Hindi Kavita on Chhatrapati Shivaji Maharaj

Last updated on: February 24th, 2022

Hindi Kavita on Chhatrapati Shivaji Maharaj
Hindi Kavita on Chhatrapati Shivaji Maharaj | छत्रपति शिवाजी महाराज पर हिंदी कविता

Hindi Kavita on Chhatrapati Shivaji Maharaj | छत्रपति शिवाजी महाराज पर हिंदी कविता

माता जीजाबाई पिता शाह जी के
घर उन्नीस फरवरी  सोलह सौ तीस को
शिवनेरी, महाराष्ट्र के मराठा परिवार में
जन्मा था एक बालक महान
नाम मिला शिवाजी था।

माता धार्मिक और वीरांगना थीं
रामायण,महाभारत और महापुरुषों की
कहानियां सुनाया करती थीं
दादा कोणदेव जी ने उनको
युद्ध कौशल का ज्ञान दिया 
राष्ट्रप्रेमी, कर्त्तव्य परायण, कर्मठ
योद्धा शिवाजी को बनाया।

कहते हैं कि पूत के पांव
पालने में ही दिखने लगते हैं,
नेतृत्व के गुण उन बच्चों में
बचपन के खेलकूद में दिखते हैं,
नेता बन कर शिवाजी बच्चों संग
किला जीतने का खेल खेला करते थे।

युवा शिवाजी ने कर दिया
सोलह साल की उम्र में ही
पूणे तोरण दुर्ग फतेह कर बड़ा कमाल।
बीजापुर शासक आदिलशाह ने तब
उन्हे पकड़ने का गुप्त प्लान किया तैयार
शिवाजी तो हाथ नहीं आए
पिता शाहजी गिरफ्तार हुए।

हिम्मत वाले शिवाजी ने
तब अपना दिमाग चलाया,
छापेमारी की युद्ध नीति से
पिता  को आजाद करवाया।

पुरंदर और जावेली किलों पर 
शिवाजी ने जब पुरंदर और
जावेली किलों पर कब्जा कर लिया,
औरंगजेब ने फिर नई योजना तैयार किया।

भेज जयसिंह, दिलीप खान को
औरंगजेब ने संधि करवाया,
चौबीस किले सधिं में देकर
शिवाजी को आगरा बुलवा
शिवाजी को कैद कर दिया।

तब अपने साहस से शिवाजी
आखिरकार फरार हो गये
अपने सारे किलों पर फिर से
अपना अधिकार कर लिए।

तब छत्रपति की उपाधि पा
धार्मिक सहिष्णुता भी पाई,
हिन्दू होकर भी शिवाजी ने
कई मस्जिदें भी बनवाई।

हिन्दू धर्मावलंबी ही नहीं
मुस्लिम पीर,फकीर, मौलवी भी
करते थे सब शिवाजी का सम्मान
दशहरे पर शुरू होता रहा
छत्रपति का निज अभियान।

अचानक बुखार आने बढ़ने से
शिवाजी आखिर हार गये,
तीन अप्रैल सौलह सौ अस्सी को
संसार को अलविदा कह गये।

वीर मराठा छत्रपति जी
अपना पौरुष दिखा गये,
नाम के अपनी कीर्ति शिवाजी
धरती पर फिर भी छोड़ गये।

अपने नायक छत्रपति जी को
नमन हमारा सौ सौ बार,
श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं
हम सब भारतवासी बारंबार।

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Author:

Sudhir Shrivastava
Sudhir Shrivastava

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.