Israel’s Iron Dome Air Defence System

Israel’s Iron Dome Air Defence System Hindi
इजराइल का आयरन डोम एयर डिफेंस सिस्टम क्या है? | Israel’s Iron Dome Air Defence System in Hindi

इजराइल का “आयरन डोम” एयर डिफेंस सिस्टम


इजरायल के “आयरन डोम” एयर डिफेंस सिस्टम (Israel’s Iron Dome Air Defence System) के बारे में आप क्या जानते हैं?

आप इस बात से तो वाकिफ होंगे ही कि इज़रायल (Israel) और फिलिस्तीन (Palestine) के बीच संघर्ष (Conflict) जारी है। फिलिस्तीन के गुट हमास (Hamas) के जरिए अब तक इजराइल पर कई हजारों रॉकेट दागे जा चुके हैं। लेकिन सबसे ज्यादा हैरानी की बात यह है कि इनमें से ज्यादातर रॉकेट को इज़रायल ने हवा में ही तबाह कर डाला है। दरअसल, इन रॉकेट्स को इजरायल के “आयरन डोम” मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने हवा में ही नेस्तनाबूद कर दिया है। अब फिलिस्तीन और इजराइल की इस लड़ाई में यह आयरन डोम फिलिस्तीन के उन्नत रॉकेटों पर भारी पड़ रहा है।

आयरन डोम इजराइल की शान कही जाती है। यह इज़रायल के लौह कवच के रूप में काम करता है। यह दावा किया जा रहा है कि इसने हमास के 90 फ़ीसदी रॉकेटों को हवा में ही मार गिराया। ऐसे में इस आयरन डोम को लेकर कई लोगों के जहन में तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं।

जैसे- आयरन डोम क्या है (Iron dome kya hai?), आयरन डोम क्या काम करता है? (Iron dome kya kaam karta hai?), आयरन डोम कैसे काम करता है (Iron dome kaise kam karta hain?), आयरन डोम की कीमत कितनी है (Iron dome ki kimat kitani hain)? आयरन डोम को कब लगाया गया?( Iron dome ko kab lagaya gya?) भारत के पास कौन-सा डिफेंस सिस्टम है? (Bharat k paas konsa defence system hain?) आदि-आदि।

आज हम इस आर्टिकल में आपके सभी सवालों का जवाब देने वाले हैं, इस आर्टिकल को पूरा ज़रूर पढ़ें।

आखिर क्या है आयरन डोम? (What is Iron Dome in Hindi?)

आपने बचपन में वेजिटेबल कटर नामक एक मोबाइल गेम जरूर खेला होगा। इस गेम में आपको सब्जियों को जमीन में गिरने से पहले काटकर नष्ट करना होता था। यही काम करता है इजराइल का आयरन डोम। आयरन डोम एक एयर डिफेंस सिस्टम है जिसे रॉकेट, तोपखाने और मोर्टारों को नेस्तनाबूद करने के लिए बनाया गया है। यह हवा में ही मिसाइलों, रॉकेटों और मोर्टारों को सूंघ लेता है और उन्हें ज़मीन में गिरने से पहले ही ध्वस्त कर देता है। इसकी खासियत यह है कि यह दिन-रात हर मौसम में काम कर सकता है।

यह आयरन डोम अपने क्षेत्र का मुआयना करता है तथा जब इसे यह भनक लगती है कि कोई मुसीबत यानी कि कोई रॉकेट गिरने वाला है तब यह सायरन बजाना शुरू कर देता है, जिससे स्थानीय लोगों को यह भनक लग जाती है कि उन्हें जल्द से जल्द सुरक्षित स्थान पर पहुंचना है। लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचने के लिए सिर्फ 30 से 90 सेकंड का समय मिलता है और इसके बाद ही आयरन डोम ऑपरेटर काउंटर मिसाइल को लॉन्च कर दुश्मनों की तरफ से आ रहे रॉकेट को नष्ट कर देता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि आयरन डोम कैसे काम करता है?

आयरन डोम कैसे काम करता है? (How Iron Dome works?)

