नेपोलियन बोनापार्ट की जीवनी

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नेपोलियन बोनापार्ट की जीवनी | Who is Napoleon Bonaparte | Biography | Jivani | Jivan Parichay | Life History | Information in Hindi

नेपोलियन बोनापार्ट की जीवनी | Napoleon Bonaparte Biography in Hindi

विश्व भर में कई ऐसे योद्धा आए जिन्होंने इतिहास के पन्नों में अपने नाम को अमर कर लिया। उन्हीं योद्धाओं में से एक योद्धा थे फ्रांस के नेपोलियन बोनापार्ट, जिन्होंने दुनिया के कई हिस्सों पर अपनी जीत दर्ज की। ऐसा माना जाता था कि युद्ध के मैदान में नेपोलियन 40,000 योद्धाओं के बराबर थे।

आइए जानते हैं इस महान योद्धा नेपोलियन बोनापार्ट के जीवन के बारे में-

नामनेपोलियन बोनापार्ट
अन्यनामजनरल वन्देमेयर, द लिटल कोर्पोरल, नेपोलियन द ग्रेट
जन्मतिथि15 अगस्त 1769
मृत्यु तिथि5 मई 1821
माता का नामलेटीजिए रमोलिनो
पिता का नामकार्लो बोनापार्ट
जन्मस्थानअज़ाशियो, फ्रांस
वैवाहिक स्थितिविवाहित
पत्नीकानामजोसेफीन, मेरी लुईस
धर्मरोमन कैथोलिक
नेपोलियन बोनापार्ट की जीवनी | Who is Napoleon Bonaparte | Biography | Jivani | Jivan Parichay | Life History | Information in Hindi

नेपोलियन बोनापार्ट का प्रारंभिक जीवन (Early life of Napoleon Bonaparte)

15 अगस्त 1769 में महान नेपोलियन बोनापार्ट का जन्म हुआ। वह कोर्सिका द्वीप पर स्थित फ्रांस के अज़ाशियो शहर में पैदा हुए। उनकी माता का नाम लेटीजिए रमोलिनो तथा पिता का नाम कार्लो बोनापार्ट था। इसके अलावा उनके 3 बहने तथा 4 भाई भी थे। उनका परिवार एक अमीर परिवार था। हालांकि 16 साल की उम्र में नेपोलियन बोनापार्ट ने अपने पिता को खो दिया। जिस वजह से उनके भाई बहनों की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई।



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नेपोलियन बोनापार्ट की शिक्षा (Napoleon Bonaparte’s Education)

नेपोलियन बचपन से ही पढ़ाई में होशियार थे इसलिए 9 वर्ष की आयु में उनके माता-पिता ने उन्हें पढ़ाई के लिए फ्रांस भेजा था। बचपन में ही सैन्य अकादमी में उनका दाखिला करवाया गया जिससे वे एक सैनिक बन सके। 1784 तक उनकी सैनिक स्कूल में शिक्षा पूरी हो चुकी थी जिसके बाद उन्होंने पेरिस के कॉलेज में अध्ययन किया। इस कॉलेज में उन्होंने तोपखाने से संबंधित विषयों का ज्ञान हासिल किया।

जल्द ही उनकी प्रतिभा को पहचान लिया गया और 1785 में उन्हें फ्रांस के राजकीय तोपखाने में सब लेफ्टिनेंट की नौकरी हासिल हुई। इस नौकरी में उन्हें ढाई सिलिंग वेतन प्रतिदिन मिलते थे और इन्हीं पैसों से वे अपने भाई-बहनों का पालन पोषण भी करते थे। धीरे-धीरे नेपोलियन की ख्याति बढ़ने लगी और उन्होंने कई प्रभावशाली नेताओं से जान पहचान बना ली जिसके बाद उन्हें आंतरिक सेना का सेनापति बनाया गया।

युद्ध में नेपोलियन बोनापार्ट की भूमिका (Napoleon Bonaparte’s role in the war)

