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जैविक खेती क्या है और जैविक खेती के फायदे | What is Organic Farming | Organic Farming Benefits in Hindi
विश्व में लगातार जनसंख्या में बढ़ोतरी होती ही जा रही है। भारत जनसंख्या की दृष्टि से दूसरा सबसे बड़ा देश है। बढ़ती जनसंख्या के लिए मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ ही भोजन की आपूर्ति करना काफी ज्यादा मुश्किल काम है। इस वजह से 1960 के दशक में हरित क्रांति की शुरुआत की गई जिससे कि लोगों के लिए भोजन की आपूर्ति को सुनिश्चित की जा सके।
खाद्य पदार्थों के अधिक से अधिक उत्पादन की होड़ में तरह-तरह के रासायनिक उर्वरकों, जहरीले कीटनाशकों का प्रयोग किया जाने लगा। इससे पैदावार तो बढ़ी लेकिन कई तरह की समस्याएं भी सामने आई। जैसे की भूमि की उर्वरक क्षमता खत्म हो जाना, वातावरण का प्रदूषित होना तथा मनुष्य के स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ना।
जिस वजह से वैज्ञानिकों ने रासायनिक खेती करने को लेकर कई बार चेताया है। यही वजह है कि वर्तमान समय में जैविक खेती का महत्त्व काफी ज्यादा बढ़ गया है। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर जैविक खेती क्या होती है? आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं:-
Organic Farming क्या है? (What is Organic Farming in Hindi?)
ऑर्गेनिक फार्मिंग को हिंदी में जैविक खेती के नाम से जाना जाता है। आम बोलचाल की भाषा में इसे “देसी खेती” भी कहा जाता है। दरअसल, जैविक खेती, कृषि की वह पद्धति है जिसमें रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग या तो बिल्कुल नहीं किया जाता या तो बहुत ही न्यूनतम मात्रा में किया जाता है। इस तरह की खेती पूरी तरह से रासायनिक पदार्थों से मुक्त होती है तथा इन्हें प्राकृतिक तरीकों से उगाया जाता है। इस तरह की खेती करने का मुख्य उद्देश्य होता है, भूमि की उर्वरक क्षमता को बढ़ाना, फसल चक्र को बनाए रखना तथा रासायनिक पदार्थों, कीटनाशकों से होने वाले नुकसान को रोकना।
ऑर्गेनिक फार्मिंग के जरिए फसलों में कारखानों से निर्मित रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक और खरपतवारनाशी का प्रयोग नहीं किया जाता। इसमें जीवाश्म खादों का प्रयोग होता है जिससे पर्यावरण प्रदूषण न हो।
जैविक खेती के उद्देश्य (Objectives of Organic Farming)
- मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बनाए रखना। रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल को रोकना।
- फसलों में खरपतवार हो जाने, रोग या कीट लग जाने के दौरान जिन दवाइयों का छिड़काव किया जाता है, उसे रोकना जैविक खेती का उद्देश्य है। इसके माध्यम से प्रयास किया जाता है कि लोगों का स्वास्थ्य ठीक रहे।
- जैविक खेती का उद्देश्य है कि रासायनिक खेती के प्रभाव से पर्यावरण को सुरक्षित करना और जंगली जानवरों की रक्षा करना।
जैविक खेती करने के लाभ (Benefits of Organic Farming in Hindi)
- जैविक खेती की मदद से फसलों की उत्पादकता में बढ़ोतरी होती है।
- हर कोई चाहता है कि उसे अच्छी पैदावार मिले। इस वजह से रासायनिक खाद का प्रयोग लगातार बढ़ता जा रहा है। साथ ही रासायनिक खादों पर निर्भरता बढ़ने से इसके लागत में भी दिन प्रतिदिन बढ़ोतरी हो रही है। अगर जैविक खेती तथा जीवाश्म खादों का प्रयोग किया जाता है तो रासायनिक खादों पर यह निर्भरता तो खत्म होगी ही साथ ही इनके दाम पर भी लगाम लगेगा।
- जैविक खेती करने से भूमि के उपजाऊपन में भी बढ़ोतरी होती है। साथ ही भूमि की जल धारण क्षमता भी बढ़ती है। इससे भूमि के जल स्तर में बढ़ोतरी होती है।
