Keshavdas Biography In Hindi

Keshavdas Biography In Hindi
Keshavdas Biography In Hindi | कवि केशवदास का जीवन परिचय

Keshavdas Biography In Hindi | कवि केशवदास का जीवन परिचय

इस पोस्ट में हम केशव दास का जन्म व परिवार, साहित्यिक जीवन, काव्यगत विशेषताएँ, भाषा शैली व मृत्यु आदि से संबंधित जानकारी देंगे।

नामकेशवदास
जन्मसन् 1555 ई. में
जन्म स्थानओरछा, बुंदेलखंड, मध्यप्रदेश 
पिता का नामपं. काशीनाथ 
माता का नामज्ञात नहीं
पत्नी का नामज्ञात नहीं
पेशालेखक, कवि और दरबारी कवि
प्रमुख रचनाएँरसिकप्रिया (सन् 1591)
कवि प्रिया (सन् 1601)
नखशिख (सन् 1601)
छंदमाला
रामचंद्रिका (सन् 1601)
वीर सिंह देव (सन् 1607)
रतनबावनी (सन् 1607)
विज्ञानगीता (सन् 1610)
जहाँगीर जसचंद्रिका
भाषा शैलीसंस्कृत
मृत्यु1617 ई. में
Biography of Keshavdas In Hindi | कवि केशवदास का जीवन परिचय


केशवदास का जन्म व परिवार

प्रसिद्ध कवि केशवदास का जन्म सन् 1555 ई. में मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड के ओरछा में हुआ। केशवदास जिझौतिया ब्राह्मण कुल में पैदा हुए। केशवदास के पिता व स्वयं उनका ओरछा के राजसभा में बहुत मान था। वह आत्मसम्मान के साथ विलासमय पूर्ण जीवन यापन करते थे। ओरछा के राजा महाराज रामसिंह के भाई इंद्रजीत सिंह के केशवदास दरबारी कवि, मंत्री और आचार्य थे और इन्हें इंद्रजीत द्वारा 21 गाँव दिए गए थे।

केशवदास को संस्कृत का बहुत अच्छा ज्ञान था और वह संस्कृत के उद्भट विद्वान थे। ब्राह्मण कुल से होने के कारण इनके कुल में संस्कृत भाषा का फैलाव था। कुल में केवल प्रतिष्ठित लोग ही नहीं बल्कि नौकर-चाकर भी संस्कृत भाषा बोलते थे। वे भावुक एवं रसिक स्वभाव के व्यक्तित्व के थे। केशवदास को हिंदी भाषा में वार्तालाप करना लज्जाजनक लगता था।

लगभग सन् 1608 में ओरछा का राज्य जहांगीर ने वीर सिंह देव को दिया और केशवदास ने अपना जीवन कुछ समय तक वीर सिंह के दरबार में व्यतीत किया। फिर यहाँ से केशवदास गंगातट पर जाकर वहाँ रहने लगे।

केशवदास के पिता का नाम पं. काशीनाथ था। इनके पिता का ओरछा में बहुत प्रसिद्धी और मान सम्मान था। महाराजा वीर सिंह इनका बहुत समर्थन करते थे। वीर सिंह के सहकारी होने के कारण इनकी हर समस्या का हल हो जाता था। ऐसा बताया जाता है कि काशीनाथ की अकबर, बीरबल व टोडरमल से घनिष्ठ मित्रता थी।

केशवदास का साहित्यिक जीवन

केशवदास की शुरुआत से साहित्य की ओर रुचि थी। इन्होंने विभिन्न प्रबंध काव्य, लक्षण ग्रंथ, मुक्तक जैसे सभी प्रकार के ग्रंथों की रचना की है इसलिए वह रीतिकालीन कवि के रूप में जाने जाते हैं। इन्होंने रसिकप्रिया, कवि प्रिया और छंदमाला जैसे लक्षण ग्रंथों की रचना की है।

केशवदास ने व्यवस्थित समय ग्रंथ प्रस्तुत किए है और केशवदास के अलावा शायद ही कोई ऐसा कवि रहा हो जो ऐसा करने में सफल रहा हो। केशवदास का कवि रूप प्रबंध और मुक्तक दोनों प्रकार की रचना में जबरदस्त प्रभुत्व रहा है।

