Guru Nanak Dev Biography in Hindi

Last updated on: November 25th, 2021

Guru Nanak Dev Biography in Hindi
Guru Nanak Dev Biography in Hindi | गुरु नानक देव की जीवनी

Guru Nanak Dev Biography in Hindi | गुरु नानक देव की जीवनी

सिख धर्म के सर्वप्रथम गुरु, जिन्होंने सिख धर्म की स्थापना की और पूरी दुनिया में सिख धर्म की शिक्षा लोगों तक पहुंचाई, का नाम है गुरु नानक देव। वैसे तो गुरु नानक सिख धर्म के गुरु और संस्थापक हैं परंतु इनकी शिक्षा और ज्ञान सभी के लिए एक आदर्श है।

नामनानक
प्रसिद्ध नामगुरु नानक देव जी
जन्म15 अप्रैल 1469
जन्म स्थानतलवंडी, ननकाना साहिब (वर्तमान पाकिस्तान)
पिता का नामकल्याण चंद दास बेदी (मेहता कालू)
माता का नामतृप्ता देवी
विवाहसुलक्खनी देवी  
उत्तराधिकारीगुरु अंगद देव
अंतिम स्थानकरतारपुर (वर्तमान 
पाकिस्तान)
मृत्यु22 सितंबर 1539
Guru Nanak Dev Biography in Hindi | गुरु नानक देव की जीवनी

जन्म व प्रारंभिक जीवन

गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को कार्तिक पूर्णिमा वाले दिन हुआ था। इनके जन्म स्थान के बारे में कुछ स्पष्ट पता नहीं है, लेकिन कुछ इतिहासकारों के अनुसार इनका जन्म तलवंडी, में हुआ था जो कि अब पाकिस्तान के पंजाब में स्थित है। अब इस गांव का नाम तलवंडी के स्थान पर ननकाना पड़ गया है। गुरु नानक जी के पिता का नाम कल्याण चंद दास बेदी और माता का नाम तृप्ता देवी था उनकी एक बड़ी बहन भी थीं, जिनका नाम नानकी था।

गुरु नानक जी की शिक्षा

गुरु नानक बचपन से ही भगवान की भक्ति में और अध्यात्म करने में मगन रहते थे। उनका मन किताबी शिक्षा में नहीं लगता था। वे अपना अधिकतर समय धर्म, भजन कीर्तन और सत्संग आदि में बिताया करते थे। उनके पिता यह देखकर चिंतित हो उठे और उन्हें जिम्मेदारी का एहसास दिलाने के लिए उन्हें जानवर चराने का काम दे दिया। 

उनके पिता ने उन्हें दुकान भी खुलवा कर दी और एक बार उन्हें 20 रुपया देकर सौदा लाने को कहा। गुरु नानक ने उस पैसों से गरीबों को खाना खिला दिया और पिताजी के पूछने पर उन्होंने कहा कि वह सच्चा सौदा करके आए हैं। जिस जगह पर गुरु नानक ने गरीबों को खाना खिलाया था उस जगह पर आज सच्चा सौदा नाम का गुरुद्वारा है। 

नानक देव जी का विवाह

गुरु नानक देव जी का विवाह उनके माता-पिता ने 16 वर्ष की आयु में सुलक्खनी देवी से साल 1485 में कर दिया था। सुलक्खनी गुरूदासपुर जिले के लाखौकी गांव में रहने वाले मूला की पुत्री थी। 

इन दोनों के दो पुत्र हुए जिनका नाम श्री चंद और लख्मी चंद रखा गया।

1475 में गुरु नानक की बहन का विवाह सुल्तानपुर के जयराम से हुआ था। गुरु नानक अपनी बहन के पास रहने के लिए सुल्तानपुर गए और वहां  रोज नदी के तट पर नहाने जाते थे और वहीं ध्यान एकत्रित करते थे। एक बार रोज़ की तरह गुरु नानक सुबह गए और 3 दिन तक नहीं लौटे।

ऐसा माना जाता है कि गुरु नानक  जंगल में अध्यातम  करने चले गए और वहां पर उनको ज्ञान की प्राप्ति हुई और वहां से आने के बाद उन्होंने कहा कि यहाँ न कोई हिंदू है और न कोई मुसलमान।

पांच उदासी 

गुरु नानक भगवान की भक्ति में इतन मग्न हो गए कि उन्होंने अपना घर बार छोड़ दिया और दुनिया के सफर पर निकल पड़े। उन्होंने बहुत से देश विदेशों की पैदल यात्रा की और चारों ओर सिख धर्म के बारे में लोगों को बताया।

