भारतीय मीडिया
वो भी क्या समय था
जब भारतीय मीडिया ने
आजादी की लड़ाई में
अपनी भूमिका निभाई थी।
समय के साथ मीडिया भी बदला
जैसे भेड़िए ने शेर की खाल ओढ़ा।
अपने संस्कार, कर्तव्य सब भूल गया
पैसों के लिए खुद का
ईमान बेच तक दिया।
मगर आज भी
कुछ का जमीर जिंदा है,
कर्तव्य निभाने के लिए ही वो जिंदा हैं।
दोगले मीडिया की भीड़ में भी
जान हथेली पर लिए
कुछ आज भी लड़ रहे हैं,
देश बचा रहे
इसलिए लड़ भिड़ रहे हैं,
शासन,सत्ता,से भी
पंगा ले रहे हैं,
अपराधियों, भ्रष्टाचारियों,माफियाओं से
आमने सामने टकरा रहे हैं,
उनके खिलाफ षडयंत्र
उनके अपने ही भाई बंधु कर रहे हैं,
फिर भी सीना ठोंक कर
ये शेर,दो दो हाथ कर रहे हैं।
अपना कर्तव्य निभा रहे हैं
जान की बाजी लगाये
देश और समाज के लिए
जूझ रहे हैं।
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About Author:
✍सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002