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History of Tripura & Interesting Facts in Hindi | त्रिपुरा का इतिहास और रोचक तथ्य
त्रिपुरा भारत के उत्तर पूर्व में स्थित एक राज्य हैं। त्रिपुरा का क्षेत्रफल 10,492 वर्ग किमी है जो कि भारत का तीसरा सबसे छोटा प्रदेश है। त्रिपुरा भारत के सात बहन (Seven Sisters) बोले जाने वाले प्रदेशों में से एक है।
अंगूठे के आकार के इस राज्य का इतिहास काफी विस्तृत है क्योंकि भारत के धार्मिक पुराणों, अशोक सम्राट के शिलालेखों और महाभारत में भी त्रिपुरा राज्य का वर्णन मिलता है। प्राचीन काल में यह किरात देश के नाम से भी प्रचलित था। तो आइए त्रिपुरा से संबंधित अन्य जानकारियों को जाने:-
राज्य का नाम | त्रिपुरा |
राजधानी | अगरतला |
जनसंख्या | 36,73,917 |
क्षेत्रफल | 10,492 |
साक्षरता दर | 87.75% (2011) |
जिले | 8 |
भाषाएं | बंगाली, ककबरक, अंग्रेजी, हिंदी, चकमा, मणिपुरी |
स्थापना | 21 जनवरी 1972 |
त्रिपुरा का इतिहास (History of Tripura)
त्रिपुरा का इतिहास काफी समृद्ध है। इस राज्य की स्थापना 14वीं शताब्दी में की गई थी। इसकी स्थापना करने वाले व्यक्ति का नाम माणिक्य था जो कि एक इंडो-मंगोलियन आदिवासी मुखिया थे। साल 1808 में ब्रिटिश साम्राज्य का इस राज्य पर कब्जा हो गया। आगे जाकर 1956 में जब राज्यों का पुनर्गठन किया गया तब उस दौरान त्रिपुरा को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। 1972 में इसे भारत के राज्य का दर्जा दिया गया।
त्रिपुरा नाम की उत्पत्ति (Origin of the Name Tripura)
बताया जाता है कि त्रिपुरा राज्य का नाम यहां के एक राजा के नाम पर रखा गया है। यह राजा ययाति वंश के 39वे राजा थे जिनका नाम राजा त्रिपुर था। त्रिपुरा में प्राचीन काल में अहीरो का शासन था जो कि राजा त्रिपुर के ही वंशज थे। हालांकि त्रिपुरा राज्य के नाम को लेकर काफी मतभेद है जिसमें से एक मत के अनुसार त्रिपुरा राज्य का नाम यहां की स्थानीय देवी ‘त्रिपुर सुंदरी’ के नाम पर रखा गया है।
वही त्रिपुरा राज्य के नाम के विषय में इतिहासकार कैलाश चंद्र सिंह कहते हैं कि त्रिपुरा शब्द स्थानीय कोकोबोराक भाषा से बना है। यह दो शब्दों “त्वि और प्रा” से मिलकर बना है। यहां त्वि का अर्थ होता है पानी जबकि प्रा यानी निकट। इसका अर्थ हुआ पानी के निकट बसा राज्य। दरअसल ऐसा बताया जाता है कि प्राचीन समय में बंगाल की खाड़ी इसके काफी निकट थी इसीलिए इसे इस नाम से जाना जाने लगा।
त्रिपुरा की भौगोलिक स्थिति (Geographical Location of Tripura)
त्रिपुरा की भौगोलिक स्थिति की बात करें तो इसका आधे से ज्यादा हिस्सा जंगलों से घिरा हुआ है। यही कारण है कि यहां प्रकृति प्रेमी पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है। यह राज्य बांग्लादेश और म्यांमार की नदी घाटियों के मध्य स्थित है।
