के कुछ समय पहले से ही पूरे जोश के साथ उसकी तैयारी शुरू कर दी जाती है। घरों की सफाई पुताई आदि का काम कराया जाता है।

लोग बाजार जाकर नए कपड़े व सजावट के सामान ले आते हैं।

घरों के द्वारों को सुंदर रंगों से बनी रंगोली से सजाया जाता है।

शाम के समय में लोग पटाखे जैसे फुलझड़ियां, अनार, चकरी, रॉकेट आदि जला के खुशियाँ मनाते हैं।

लोग रात में मिठाई लेकर अपने रिश्तेदारों व मित्रों के घर दिवाली की बधाइयां देने जाते हैं।

घर में अच्छा पकवान व मिठाईयां बनती हैं।

दिवाली पर ध्यान देने वाली विशेष बातें Precautions to considered on Diwali.

दिवाली का त्यौहार एक ऐसा त्यौहार है जिसका इंतजार पूरे वर्ष किया जाता है। बड़े, बूढ़ों और बच्चों सभी दिवाली के लिए उत्सुक रहते हैं। किंतु इस सुंदर त्योहार पर कुछ सावधानी बरतना अत्यंत आवश्यक है जैसे कि-

किसी भी जानवर या आते जाते व्यक्ति और वाहनो पर पटाखे नहीं फेंकने चाहिए।

दिवाली पर सार्वजनिक स्थानों पर जुआ खेलना या शराब पीने पर रोक लगनी चाहिए और इसके खिलाफ कड़े कानून बनना चाहिए।

दिवाली की खरीदारी हमें छोटे व्यापारियों से करनी चाहिए ताकि वह भी अपने परिवार के साथ खुशी से दिवाली का त्योहार मना सकें।

दिवाली पर तेज आवाज में गाना बजाना या गलियों और सड़कों पर लाउडस्पीकर लगाकर हमें बूढ़े या बीमार लोगों को तकलीफ नहीं पहुचाना चाहिए।

पटाखों के कारण वायु प्रदूषण बढ़ता है। हमें इस बात का सर्वश्रेष्ठ ध्यान रखना चाहिए कि कि हम कम से कम पटाखे बजाए ताकि हमारे पर्यावरण को नुकसान ना पहुँचे।

इन्ही सब सावधानियों को ध्यान में रखकर हमें दिवाली का त्यौहार पूरे स्नेह और एकता के साथ मनाना चाहिए।

उपसंहार Conclusion.

दिवाली हमारे देश के मुख्य त्योहारों में से एक है। दिवाली का त्यौहार सभी धर्म और वर्ग के लोग मिलकर एक साथ मनाते हैं। या हमें असत्य पर सत्य की जीत की शिक्षा देता है। जिस प्रकार से अपने घरों में दीप जलाकर अंधकार को मिटाते हैं उसी प्रकार से दिवाली के त्योहार पर हमें अपने अंदर के अंधकार को मिटाकर वहां उजाला करना चाहिए।

हमें अपने अंदर से किसी भी व्यक्ति के लिए घृणा, जलन, द्वेष को मिटाकर भाईचारे की भावना उत्पन्न करनी चाहिए। जिस प्रकार छोटे-छोटे दीपक मिलकर अंधकार का नाश कर देते हैं उसी प्रकार से या छोटे-छोटे बदलाव हमारे जीवन के अंधकार को नष्ट कर सकते हैं। दिवाली का त्यौहार प्रेम व सुख समृद्धि से परिपूर्ण होता है। हमें इस बात का प्रण लेना चाहिए कि हम दिवाली जैसे शुभ पर्व को प्रेम और एकता के साथ-साथ प्रदूषण मुक्त बनाये।

दिवाली का त्यौहार हमारे देश की एकता और अखंडता को बनाए रखता है।