मंजूर नहीं
तुझसे अच्छे या तुझसे बुरे की कोई जरूरत ही नहीं…
मुझे तो तेरे सिवा तेरी परछायीं भी मंजूर नहीं…१
आदतन मैं यारों के संग कुछ ”पल” कमा लेता हूं…
बगैर तेरे जिक्र के तो उन पलों की कमाई भी मंजूर नहीं…२
लाख खोखला कर दे मुझे जह़र तेरी जुदाई का…
तेरी बाहों के सिवा कोई दवाई भी मंजूर नहीं…३
शर्त रखी है जिन्दगी ने ताउम्र तेरे दीदार की…
बिना दीदार के तो मौत की शह़नायी भी मंजूर नहीं…४
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मेरा नाम अनुराग यादव है। मैं उन्नाव, उत्तर प्रदेश से हूॅं। हिंदी भाषा में अत्यंन्त रुचि है। हिंदी के व्याकरण एवं कविता की बारीकियों से अनभिज्ञ हूॅं। फिर भी कविता लिखने का प्रयास करता हूं। त्रुटियों के लिये क्षमाप्रार्थी हूॅं एवं आपके आशीर्वाद और मार्गदर्शन का आकांक्षी हूॅं। 🙏🏻😊