त्रिपुरा के पूर्व में असम और मिजोरम राज्य है जबकि इसके उत्तर, पश्चिम व दक्षिणी हिस्से में बांग्लादेश है। बांग्लादेश से घिरे होने की वजह से यहां पर बंगाली भाषा का प्रभाव स्पष्ट देखा जा सकता है। त्रिपुरा में बंगाली और त्रिपुरी भाषा मुख्य रूप से बोली जाती है। वहीं यहां के खानपान में बंगाली खानपान का प्रभाव देखा जा सकता है। यही कारण है कि त्रिपुरा के लोगों का मुख्य भोजन मछली है।
त्रिपुरा की भाषाएं (Official Language of Tripura)
त्रिपुरा में बंगाली और त्रिपुरी भाषा (कोक बोरोक) बोली जाती है। वहीं इसके अलावा त्रिपुरा में हिंदी भाषा समझने वालों की संख्या ज्यादा है। त्रिपुरा में अधिकारिक कामकाज की भाषा अंग्रेजी है। त्रिपुरा विभिन्न जनजातियों का निवास स्थान भी है। इसलिए यहां के जनजातीय लोग सब्रूम और चक्र नामक बंगाली भाषा का इस्तेमाल करते हैं। वही यहां के कुछ लोग रंखाल और हलम जैसी भाषाओं का भी प्रयोग करते हैं।
त्रिपुरा के जिले (Districts of Tripura)
त्रिपुरा में जिलों की संख्या 8 है। जनसंख्या के मुताबिक त्रिपुरा का सबसे बड़ा जिला पश्चिम त्रिपुरा है। वहीं क्षेत्रफल के आधार पर इसका सबसे बड़ा जिला दक्षिण त्रिपुरा है। इसका क्षेत्रफल 1534.2 है। आइए त्रिपुरा के जिलों पर नजर डालें:-
- उत्तरी त्रिपुरा
- दक्षिण त्रिपुरा
- पश्चिम त्रिपुरा
- गोमती
- खोवाई
- धलाई
- उनाकोटी
- सेपहिजाला
त्रिपुरा में जनजाति (Tribes in Tripura)
त्रिपुरा में कई लोग पिछड़ी जनजातियों से संबंधित है। यहां पर करीब 19 जनजातियां निवास करती हैं जो अभी भी जंगलों में ही रहते हैं। यहां की जनजातियों में त्रिपुरी, चकमा, गारो, मणिपुरी, मिजो, रंग, कुकी और चाई आदि शामिल है। इसके अलावा यहां पर बंगाली हिंदू लोगों की अच्छी खासी जनसंख्या है। राज्य में मुस्लिम,बौद्ध, क्रिश्चियन समेत कई धर्मों के लोग आपस में मिल जुल कर रहते हैं।
त्रिपुरा का नृत्य (Folk Dance of Tripura)
त्रिपुरा का नृत्य यहां की संस्कृति का परिचायक है। यहां पर लोग अपनी-अपनी परंपरा के मुताबिक नृत्य करते हैं। यहां पर शादी विवाह या धार्मिक समारोहो तथा त्योहारों के मौके पर गरिया नृत्य किया जाता है। यहां रहने वाले रिंग लोग होजगिरी नित्य करते हैं। इसके अलावा यहां पर कई तरह के नृत्य किए जाते हैं जिनमें त्रिपुरी लोगों द्वारा लेबंग नृत्य किया जाता है वही चकमा लोग बिझु नृत्य, हलम और कुकी लोग हैहक़ नृत्य, मोग लोग ओवा नृत्य तथा गारो लोग वांगला नृत्य करते हैं।
त्रिपुरा के प्रमुख पर्यटन स्थल (Major Tourist Places of Tripura)
- उज्जयन्त पैलेस
एक समय में उज्जयंत पैलेस एक शाही महल था। इस महल को यह नाम रविंद्र नाथ टैगोर ने दिया था। यह यहां की राजधानी अगरतला में स्थित है। इस महल का निर्माण 1901 में किया गया था। इस महल की वास्तुकला देखने लायक है यहां आपको पहले टाइलों से बना फर्श, सुंदर दरवाजे और घुमावदार लकड़ी की छत नजर आएगी। इसके साथ ही यह पूर्वोत्तर भारत के सबसे बड़े संग्रहालयों में से भी एक है। यह राज्य के 800 एकड़ से अधिक क्षेत्र तक फैला हुआ है। यही वजह है कि यह पर्यटकों के लिए आकर्षक स्थल है।
- नीरमहल