- जैसा कि आप जानते हैं प्राकृतिक खाद बनाने के लिए अपशिष्ट पदार्थों तथा कचरे का उपयोग किया जाता है।
- प्राकृतिक खाद बनाने के लिए कचरे का इस्तेमाल होता है इसलिए इससे बीमारियों में कमी आती है।
- भारत ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर भी फसलों पर रासायनिक खादों का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है। इस वजह से हर कोई इस होड़ में लगा है कि वे ज्यादा से ज्यादा रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल से ज्यादा पैदावार हासिल करें। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाजार पर टिके रहने के लिए जैविक उत्पाद हर गुणवत्ता पर खरे उतरते हैं।
- जैविक खेती से पर्यावरण प्रदूषण नहीं फैलता तथा पर्यावरण में संतुलन बना रहता है।
- जैविक खेती से फसलों के उत्पादन में लगने वाली लागत कम होती है।
इसके अलावा जैविक खेती का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें रासायनिक खेती की तुलना में उत्पादन लागत कम लगती है। लेकिन पैदावार बराबर या उससे अधिक ही हासिल होती है जिससे कृषि की आय में बढ़ोतरी होती है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी यदि जैविक खेती को सामने लाया जाता है तो वे विश्वास के आधार पर मार्केट में अपनी पहचान बनाती है। रासायनिक खेती की वजह से लगातार प्रदूषण में वृद्धि हो रही है। इससे हमारे प्राकृतिक संसाधन व वातावरण भी प्रदूषित हो रहे हैं।
इसके साथ ही रासायनिक खेती से उत्पादित फल और सब्जियां हमारे स्वास्थ्य के लिए भी काफी हानिकारक होती है इसीलिए यदि आप जैविक खेती को अपनाते हैं तो आप मानवीय पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में योगदान दे सकते हैं।
जैविक खेती का इतिहास (History of Organic Farming in Hindi)
ऑर्गेनिक फार्मिंग या जैविक खेती का यह नाम वैज्ञानिकों द्वारा दिया गया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक अब तक जो खेती होती आई है, उसे पारंपरिक खेती कहा जाता है। जैसा कि आप जानते हैं भारत में पारंपरिक खेती के रूप में जैविक खेती की जाती थी जिसमें फसलों को उगाने के लिए किसी भी तरह के रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया जाता था।
लेकिन आजादी के बाद भारत में हरित क्रांति की शुरुआत की गई जिसमें किसानों को आत्मनिर्भर बनाना तथा फसलों का अधिक से अधिक उत्पादन करना लक्ष्य रखा गया। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए फसलों में अलग-अलग तरह के रसायन और कीटनाशकों के प्रयोग पर बल दिया गया जिससे कि फसलों की अच्छी पैदावार सुनिश्चित की जा सके। लेकिन वर्तमान में देखा जाए तो 1960 के दशक में हुई हरित क्रांति और वर्तमान समय में काफी ज्यादा परिवर्तन आ चुका है।
पहले जहां प्रति हेक्टेयर सिर्फ 2 किग्रा रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल किया जाता था। वही वर्तमान में यह प्रति हेक्टेयर 100 किग्रा से भी ज्यादा बढ़ चुका है। यह काफी ज्यादा शोचनीय विषय है कि इतने ज्यादा मात्रा में रसायनों का प्रयोग मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता है।
भरपूर मात्रा में रसायनों के इस्तेमाल से आज पारंपरिक खेती में खाद्यान्नों का उत्पादन तो ज्यादा हो रहा है, लेकिन इस पर मिट्टी की उर्वरक क्षमता खत्म होती जा रही है। कई खेत तो अब तक बंजर स्थिति में पहुंच चुके हैं। कई वैज्ञानिकों ने तो यह भी बताया कि रसायनों का प्रयोग मनुष्य के लिए काफी ज्यादा घातक है। कई रसायनों से मनुष्य में कैंसर जैसी घातक बीमारियां होती हैं।
जैविक खेती कैसे करें? (How to do Organic Farming?)
