HINDI KAVITA: अभिलाषा

अभिलाषा

मैं
माँ के गर्भ में
मरना नहीं चाहती
मैं भी जन्म लेना चाहती हूँ,
दुनियाँ देखना चाहती हूँ,
खुली हवा में साँस लेना
हँसना खिलखिलाना
उड़ना चाहती हूँ।


खूब पढ़ना लिखना और
अपने पंख फैलाना चाहती हूँ,
अपने सपनों को
आकार देना चाहती हू्ँ।


बेटों की तरह
माँ बाप के सपने
पूरे करना चाहती हू्ँ ।


मगर समाज के भेडि़यों से
मुझे बचाना,
दहेज की भेंट चढ़नें से बचाना।


मैं भी जीना चाहती हूँ
अपने कर्तव्य पूरे करना चाहती हू्ँ,
बेटी, बहन,पत्नी, माँ सहित
हर रिश्ते निभाना चाहती हूँ।


राष्ट्र और समाज के प्रति
अपने हर कर्तव्य
निभाना चाहती हूँ,
मैं भी जन्म लेना चाहती हूँ।

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About Author:

सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002