आखिर आयरन डोम कैसे काम करता है? और कैसे यह इजराइल की रक्षा कर रहा है?(How iron dome Protects Israel?) आइए इसे आसान शब्दों में समझते हैं। जैसे ही कोई दुश्मन इज़रायल पर कोई रॉकेट छोड़ता है तो तुरंत ही आयरन डोम का सिस्टम एक्टिवेट हो जाता है। यह सिस्टम पूरे क्षेत्र को एनालाइज करता है और देखता है कि इज़रायल की तरफ आने वाला यह रॉकेट किस जगह गिरेगा।

यह सिस्टम देखता है कि यह रॉकेट कहां गिर रहा है। क्या यह किसी रिहायशी इलाके में गिर रहा है या किसी महत्वपूर्ण इमारत पर या फिर किसी खाली जगह पर। जब आयरन डोम के रडार सिस्टम को यह पता चलता है कि यह रॉकेट इज़रायल के रिहायशी इलाके या किसी महत्वपूर्ण इमारत पर गिरने वाला है तो तभी के तभी इसका मोबाइल यूनिट या स्टैटिक यूनिट, इंटरसेप्टर लॉन्च कर देता है जो रॉकेट को गिरने से पहले हवा में ही तबाह कर डालता है।

अब समझते हैं आयरन डोम के मैकेनिज्म को। दरअसल, यह आयरन डोम बैटरी (Iron Dome battery) के साथ काम करता है। बैटरी का काम रॉकेट रोकना होता है। बैटरी के 3 हिस्से होते हैं जिनका नाम है रडार, कंट्रोल सेंटर और लॉन्चर।

1. रडार

आयरन डोम के रडार(Iron dome radar) का काम होता है आसपास के क्षेत्रों का मुआयना करना। जब आस-पास कोई भी रॉकेट फायर किया जाता है तब इस रडार को तभी के तभी पता लग जाता है कि रॉकेट की स्पीड क्या है तथा वह किस रास्ते में आने वाली है। इस रास्ते को टेक्निकल लैंग्वेज में “ट्रैजेक्ट्री” के नाम से जाना जाता है। जैसे ही रडार को रॉकेट की जानकारी मिलती है वे तुरंत इसकी जानकारी आयरन डोम के दूसरे हिस्से “कंट्रोल सेंटर” के पास भेज देता है।

2. कंट्रोल सेंटर

अब बात करते हैं कंट्रोल सेंटर की। इस कंट्रोल सेंटर में हाई स्पीड कंप्यूटर लगाए गए हैं जिनकी मदद से यह पता लगाया जाता है कि रॉकेट किस जगह पर गिरने वाली है। यदि कंट्रोल सेंटर को यह सूचना मिलती है कि रॉकेट किसी वीरान या खाली जगह पर गिर रही है जिससे आबादी को नुकसान नहीं है तो यह उस रॉकेट को गिरने देता है। लेकिन यदि कंट्रोल सेंटर को भनक लगती है कि यह आबादी या फिर किसी महत्वपूर्ण इमारत पर गिरने वाली है तो इस रॉकेट को रोक दिया जाता है।

3. लॉन्चर

कंट्रोल सेंटर यह पता करता है कि रॉकेट कहां गिरने वाला है। यदि उसे लगता है कि यह आबादी में या महत्वपूर्ण इलाके पर गिरने वाला है तो वह लॉन्चर के पास संदेश भेजता है। अब रॉकेट को रोकने का सारा जिम्मा लॉन्चर पर आ जाता है। लॉन्चर में रॉकेट को हवा में तबाह कर देने वाले मिसाइल लगे होते। आयरन डोम के मिसाइलों(Iron dome missile) को “इंटरसेप्टर” कहा जाता है। कंट्रोल सेंटर इंटरसेप्टर को गाइडेंस देता रहता है जिसे इंटरसेप्टर फॉलो करता है। इंटरसेप्टर के अंदर एक छोटा-सा रडार सेट किया गया है। इसी रडार की मदद से इंटरसेप्टर दुश्मन के रॉकेट के करीब जाता है और वही जाकर ब्लास्ट हो जाता है, जिससे दुश्मन का रॉकेट वही हवा में तबाह हो जाता है।

आयरन डोम के तीनों हिस्सों को अलग-अलग जगहों पर तैनात किया गया है। इन तीनों के बीच बड़ी तेजी से वायरलेस डाटा ट्रांसफर होता है।

आयरन डोम का सक्सेस रेट क्या है? (Iron Dome success rate)

इस एयर डिफेंस सिस्टम को बनाने वाली फर्म राफेल एडवांस डिफेंस सिस्टम (Rafael Advanced Defence systems) और इज़रायल सरकार का कहना है कि यह सिस्टम 90 परसेंट कारगर साबित होता है। यानी कि इसकी सक्सेस रेट 90% है हालांकि कई विशेषज्ञ इस बात को नकारते हैं और इस डिफेंस सिस्टम की सक्सेस रेट को 80 फ़ीसदी के करीब बताते हैं।