नेपोलियन के पास बहुत अच्छा युद्ध कौशल था जिसके चलते उन्होंने फ्रांस को विदेशी शत्रुओं से मुक्त किया। वे फ्रेंच आर्मी ऑफ इटली के सेनापति बने और सार्डिनिया के कई क्षेत्रों पर विजय हासिल किया। उस दौरान उनकी आयु सिर्फ 27 वर्ष थी। इसके बाद उन्होंने टोलेंन्टिन्ड की संधि पर पोप के हस्ताक्षर करवाए और फ्रांस की अधीनता को स्वीकार करवाया।

उन्हें इंग्लैंड पर आधिपत्य हासिल करने के लिए भेजा गया लेकिन इस बार उनके हाथों में विफलता लगी। उन्होंने मिस्र में विजय हासिल की, जिसके बाद वे पूर्वी एशिया के ब्रिटिश उपनिवेशो पर जीत हासिल करने निकल पड़े।

1798 में वे करीब 35,000 सैनिकों के साथ निकल पड़े धीरे-धीरे उन्होंने रास्ते में पड़ने वाले समस्त राज्यों जैसे कि माल्टा, पिरामिड, सिकंदरिया व नील नदी पर कब्जा जमा लिया। वे भारत पर भी आधिपत्य स्थापित करने के लिए आगे बढ़ रहे थे। हालांकि ब्रिटिश नौसेना की शक्ति के चलते उन्हें अपने कदम पीछे खींचने पड़े और उन्हें पराजय हासिल हुई।



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खुद को किया शासक घोषित (Napoleon Bonaparte as Ruler)

इन सबके बाद नेपोलियन बोनापार्ट वापस फ्रांस लौटा और लौटते ही उन्होंने नई कॉन्सुलेट सरकार की स्थापना कर दी। नेपोलियन ने खुदको ही शासक घोषित किया और जनता ने भी उन्हें 15 दिसंबर 1799 को अपना शासक मान लिया। राज गद्दी पर बैठते ही नेपोलियन द्वारा 25 दिसंबर 1799 को देश का संविधान लागू किया गया और आखिरकार 1804 में सीनेट के द्वारा उन्हें फ्रांस के सम्राट के रूप में स्वीकृति हासिल हुई।

फिर शुरू होता है नेपोलियन बोनापार्ट द्वारा किए गए सुधारों का दौर वे धीरे-धीरे देश की अर्थव्यवस्था, शिक्षा, न्याय प्रणाली तथा प्रशासनिक प्रणाली में सुधार करने लगे। उन्होंने पादरियों का विशेषाधिकार भी समाप्त कर दिया। दरअसल, उनका मानना था कि वह भ्रष्ट होते थे तथा लोगों को अंधविश्वास के जाल में फंसा कर उनका पैसा लूटते थे।

लेकिन उनके जीवन में ऐसा समय भी आया जब उन्हें देश निकाला दे दिया गया। दरअसल, साल 1813 में हुए लाइपत्सिग के युद्ध मे रूस, ऑस्ट्रिया, स्वीडन और प्रशा की संयुक्त सेनाओं ने नेपोलियन को युद्ध मे परास्त किया। इस युद्ध को ‘राष्ट्रों के युद्ध’ (वार ऑफ नेशन्स) के रूप में जाना जाता है। इसमें नेपोलियन ने आत्मसमर्पण करने के बाद फ्रांस के सिंहासन के सारे अधिकार त्याग दिए और इटली के पश्चिम में स्थित एल्बा द्वीप के स्वतंत्र शासक बने। वही दूसरी ओर लुई 18वे को फ्रांस का सम्राट नियुक्त किया गया लेकिन फ्रांस की जनता उससे खुश नहीं थी। जब नेपोलियन को वहां की परिस्थितियों का पता चला तो वह वापस फ्रांस आ गए। आखिरकार लुई 18वां फ्रांस छोड़कर चला गया और नेपोलियन पुनः फ्रांस का सम्राट बना।

नेपोलियन बोनापार्ट का वैवाहिक जीवन (Napoleon Bonaparte’s Marital Life & Wife)

नेपोलियन बोनापार्ट का विवाह 9 मार्च 1796 को जोसेफीन से हुआ। लेकिन बच्चे न होने की वजह से उन्होंने दूसरी शादी ऑस्ट्रिया के सम्राट की पुत्री मेरी लुईस से की जिनसे उन्हें संतान सुख की प्राप्ति हुई।



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नेपोलियन बोनापार्ट की मृत्यु (Napoleon Bonaparte’s Death)