जैविक खेती करते समय यह ध्यान रखा जाता है कि पर्यावरण में प्रदूषण न हो तथा फसलों के उत्पादन में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का इस्तेमाल न हो बल्कि इसकी जगह गोबर की खाद, जीवाणु खाद, फसलों के अवशेष तथा कचरे के निपटान से बने खाद का इस्तेमाल किया जाए।
जैविक खेती में फसलों को कीड़ों से बचाने के लिए भी प्राकृतिक तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है जो कि पर्यावरण को हानि नहीं पहुंचाता। यही वजह है कि सरकार भी लगातार जैविक कृषि को बढ़ाने के प्रयास कर रही है।
जैविक खेती करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण चरणों का पालन किया जाता है। यह महत्वपूर्ण चरण कुछ इस प्रकार है:-
- सबसे पहले मिट्टी की जांच करवाएं:
जैविक खेती करने के लिए आपको मिट्टी की जांच करवानी जरूरी है। मिट्टी की जांच आप किसी भी निजी लैब सरकारी, एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के प्रयोगशाला में करवा सकते हैं। दरअसल, मिट्टी की जांच इसलिए करवाई जाती है कि आपको पता चल सके कि आपकी मिट्टी में जो कमियां हैं उन्हें कैसे दूर करना है। मान लीजिए आपके मिट्टी में किसी पोषक तत्व की कमी है तो इसके लिए आपको कौन से उपयुक्त उर्वरक और कीटनाशकों का इस्तेमाल करना चाहिए जिसकी मदद से आपकी मिट्टी में उस पोषक तत्व की आपूर्ति हो सके। - जैविक खाद तैयार करना:
जैविक खेती का आधार जैविक खाद पर ही टिका हुआ है इसीलिए जैविक खेती करने के लिए सबसे जरूरी चीज है जैविक खाद को तैयार करना। जैसा कि आप जानते हैं जैविक खाद को प्राकृतिक चीजों से ही बनाया जाता है। इसमें पशुओं के मल-मूत्र गोबर, फसलों के अवशेष, वर्मी कंपोस्ट केंचुआ खाद, हरी खाद आदि शामिल होती है। जैविक खाद 3 से 6 महीने की अवधि के बीच में तैयार हो जाते हैं। - यह दोनों चरण काफी महत्वपूर्ण होते हैं जिसके बाद फसल की बुवाई की जाती है। फसलों को उगाना एक चुनौतिपूर्ण कार्य होता है। फसलों को कीटों और बीमारी से बचाने के लिए नीम की पत्ती का घोल, निंबोली, हल्दी, एलोवेरा, मिर्च, लहसुन आदि का छिड़काव किया जाता है जिससे फसलों को कीड़ों से बचाया जा सके।
100 फीसदी जैविक खेती करने वाला राज्य (State doing 100% Organic Farming in India)
- सिक्किम भारत का ही नहीं अपितु पूरे विश्व का एक ऐसा पहला राज्य है जहां पर 100 फ़ीसदी जैविक खेती की जाती है। इसके लिए सिक्किम को “ग्लोबल फ्यूचर पोलिसी अवार्ड” की श्रेणी में सबसे प्रतिष्ठित ‘स्वर्ण पुरस्कार’ से नवाजा गया।
- सिक्किम में 15.36 फ़ीसदी भूमि कृषि योग्य है। इस भूमि में की जाने वाली खेती रासायनिक उर्वरक तथा कीटनाशकों से मुक्त होती है। इसके साथ ही सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग द्वारा साल 2016 में राज्य में कृषि के लिए किसी भी रसायनिक उर्वरक और कीटनाशकों के उपयोग पर पूर्णतया प्रतिबंध लगा दिया गया था और यदि किसी भी फसल के उत्पादन में रासायनिक उर्वरक, खाद का इस्तेमाल किया जाता है तो उन पर ₹100000 का जुर्माना लगाया जाता है।
तो ऊपर दिए गए लेख में आपने जाना जैविक खेती क्या है और जैविक खेती के फायदे (What is Organic Farming & Organic Farming Benefits in Hindi), उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।
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Author:
भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।