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साईं बाबा की जीवनी | Sai Baba Biography in Hindi
साईं बाबा जो शिरडी के साईं बाबा के नाम से प्रसिद्ध हैं एक अध्यात्मिक गुरु, योगी और फकीर थे। जिन्होंने शिरडी में हिंदू-मुस्लिम धर्म की एकता का प्रसार किया तथा सबका मालिक एक का नारा दिया। साईं बाबा के जीवन में कई प्रकार के चमत्कारों का भी उल्लेख किया जाता है यही वजह है कि उनको मानने वालों की एक बहुत बड़ी संख्या है।
आइए जानते हैं साईं बाबा के जीवन के बारे में-
नाम | साईबाबा |
अन्य नाम | शिरडी वाले साईं बाबा |
पेशा | आध्यात्मिक गुरु, योगी, फकीर |
जन्म तिथि | 28 सितंबर 1838 |
जन्म स्थान | ज्ञात नहीं |
मृत्यु तिथि | 15 अक्टूबर 1918 |
मृत्यु स्थान | शिरडी, महाराष्ट्र |
वैवाहिक स्थिति | अविवाहित |
साईं बाबा का शुरुआती जीवन
साईं बाबा ने 28 सितंबर 1838 में महाराष्ट्र के पाथरी गांव में जन्म लिया। हालांकि अभी भी उनके जन्म स्थान को लेकर विवाद जारी है। उनके माता-पिता के बारे में कोई तथ्य हासिल नहीं है। सत्चरित्र किताब में उनकी सबसे पहली जानकारी सिडनी गांव से मिलती हैं। जानकारी के मुताबिक जब वे 16 साल के थे तब अहमदनगर जिले में स्थित शिरडी गांव में आए थे।
वह वहां एक नीम के वृक्ष के नीचे बैठे तपस्या करते रहते थे जिसे देखकर आसपास के लोग काफी हैरान होते थे। कि इतना छोटा बालक आखिर कैसे इतनी कठोर तपस्या कर सकता है। साईं बाबा ने अपनी तपस्या से कई धार्मिक लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। हालांकि कई लोग ऐसे भी थे जो उन्हें पागल कह कर पत्थर मारा करते थे। ऐसे ही दिन बीतते रहे और एक दिन साईं बाबा गांव से लापता हो गए। इस घटना के कुछ समय बाद शिरडी में साईं बाबा चांद पाटिल नामक व्यक्ति की बारात के साथ वापस आ जाते हैं।
साईं बाबा की शिरडी में वापसी
साईं बाबा 1858 में शिरडी वापस आ जाते हैं। लेकिन वह बिल्कुल एक नए रंग रूप में दिखाई देते हैं। दरअसल उन्होंने अपनी वेशभूषा में बदलाव किया होता है वह अपने घुटने तक एक कफनी बागा पहन लेते हैं तथा सर पर एक कपड़े की टोपी बांधे रखते हैं। इस संबंध में उनके भक्त रामगीर बुआ बताते हैं कि जब साईं बाबा पहली बार शिरडी पहुंचे थे तब उन्होंने खिलाड़ियों की तरह कपड़े पहने थे तथा उनके कमर तक लंबे बाल थे। उनके कपड़ों से प्रतीत हो रहा था कि वह कोई सूफी संत है जिस वजह से गांव के लोग उन्हें मुस्लिम फकीर समझा करते थे। गांव में हिंदुओं की भरमार थी जिस वजह से उनका सत्कार नहीं किया गया।
उन्होंने शिडनी के नीम के पेड़ के नीचे 5 साल बिताए जिसके बाद वह एक जर्जर मस्जिद में रहने लगे। मस्जिद में रहते हुए ही लोग उन्हें भिक्षा दिया करते थे। वे मस्जिद में धूनी जलाते थे जिससे निकली राख भी उन लोगों को दिया करते थे। ऐसी मान्यता है कि उस राख में चिकित्सीय शक्तियां थी। जिससे कई तरह की बीमारियां दूर हो जाती थी। जो भी साईं बाबा से मिलता था वह उन्हें हिंदू ग्रन्थों के साथ-साथ कुरान भी पढ़ने की हिदायत देते थे।
धीरे-धीरे साईं बाबा को कई लोग जानने लगे तथा 1910 तक वे मुंबई में प्रसिद्ध हो गए। उन्होंने हिंदू मुस्लिम एकता को बनाए रखने के लिए सबका मालिक एक का नारा दिया। कहा जाता है कि उन्होंने अपने जीवन काल में हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों को माना। वे हमेशा कहते थे कि, “मुझ पर विश्वास करो तुम्हारी प्रार्थना का उत्तर दिया जाएगा।” हमेशा उनकी जबान में अल्लाह मालिक शब्द रहता था।
