HINDI KAVITA: हिन्दी पढ़ाओ

Last updated on: September 26th, 2020

हिन्दी पढ़ाओ

ये कैैसी विडम्बना है कि
चौहत्तर साल बाद भी
हमारे देश की अपनी
राष्ट्र भाषा नहीं है,
हमारी मातृभाषा
सिर्फ़ राजभाषा है।


ये कैसा दुर्भाग्य है कि
अपनी मातृभाषा को
हम अपना कहने में भी शरमाते हैं,
खाते हैं हिन्दी का और
गुणगान अंग्रेज़ी का गाते हैं।


अब सहन नहीं होता
बंद हो ये भद्दा मजाक
अनिवार्य करो हिन्दी शिक्षा,
अब हिन्दी को राजभाषा से
राष्ट्र भाषा बनाओ
अब और न बेशर्मी दिखाओ,
भारत के जन जन को
हिन्दी की शपथ दिलाओ
सबको हिन्दी पढ़ाओ।

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About Author:

सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002