HINDI KAVITA: रावण मारीच संवाद

Last updated on: October 25th, 2020

रावण मारीच संवाद

सूर्पनखा की दशा देख
रावण बहुत अकुलाया,
आनन फानन में उसने
मामा मारीच को बुलवाया।

फिर मारीच को रावण ने
अपना मंतव्य बताया,
रावण का मंतव्य जान
मारीच बहुत अकुलाया।

रावण बोला मामा तुम
छल का उपयोग करो,
सीता को भरमाकर
राम को दूर करो।
निपट अकेली सीता
कुटिया में जब होगी,

धर मायावी रुप उसे
मैं संग ले आऊंगा।
सूर्पनखा के अपमान का
ये ही उत्तर होगा,

सीता मेरी रानी होगी
राम विलाप करेगा।
कोशिशभर मामा ने
रावण को समझाया,

पर मारीच की बातें सुन
रावण को गुस्सा आया।
रावण की जिद के आगे
मामा विवश हुआ,

पर प्रसन्न भी हुआ स्वयं में
मोक्ष मार्ग मिल गया।
स्वर्ण हिरन मारीच बना
सीता जी को भरमाया,

पीछे पीछे राम आ रहे
उनको भी खूब छकाया।
धमा चौकड़ी कर जंगल में
राम को भी दौड़ाया,
राम के हाथों मरकर
मोक्ष का सुख वो पाया।

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About Author:

सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002