किसान ने कहा मजदूर से
दुःख भरी कथा आज
मुझे कहने दे,
मजदूर दांया हाथ है मेरा
आज मुझे कहने दे,,
विदेशों से फायदा किस का
हुआ आज मुझे कहने दे,
नींव देश कि किस ने भरी
आज मुझे कहने दे,,
चुप लगा है तेरे मन में
आज मुझे कहने दे,
माँ धरती का आँचल किसे
भाता है आज मुझे कहने दे,,
मेरे खिले मौसम बसंत का
तु पतझड बन कर आने दे,
देश किस से पलता है
आज मुझे जताने दे,,
सहन नहीं होती अब हालात
मुझे तेरी आज मुझे जताने दे,
कोन हराम कि कोन मेहनत की
खाता है आज मुझे कहने दे,,
सुना आँगन सूनी देहरी
सूना मन भी रहने दे,
मजदूर मेरा दांया हाथ है
मेरे गाँव उसे आने दे,,
आज फिर देश में संकट है
साथ मिल कर कुछ तरकी करने दै,,
आज फिर देश में संकट है
साथ मिल कर कुछ तरकी करने दै
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About Author:
चन्द्र प्रकाश रेगर (चन्दु भाई), नैनपुरिया
पो., नमाना नाथद्वारा, राजसमदं