HINDI KAVITA: ठंढ के दिन आए

ठंढ के दिन आए

ठंढ का दिन
धीरे धीरे आ रहा है,
कंबल,रजाई, स्वेटर, जैकेट
टोपी, मफलर अब
निकलने लगे हैं।

गाँवो में तो अब
अलाव भी जलने लगे हैं।
घर/आफिस/दुकान/प्रतिष्ठान में
पंखे विश्राम की मुद्रा में आ गये हैं।

बुजुर्ग साल,स्वेटर में आ गये हैं,
बच्चे अभी नखरे दिखा रहे हैं।
अब सबको सचेत रहने की
जरूरत है भाई,
क्योंकि ये मौसम अपने साथ
बीमारियाँ भी ला रहे हैं,
ठंढ के मौसम जो आ गये हैं।

अगर आप की कोई कृति है जो हमसे साझा करना चाहते हो तो कृपया नीचे कमेंट सेक्शन पर जा कर बताये अथवा contact@helphindime.in पर मेल करें.

यह कविता आपको कैसी लगी ? नीचे 👇 रेटिंग देकर हमें बताइये।

1 Star2 Stars3 Stars4 Stars5 Stars (1 votes, average: 5.00 out of 5)
Loading...

कृपया फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और whatsApp पर शेयर करना न भूले 🙏 शेयर बटन नीचे दिए गए हैं । इस कविता से सम्बंधित अपने सवाल और सुझाव आप नीचे कमेंट में लिख कर हमे बता सकते हैं।

Author:

सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002