नीरमहल को ‘द लेक पैलेस ऑफ त्रिपुरा’ के नाम से जाना जाता है। हमारे देश में दो जल महल है। जिनमें से एक नीरमहल है। यह महल राजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य का ग्रीष्मकालीन महल था। यह महल भी त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में स्थित है। जो लोग अगरतला घूमने जाते हैं वे इस महल को देखने जरूर जाते हैं। यहां पर पर्यटक नाव की सवारी भी कर सकते हैं।
- सिपाहीजला वन्यजीव अभयारण
पशु प्रेमियों के लिए एकप्रमुख आकर्षण है। यहां पर न केवल वन्य जीव अभ्यारण है बल्कि एक शैक्षणिक और अनुसंधान केंद्र भी मौजूद है। इस अभ्यारण के आसपास कई जिले हैं जहां पर आप नाव की सवारी के मजे ले सकते हैं। इसके अलावा यहां पर रबड़ और कॉफी के बगानों की 150 से ज्यादा प्रजातियां देखने को मिलेगी। इस वन्य जीव अभ्यारण में बंदरों की भी कई प्रजातियां मौजूद है।
त्रिपुरा की वेशभूषा (Traditional Attire of Tripura)
त्रिपुरा राज्य में कई कुशल बुनकर है। यहां की बुनाई की उत्कृष्टता आपको यहां की वेशभूषा में नजर आएगी। त्रिपुरा के लोगों का ड्रेस पेटर्न अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के मुकाबले काफी अलग है। त्रिपुरा के पुरुषों की वेशभूषा कि यदि बात करें तो इनकी वेशभूषा मुख्यतः दैनिक कार्यों को करने के लिए उपयुक्त होती है। यहां के पुरुष शोल जैसी एक चादर पहनते हैं जिसे “रिकुटु गमछा” कहा जाता है। वहीं गर्मियों में काम करने और धूप से बचने के लिए लोग पगड़ी पहनते हैं। लेकिन आज त्रिपुरा के पुरुषों की वेशभूषा में पश्चिमी संस्कृति और अंतरराष्ट्रीय शैली के शर्ट पैंट का प्रभाव देखा जा सकता है।
यदि बात करें त्रिपुरा की महिलाओं की पोशाक की तो यहां महिलाओं के कपड़े कई टुकड़ों पर बंटे होते हैं। इन टुकड़ों को रिनई के नाम से जाना जाता है। इसके अतिरिक्त यहां की महिलाएं रीसा नामक कपड़े का टुकड़ा पहनती हैं। शरीर के निचले भाग में ‘’स्कर्ट या पेटीकोट” पहना जाता है। यह गहरे नीले रंग का सूती कपड़ा होता है जिसमें पीतल का तार प्रयोग किया जाता है। यहां के आभूषणों में सिक्के और चांदी से बने चूड़ी, कान, नाक के गहने पहने जाते हैं। इसके अलावा फूलों को भी यहां की महिलाएं आभूषण के तौर पर इस्तेमाल करती हैं।
त्रिपुरा का खान पान (Traditional Food of Tripura)
त्रिपुरा सेवेन सिस्टर्स राज्यों में से एक है इसीलिए इन सभी राज्यों का रहन-सहन खान-पान भी बहनों की तरह काफी मिलता-जुलता है। चूंकि त्रिपुरा बांग्लादेश से घिरा हुआ है तो यहां पर बांग्लादेश की संस्कृति और खानपान की छटा भी नजर आती है। यही वजह है कि यहां पर खानपान में ज्यादातर लोग मछली, चावल खाते हैं। यहां के प्रमुख व्यंजनों में मुई बोरोक, मॉस डेंग सेरमा, कोसाई, बवबटी, गुडोक, चुआक, मोमो आदि प्रमुख है।
तो ऊपर दिए गए लेख में आपने जाना त्रिपुरा का इतिहास और रोचक तथ्य (Tripura History and Interesting Facts in Hindi), उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।
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Author:
भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।