अभी इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष चल रहा है। गाजा की तरफ से इज़रायल पर हजार से ज्यादा रॉकेट दागा गया जिस पर इजराइली सेना का दावा है कि उन्होंने इनमें से 90 फ़ीसदी रॉकेट को आयरन डोम की मदद से हवा में ही तबाह कर दिया है।

लेकिन कुछ एक्सपोर्ट इसके विपरीत मत देते हैं। उनका कहना है कि बीते कुछ समय में आयरन डॉन की क्षमता में कमी आई है। इस वजह से यह पहले के मुकाबले अब कम रॉकेटों को नेस्तनाबूद कर रहा है।

बात करें आयरन डोम के रेंज(Iron dome range) की तो यह 4 से 70 किलोमीटर दूर के किसी भी रॉकेट को डिटेक्ट करने में सक्षम है।

आयरन डोम की लागत या कीमत कितनी है? (Iron Dome cost)

आयरन डोम के विषय में इज़रायल का कहना है कि यह जिस रॉकेट को गिराता है उस रॉकेट को गिराने की लागत 37 से 65 लाख रुपए आती है। लेकिन कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह आंकड़े गलत है क्योंकि और इसकी लागत डेढ़ करोड़ रुपए से ज्यादा आ सकती है।

वहीं यदि बात करें इस फुल सिस्टम को लगाने के खर्च की, तो इस सिस्टम की यूनिट की कीमत 50 मिलियन डॉलर यानी कि 368 करोड रुपए है। इसके एक तामीर इंटरसेप्टर(Tamir interceptors) मिसाइल की कीमत 80 हजार डॉलर या 59 लाख रुपए हैं तथा एक रॉकेट की कीमत 1 हजार डॉलर यानी कि 74 हजार रुपए है।

आयरन डोम को कब लगाया गया? (When was Iron Dome built & installed)

साल 2006 में इज़रायल और लेबनान के बीच युद्ध हुआ और इस युद्ध में लेबनान ने इज़रायल पर हजारों रॉकेट दागे थे। इस युद्ध से हुई बर्बादी को देखने के बाद इज़रायल सरकार ने फैसला लिया कि वह एक डिफेंस सिस्टम बनाएंगे जिससे उसके शहरों और लोगों को बचाया जा सके। जिसके बाद साल 2011 में आयरन डोम सिस्टम को तैनात किया गया। इस सिस्टम का निर्माण राफेल एडवांस डिफेंस सिस्टम और इज़रायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने मिलकर किया है। इस डिफेंस सिस्टम के अलग-अलग वर्जन भी है इसका एक मोबाइल वर्जन है जो सेना उद्योग और प्रशासनिक इमारतों की रक्षा करता है। वही इसका एक नौसैनिक वर्जन है जो कि समुद्र में तैनात इजराइली जहाजों की रक्षा करता है। इजराइल के इस आयरन डोम को बनाने में अमेरिका ने काफी मदद की। अमेरिका के द्वारा इजराइल को तकनीकी और आर्थिक मदद मिली थी। अब अमेरिका भी इसका मुफीद बन गया है इसलिए उसने इज़रायल से खुद के लिए आयरन डोम बनाने को कहा है। इजराइल अब अमेरिका के लिए ‘स्काई हंटर’ नाम का एक आयरन डोम बना रहा है।

भारत के पास कौन-सा डिफेंस सिस्टम है? (Which Air Defence System does India have)

भारत क्षेत्रफल के हिसाब से काफी बड़ा देश है इसीलिए उसे ऐसे डिफेंस सिस्टम की जरूरत है जो ज्यादा रेंज तक मिसाइलों के हमले से बचा सके। यही वजह है कि भारत, रूस से एयर डिफेंस सिस्टम खरीद रहा है जिसका नाम है S-400। यह डिफेंस सिस्टम रॉकेट, मिसाइल और क्रूज़ मिसाइलों के हमले से देश को बचाएगा। इस डिफेंस सिस्टम की रेंज आयरन डोम से भी ज्यादा है।

तो ऊपर दिए गए लेख में आपने जाना इजराइल का आयरन डोम एयर डिफेंस सिस्टम क्या है? | Israel’s Iron Dome Air Defence System in Hindi, उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।

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Author:

Bharti

भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।