 अपनी पहली यात्रा (1500-1507) में उन्होंने भारत और पाकिस्तान का भ्रमण किया था। 

अपनी भारत यात्रा के दौरान जब वे हरिद्वार गए तब उन्होंने देखा कि लोग गंगा में सूरज को जल अर्पित कर रहे थे। यह देख कर वे भी पश्चिम की तरफ मुड़ के जल अर्पित करने लगे। जब लोगों ने इनको इनकी गलती बताई तो उन्होंने कहा कि वे अपने पंजाबी खेतों को जल चढ़ा रहे हैं। जब जल सूरज तक पहुंच सकता है तो पंजाब तक भी पहुंच जाएगा,  वह तो सूरज से नजदीक है। 

अपनी दूसरी यात्रा में इन्होंने श्रीलंका का भ्रमण किया। यह दोनों ही यात्रा उनकी लगभग 7 वर्ष के आसपास रही।

 अपनी तीसरी यात्रा (1514-1519) के दौरान ये कश्मीर, नेपाल, तिब्बत, सिक्किम और हिमालय आदि जगहों पर गए। 

अपनी चौथी यात्रा में ये अन्य मुसलमान देश जैसे मक्का, बगदाद में गए। यह यात्रा उनकी 3 वर्ष तक रही। 

इनकी पांचवीं और आखिरी यात्रा उन्होंने पंजाब के ही इलाके में की और यहीं पर अपने अंतिम समय तक उन्होंने सिख धर्म की शिक्षा लोगों को दी। 

ऐसा माना जाता है कि गुरु नानक ने अपने जीवन के 24 वर्ष यात्रा में बिताए और लगभग 28000 किलोमीटर पैदल यात्रा की। इन सभी यात्राओं को उदासी के नाम से जाना जाता है।

गुरु नानक जी की शिक्षा

गुरु नानक जी की तीन महत्वपूर्ण सीख निम्नलिखित है :-

नाम जपो – यानी बार बार भगवान का नाम जपो और इन पांच मानव कमजोरियों पर काबू रखो- काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार। 

वंड छको- जिसका अर्थ है कि अधिक से अधिक  जरूरतमंद लोगों की सहायता करो। 

किरत करो – इसका अर्थ है कि तुम जो भी कमाओ वह पूरी ईमानदारी से कमाओ, बिना किसी धोखे और छल के। 


गुरु नानक जी का अंतिम समय 

गुरु नानक जी ने पूरी दुनिया की यात्रा की और सिख धर्म का संदेश लोगों तक पहुंचाया। उन्होंने हिंदू और मुस्लिम धर्म के विचारों को मिलाकर सिख धर्म की स्थापना की थी, इसीलिए वे सभी धर्म में आस्था रखते थे। आज उनके द्वारा स्थापित सिख धर्म पूरी दुनिया में फैला हुआ है और भारत के सबसे बड़े धर्म में सम्मिलित है। 

अपने अंतिम समय में गुरु नानक ने भाई लहना को गुरु अंगद का नाम देकर उत्तराधिकारी गुरु के रूप में चुना और कुछ समय बाद ही 22 सितंबर 1539 को गुरुनानक जी 70 वर्ष की आयु में समाधि में चले गए।


गुरु नानक के जीवन से जुड़े कुछ प्रमुख गुरुद्वारा साहिब

  1. गुरुद्वारा गुरु का बाग – सुल्तानपुर लोधी, जो गुरु नानक देव जी का घर है जहां उनके दोनों बेटों का जन्म हुआ। 
  2. गुरुद्वारा कोठी साहिब- सुलतानपुर लोधी, नवाब दौलतखान लोधी ने नानक को हिसाब किताब में गड़बड़ी का इल्जाम लगाकर जेल भिजवा दिया था, परंतु बाद में उन्होंने उनको अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने गुरु नानक से माफी मांगी। बाद में गुरु नानक को प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव भी दिया, परंतु गुरु नानक ने मना कर दिया। 
  3. गुरुद्वारा अचल साहिब- गुरूदासपुर, गुरु नानक अपनी यात्राओं के दौरान यहां रुके थे। यहीं पर उनका नागपंथी योगियों के प्रमुख योगी भांगर नाथ के साथ धार्मिक मुद्दे पर वाद-विवाद हुआ था। 
  4. गुरुद्वारा हाट साहिब- सुलतानपुर लोधी, गुरु नानक के बहन के पति जय राम की सहायता से गुरु नानक ने सुल्तानपुर के नवाब के यहां शाही भंडारे की देखरेख का काम शुरू किया था।
  5. गुरुद्वारा कंध साहिब- बटाला, यहीं पर गुरु नानक देव का विवाह सुलक्खनी देवी से 16 वर्ष की आयु में हुआ था।

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तो ऊपर दिए गए लेख में आपने पढ़ा गुरु नानक देव की जीवनी (Guru Nanak Dev Biography in Hindi), उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।

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Author:

Aisha Jafri

आयशा जाफ़री, प्रयागराज