पिता
खुद गीले में सो कर
सुखे में सुलाया जिसने।
मेरी हर ख्वाहिश को
पूरा करना चाहा जिसने।
अपने कंधे पर बिठाकर
पूरा मेला घुमाया जिसने।
मुझे हल्की सी लग जाने पर
आसूं तक बहाया जिसने।
वह पिता ही तो हैं
हरपल मुझे हसाया जिसने।
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Author:
रश्मि सिंह, दिल्ली