ए चांद तेरा क्या मान है
आंखो की चमक के आगे
मुस्कुराहट की कशिश के आगे
ए चांद बता तेरा क्या मान है
तुझसे तू खूबसूरत मेरा घर का चांद है
तू दूर है वो पास है
तू दाग है वो बेदाग है
तू मिसाल है वो बेमिसाल है
तू रोशनी तो वो रोशन दान है
तू इश्क तू वह इश्क का भगवान है
अब बता चांद तेरा क्या मान है
तुझसे तो खूबसूरत मेरा घर का चांद है
तू बेईमान वो मेरा अभिमान है
तू मौत वो जीने का पैगाम है
तू ख्वाब तो वो मेरी असल जिंदगी का अरमान है
तू बंदिश में तो वह नीले गगन की उड़ान है
अब बता चांद तेरा क्या मान है
तुझसे तो खूबसूरत मेरा घर का चांद है
बस अफसोस इस बात का है
कि आज मेरे चांद को भी तेरा इंतजार है
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About Author:
नाम हेमंत सोलंकी है, निवासी दिल्ली का हूंँ। लेखक बनने का है सपना और शुद्ध कर सको समाज को यह अरमान है अपना। 🙏🏻😊