साईं बाबा के चमत्कार
साईं बाबा के सम्बंध में उनके द्वारा किए गए कई चमत्कारों का जिक्र किया जाता है जो कि निम्नलिखित हैं:-
- पानी का दिया जलाना
कहा जाता है कि एक बार साईं बाबा ने अपने चमत्कारों से पानी से दिया जला दिया था। दरअसल वे जिस मस्जिद में रहते थे तथा आसपास के मंदिरों में रोजाना दिया जलाते थे। लेकिन इसके लिए उन्हें बनियों से तेल लेना पड़ता था। रोज-रोज फ्री में तेल देकर बनिए थक चुके थे तथा उन्होंने एक दिन साईं बाबा को तेल देने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि तेल खत्म हो चुका है बाबा बिना कुछ कहें वहां से चले गए और अपने मस्जिद वापस आए। उन्होंने वहां पड़े मिट्टी के दीयों में पानी भरा और उससे दिया जला दिया। यह दिया आधी रात तक जलता रहा। जब इस बात का पता बनियों को चला तो वह दौड़ते भागते साईं बाबा से माफी मांगने पहुंचे। साईं बाबा ने उन्हें दोबारा झूठ ना बोलने की हिदायत देकर माफ कर दिया।
- साईं बाबा का बारिश रोकना
साईं बाबा ने तो एक बार मूसलाधार बारिश को रोक दिया था। दरअसल उनके भक्त रायबहादुर अपने पत्नी के साथ साईं बाबा से मिलने शिर्डी पहुंचे। जब वे घर जा रहे थे तब मूसलाधार बारिश शुरू हो गई। साईं बाबा ने प्रार्थना की कि ‘हे अल्लाह, बारिश को रोक दो, मेरे बच्चे घर जा रहे हैं उन्हें शांति से घर जाने दो’ जिसके बाद अचानक बारिश बंद हो जाती है तथा उनके भक्त वापस घर लौट जाते हैं।
- डूबते बच्चे को बचाना
साईं बाबा ने एक बच्चे को भी कुएं में डूबने से बचाया था। जब 3 साल की एक बच्ची 1 दिन कुएं में गिर गई तब गांव वाले उसे बचाने पहुंचे तो देखा बच्ची हवा में तैर रही थी। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि कोई हाथ उसे कुएं में गिरने से रोकने के लिए पकड़ रखा हो। बता दे वह बच्ची साईं बाबा को बहुत ही प्रिय थी वह हमेशा कहा करती थी कि वे साईं बाबा की बहन है। हालांकि इस चमत्कार को लेकर कोई स्पष्टीकरण प्राप्त नहीं है।
- संतान सुख प्रदान करना
साईं के दरबार में एक दिन एक लक्ष्मी नामक स्त्री पहुंचती है और उनसे विनती करती हैं कि उसे संतान सुख प्रदान किया जाए। साईं इस बात पर उन्हें उदी यानी की भभूत देते हैं और कहते हैं कि थोड़ा भभूत खुद खाए व थोड़ा अपने पति को खिलाएं जिसके बाद लक्ष्मी को संतान सुख की प्राप्ति होती है। लेकिन जब वह गर्भवती होती है उस दौरान उसे उसी के किसी दुश्मन द्वारा बच्चा नष्ट करने वाली दवाई दे दी जाती है। जिसके बाद लक्ष्मी का रक्तस्त्राव होने लगता है और वे साईं के दरबार पर पहुंचती है साईं फिर उसे भभूत देते हैं जिसे खाते ही लक्ष्मी का रक्तस्त्राव रुक जाता है और उसे सही समय पर संतान सुख की प्राप्ति होती है। इसके बाद से ही लक्ष्मी जहां भी जाती थी साईं बाबा का गुणगान करती नहीं थकती।
साईं बाबा को लेकर विवाद
- साल 2020 में महाराष्ट्र मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पाथरी को साईं का जन्मभूमि बताते हुए उसके विकास के लिए 100 करोड रुपए देने का ऐलान कर दिया। जिसके बाद से ही शिरडी के निवासी और साईं ट्रस्ट के कार्यकर्ता ने उनका विरोध किया उनका कहना था कि साईं के जन्म को लेकर स्पष्टीकरण नहीं है ऐसे में पाथरी को उनका जन्म भूमि कहना गलत है।