18 जून 1815 में मित्र राष्ट्रों की सेना द्वारा वाटरलू युद्ध छेड़ा गया, नेपोलियन का ये अन्तिम युद्ध था, यह युद्ध करीब 10 घंटे चला। इस युद्ध में नेपोलियन बोनापार्ट ने आत्मसमर्पण करते हुए अपनी हार स्वीकार कर ली।

लेकिन यह बेहद अटपटा सा लगता है क्योंकि विश्वभर में विजय हासिल करने वाले नेपोलियन बोनापार्ट इस लड़ाई में कैसे हार गए। यह सोचने का विषय था। दरअसल, एक रिसर्च के मुताबिक यह कहा जाता है कि बारिश के वजह से नेपोलियन की हार हुई थी। कहा जाता है कि गर्मी के मौसम में अचानक हुई बारिश की नेपोलियन को कभी उम्मीद नहीं थी और यही उनके हार का कारण बनी। हालांकि यही उनकी हार का एकमात्र कारण नहीं हो सकता। इस हार के बाद ही उन्हें बन्दी बनाकर सेंट हैलेना द्वीप भेजा गया। जहां 6 सालों तक उन्हें यातनाएं सहनी पड़ी। अपने जीवन के अंतिम दौर में उन्होंने अपनी वसीयत में लिखा कि, ‘मुझे सोन नदी के तट पर फ्रांस की जनता के बीच दफनाया जाए, जिनसे मैं बेहद अधिक प्यार करता हूं।‘

उनकी मृत्यु के संबंध में दो मत प्रचलित है और इन्हीं को लेकर इतिहासकारों के बीच मतभेद भी है। एकमत कहता है कि वाटरलू युद्ध में हार के बाद नेपोलियन को 1821 में सेंट हैलेना द्वीप भेजा गया था और वही 52 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई। जबकि अन्य इतिहासकारों का कहना है कि उनकी मौत दरअसल पेट के कैंसर की वजह से हुई।

साल 2001 में एक नया तथ्य निकलकर आता है कि नेपोलियन बोनापार्ट की हत्या की गई थी और यह हत्या सेंट हैलेना के उस दौर के तत्कालीन ब्रिटिश गवर्नर और फ्रांस के काउंट ने साथ मिलकर की गयी थी। दरअसल ये तथ्य नेपोलियन बोनापार्ट के बाल के परीक्षण के बाद सामने निकल कर आया कि उन्हें आर्सेनीक जहर देकर मारा गया था।

इसके अलावा फ्रांसीसी वैज्ञानिकों के इतर अमेरिकी वैज्ञानिकों का कहना था कि नेपोलियन बोनापार्ट की बीमारी के इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी।

नेपोलियन बोनापार्ट के बारे में कुछ रोचक तथ्य (Some interesting facts about Napoleon Bonaparte in Hindi)

  • नेपोलियन बोनापार्ट ने फ्रांस में नई विधि संहिता लागू की थी। यह संहिता उस दौर में काफी आधुनिक थी क्योंकि इसमें सिविल विवाह एवं तलाक की प्रथा को मान्यता प्राप्त थी।
  • नेपोलियन बोनापार्ट द्वारा बनाए गए फ्रांस के संविधान के मुताबिक धर्म और जाति के आधार पर नौकरियां मिलने का प्रावधान नहीं था बल्कि योग्यता के आधार पर था।
  • नेपोलियन ने कैथोलिक धर्म को मान्यता तो दी थी। हालांकि वह सभी धर्मों को बराबर सम्मान देते थे।
  • नेपोलियन ने देश के आर्थिक विकास के लिए कई व्यापार को छूट दी और व्यापार सुचारू रूप से हो सके इसलिए सड़कों का निर्माण करवाया।
  • नेपोलियन बोनापार्ट ने अपने जीवन काल के दौरान करीब 60 युद्ध लड़े जिनमें से 7 में वे पराजित हुए
  • फ्रांसीसी विशेषज्ञों द्वारा साल 2001 में नेपोलियन बोनापार्ट के बाल के परीक्षण में यह तथ्य सामने आया कि उन्हें आर्सेनिक नामक एक जहर दिया गया था।



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Author:

भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।