बेटियां
जन्म दिया जिसने माँ बनकर
जो संसार में बिटिया बनाकर लाई
फिर भी कहते दुनिया वाले बेटी तो है पराई
हाँथ थाम अपने हाथों में जिसने चलना सिखाया
सुन्दर स्वरूप संसार का जिसने हमें दिखाया
लग जाने पर चोट जरा सी हमको
जिसने सारा घर सिर पर पर उठाया
ममता भरा चुंबन माथे पर दे अपनी गोद बिठाया
पढ़ा लिखा कर अच्छी शिक्षा
जिसने हमको काबिल बनाया
अच्छे बुरे रिश्ते नातों से है पहचान कराया
ममता मई माँ बनकर जिसने दायित्व को अपने
सुंदरता से क्या बख़ूबी निभाया
माँ बेटी के प्यार को फिर भी कोई समझ नहीं पाया
सारा जीवन जिसने हमपर अपना प्यार लुटाया
कितने हत्यारों ने बेटी को माँ की कोख़ मिटाया
नौ माह लहू सींचकर अपना जिसने हमको पाला
करके बड़ा क्यों हमें फिर अपने ही द्वार से निकाला
जीवन भर रख पास हमें जिसने माँ बेटी की प्रीत निभाई
बनाकर दुल्हन सँग पिया के क्यों कर देती हैं विदाई
बनजाती हैं निष्ठुर ऐसे हों न कोई नाता ही जैसे
अपने कलेजे के टुकड़े को देदेता है कोई कैसे
जनकर अपनी कोख़ से फिर भी न पास अपने रख पाई
फिर भी कहते दुनिया वाले बेटी तो है पराई
दे जवाब ये मुझको कोई के ये
रिवाज़ और रीत है किसने बनाई
होते हुए इक माँ के फिर क्यों
बेटी को सहनी पड़ती है जुदाई
फिर भी कहते दुनिया वाले
बेटी तो है पराई 🤷♀️
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सोनल उमाकांत बादल , कुछ इस तरह अभिसंचित करो अपने व्यक्तित्व की अदा, सुनकर तुम्हारी कविताएं कोई भी हो जाये तुमपर फ़िदा 🙏🏻💐😊