- साईं के जन्म स्थान के साथ ही उनके धर्म को लेकर विवाद है कुछ लोगों का कहना है कि साईं एक मुस्लिम फकीर थे जबकि कुछ का कहना है कि वह हिंदू संत थे। हालांकि इन दोनों ही बातों को लेकर कोई स्पष्टीकरण प्राप्त नहीं है।
साईं बाबा की मृत्यु
साईं बाबा की मृत्यु 15 अक्टूबर 1918 को हुई उन्होंने अपना अंतिम समय शिरडी में ही बिताया जिस वक्त उनकी मृत्यु हुई इस दौरान उनकी आयु 80 वर्ष थी। अपने पीछे उन्होंने कोई अध्यात्मिक वारिस नहीं छोड़ा। हालांकि ऐसा बताया जाता है कि उनके अनुयायी उनकी अनुपस्थिति में उनकी आरती किया करते थे।
साईं बाबा के मंदिर
साईं बाबा आंदोलन उस दौरान शुरू हुआ जब साईं शिर्डी में निवास करते थे। 19वीं सदी तक उनके अनुयायियों में शिरडी के आसपास के गांव के लोग शामिल थे उनका सबसे पहला भक्त खंडोबा पुजारी म्हाळसापती था। साईं बाबा का सबसे पहला मंदिर शिवपुरी में है वही शिरडी साईं बाबा मंदिर में हर दिन 20000 से ज्यादा श्रद्धालु आते हैं। त्योहारों के समय तो उनकी संख्या लाखों तक हो जाती है। आपको बता दें उन्हें मुख्यतः उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु तथा गुजरात में पूजा जाता है। 2012 में तो एक अज्ञात श्रद्धालु द्वारा शिर्डी मंदिर में 11.8 करोड़ रुपए चढ़ाए गए थे।
साईं बाबा पर बनी फिल्में और सीरियल
- शिर्डी के साईं बाबा 1977:- इस फ़िल्म को अशोक वी. भूषण द्वारा निर्देशित किया गया था।
- शिर्डी साईं बाबा:- 7 सितंबर 2001 में आई है फिल्म दीपक बलराज विज द्वारा निर्देशित की गई थी।
- शिर्डी साई:- 6 सितंबर 2012 को इसे रिलीज किया गया था। इसका निर्देशन कोवेलामुदि राघवेंद्र राव ने किया था।
- श्री शिर्डी साईं बाबा महात्यम:- फिल्म का निर्देशन के. वासु द्वारा किया गया था।
- मालिक एक:- 29 अक्टूबर साल 2010 में फिल्म को रिलीज किया गया था इसके डायरेक्टर दीपक बलराज विज थे।
साईं बाबा से जुड़े कुछ रोचक बातें-
- साईं बाबा के जीवन के बारे में अधिकतर जानकारी श्री साईं सत्चरित्र में मिलती है। इस पुस्तक को श्री गोविंदराव रघुनाथ दाभोलकर ने लिखा था उन्होंने इसका लेखन 1910 में शुरू किया जब साईं जीवित थे जो 1918 में जाकर खत्म हुई।
- साल 2012 में नासकॉम के सह संस्थापक केवी रमानी ने श्री साईबाबा संस्थान ट्रस्ट को करीब 110 करोड रुपए दिए जिससे साईं आश्रम बनाया जाए। बता दे, इसमें 14000 श्रद्धालुओं के रहने की जगह है। रमानी द्वारा अपनी कमाई का करीब 80 फ़ीसदी हिस्सा दान दिया गया था।
- साईं बाबा पर 1977 में फ़िल्म बनाई गई जिसका नाम था शिर्डी के साईं बाबा। इस फिल्म में साईं बाबा का किरदार सुधीर दलवी ने निभाया था। जब भी सुधीर कहीं जाते थे साईं बाबा के भक्त उनके पैरों पर गिरकर उनका आशीर्वाद लेने लगते थे।
- साईं बाबा पर एक अन्य फिल्म 2010 में आई इसका नाम था ‘मालिक एक’ फिल्म में जैकी श्रॉफ ने साईं बाबा का किरदार निभाया। कहा जाता है कि फिल्म को करते समय ही जैकी श्रॉफ ने शराब पीना तथा धूम्रपान त्याग दिया था।
तो ऊपर दिए गए लेख में आपने पढ़ा साईं बाबा की जीवनी | Sai Baba Biography | Jivani | Jivan Parichay | Life History | Information in Hindi, उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।
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Author:
भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।