इन्होंने अपनी रचनाओं में मानवीय मनोभावों की भी सुंदर और आकर्षक व्यंजना की है।

केशवदास की रचनाएँ

केशवदास की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं:–

प्रमुख रचनाएँवर्ष
रसिकप्रियासन् 1591
कवि प्रियासन् 1601
नखशिखसन् 1601
छंदमाला
रामचंद्रिकासन् 1601
वीर सिंह देवसन् 1607
रतनबावनीसन् 1607
विज्ञानगीतासन् 1610
जहाँगीर जसचंद्रिका
केशवदास की रचनाएँ
  1. काव्य जगत में केशवदास ने बहुत नाम कमाया है। इनकी अधिकतर रचनाओं ने इन्हें सफलता दिलाई है। इनके द्वारा सन् 1591 में रचित रसिकप्रिया रसविवेचन संबंधी ग्रंथ है जो इन्होंने प्रौढ़ अवस्था में लिखा था। इस ग्रंथ में इन्होंने रस, काव्यदोषों और वृत्ति के उदाहरण व लक्षण का बखूबी बखान किया है। रसिकप्रिया के मुख्य आधारग्रंथ नाट्यशास्त्र, कामसूत्र और रूद्रभट्ट का शृंगार तिलक है।
  2. केशव दास ने कवि प्रिया और नखशिख की रचना 1601 में की। इनके द्वारा रचित कवि प्रिया काव्य शिक्षा संबंधी ग्रंथ है।
  3. सन् 1601 में इनके द्वारा रचित रामचंद्रिका सर्वाधिक प्रसिद्ध महाकाव्य माना जाता है। जिसमें कई ग्रंथों जैसे प्रसन्नराघव, कादंबरी और हनुमन्नाटक आदि की मदद से सामग्री लेकर और फिर इस ग्रंथ की रचना की गई है।
  4. वर्ष 1607 में रचित रतनबावनी में मधुकरशाह के पुत्र रतनसेन की कीर्ति एवं यशोगान का वर्णन किया गया है।
  5. केशवदास ने सन् 1607 वीर सिंह देव की रचना की जिसमें उन्होंने इंद्रजीत सिंह के अनुज वीर सिंह का यशोगान किया।
  6. सन् 1610 में इनके द्वारा रचित विज्ञानगीता, प्रबोधचंद्रोदय के आधार पर रचित एक काव्य रचना है।

केशवदास की भाषा शैली

केशवदास ने अपने काव्य का माध्यम बुंदेलखंडी भाषा को बनाया है। केशवदास की रचनाओं में बुंदेलखंडी भाषा का मिश्रण देखने को मिलता है। जिस प्रकार अन्य अष्ट छाप कवियों में ब्रज भाषा का ढला हुआ रूप मिलता है उस प्रकार का रूप केशवदास की रचनाओं में नही मिलता। केशवदास संस्कृत भाषा की तरह अधिक झुकाव रखते हैं और संस्कृत के प्रकांड पंडित होने के कारण हिंदी भाषा में बात करना इन्हें अपमानजनक लगता था।

संस्कृत के अधिक होने के कारण कभी-कभी तो इनके छंदों तक में संस्कृत भाषा ही मिलती है। इनकी काव्य रचनाओं में अवधि भाषा का भी बराबर प्रयोग देखने को मिलता है।

इनकी रचनाओं में संस्कृत और बुंदेलखंडी शब्दों का अत्यधिक प्रयोग व लंबी लंबी शब्द योजना आदि मौजूद है। जिसके कारण इनकी भाषा में बहुत विलष्टता पाई जाती है। उन्होंने अपनी रचनाओं में मुहावरों व कहावतों का भी बराबर प्रयोग किया है।

केशवदास को छंदों के विषय में भी बहुत गहराई में ज्ञान है। इन्होंने अपने काव्यों में जितने छंदों का प्रयोग किया है उतना आजतक किसी कवि ने नहीं किया। उनके द्वारा रचित रामचंद्रिका में विविधता में छंदों का प्रयोग किया गया है। रामचंद्रिका ग्रंथ में छंदों की विविधता इस सीमा तक पहुँच गई है कि विद्वानों ने इस ग्रंथ को छंदों का अजायबघर कहा है।

केशवदास की मृत्यु

केशवदास हिंदी साहित्य के प्रथम आचार्य माने जाते हैं। काव्य जगत में प्रसिद्धता हासिल करने वाले कवि, हिंदी भाषा के अद्भुत रचयिता केशवदास का निधन सन् 1617 ई. में हुआ।

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तो ऊपर दिए गए लेख में आपने पढ़ा कवि केशवदास का जीवन परिचय (Keshavdas Biography In Hindi), उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।

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Author:

Bhawna

भावना, मैं दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में ग्रैजुएशन कर रही हूँ, मुझे लिखना पसंद है।