स्वपनों मे आ जाना
स्वपनों में आ जाना, आज कुछ लिखना चाहता हूँ…
तेरी याँदों के बाजार में, मुफ्त ही बिकना चाहता हूँ…1
जब रात जवाँ हो जाये..
जिस्म रूह का गुलाम हो जाये..2
पलके पुतलियों की पहरेदार हो जायें…
औ स्वपन हकीकत के जिम्मेदार हो जायें…3
जब समॉ में मरघट सा सन्नाटा हो…
चछुओं से हृदय के पथ में न कोई काँटा हो….4
जब दिमाग निद्रा के चक्रव्यूह में खोया हो…
रूह तेरे इन्तजार में औ जिस्म खुदी में सोया हो…5
तब कुछ पलो के लिए हकीकत को छोड़कर…
मेरे अधूरे स्वपनो से नाता जोड़कर…6
दबे पाव दिमाग की दहलीज पार करना…
दिल साथ लाना बस इतना एतबार करना….7
पहुँचते ही पलकों को मेरा पैगाम देना…
खयाली ही सही उन्हें मोहब्बत का एक ज़ाम देना…8
मदमस्त हो जायें जब पलके उस ज़ाम से…
हटाना फिर उन्हें रास्ते से जरा आराम से….9
फिर समन्दर मिलेगा तुम्हें, जिसमें तुम्हारी तस्वीर नजर आएगी…
हकीकत न बना सकी तुम्हे,वो फूटी तकदीर नजर आएगी…10
पुतलियाँ केवट हैं वहाँ,कहना हृदय तक छोंड़ दे मुझे…
स्वपनो में ही सही,मेरे हृदय से जोड़ दे तुझे…11
पहुँचते ही हृदय के द्वार पर,धमनियों के लोटे में भाव भरे मिलेगें….
ठोकर मारना पैरों से, तो मुरझाये हृदय के पुष्प भी हरे मिलेगें…12
तुम्हारे आने से हृदय के घर मे एक जलसा होगा…
मानो चाँद उतर आया हो जमीं पर, उस पल सा होगा….13
कंगाल हो जायेगें तुम्हारे स्वागत में वो , बस जज्बातों का इक चिराग बचेगा…
स्वर,ताल,लय सब खत्म होगें,बस इक राग बचेगा,अनुराग बचेगा…14
ज्यादा देर मत ठहरना वहाँ, इस हृदय को खुशी की आदत नहीं होती….
वो अलग बात है कि इस मन्दिर में तेरे सिवा,किसी और की इबादत नहीं होती…15
सुनो अब चली जाओ,अब और नहीं लिख सकता…
आँसुओं की कीमत लेकर,अब और नहीं बिक सकता..16
Read More:
All HINDI KAVITA
अगर आप की कोई कृति है जो हमसे साझा करना चाहते हो तो कृपया नीचे कमेंट सेक्शन पर जा कर बताये अथवा contact@helphindime.in पर मेल करें.
About Author:
मेरा नाम अनुराग यादव है। मैं उन्नाव, उत्तर प्रदेश से हूॅं। हिंदी भाषा में अत्यंन्त रुचि है। हिंदी के व्याकरण एवं कविता की बारीकियों से अनभिज्ञ हूॅं। फिर भी कविता लिखने का प्रयास करता हूं। त्रुटियों के लिये क्षमाप्रार्थी हूॅं एवं आपके आशीर्वाद और मार्गदर्शन का आकांक्षी हूॅं। 🙏🏻😊