पूर्ण होगी सबकी अभिलाषाएं
भ्रम न रहे
पूर्ण होगी सबकी
अभिलाषाएं
चैतन्य मन
खुद पर विश्वास
सफल कार्य।
कौन जानता
कब पूरी हो जाये,
अभिलाषा भी।
अंतर्मन में
अभिलाषा रखोगे,
कर्म भी करो।
अभिलाषा को
कमजोरी बनाना,
गलत बात।
Read Also:
हिन्दी कविता: क्या लिखूं ?
हिन्दी कविता: प्रीत की रीत
हिन्दी कविता: प्रार्थना
हिंदी कविता: महफ़िल महफ़िल सहरा सहरा
अगर आप की कोई कृति है जो हमसे साझा करना चाहते हो तो कृपया नीचे कमेंट सेक्शन पर जा कर बताये अथवा contact@helphindime.in पर मेल करें.
About Author:
✍सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002