Hindi Kavita on Friendship

Last updated on: August 1st, 2021

Hindi Kavita on Friendship
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मेरा मित्र

मित्र वहीं जो दुःख में काम आता है,
अपने मित्र के सुख में साथ जताता है
लोगो की लाख बोलियां वह मित्र के लिए
खुद ही चुपके – चुपके से सह जाता है।

कभी – कभी वो भाई का काम भी कर जाता है,
दौड़ा चला आता है मेरा मित्र मेरे साथ हो जाता है,
साथ निभाने की कला वो जनता है बहुत अच्छे से,
दुश्मन को भी दोस्त बनाने की कला वो जनता है।।

मित्र के प्रेम से बड़ा न कोई प्रेम होता है
प्राण से बड़ा मेरे मित्र का प्रेम होता है,
जो मन लेता है जीत मित का अपने,
जग में जितने को कुछ बाकी नहीं होता है।

मित्र होती कभी पत्नी, कभी भाभी होतीं है,
कभी माता, कभी भाई, कभी बहना होतीं है,
कभी दादा, कभी दादी, कभी नानी, कभी नाना,
कभी सुख भी कभी दुःख भी हमारा मित्र होता है।।

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Author:

Nirbhay Soni

मेरा नाम निर्भय सोनी है और मैं उत्तर प्रदेश के रहने वाला हूँ। मुझे लिखने में अच्छी रूचि है। मुझे विश्वास है कि आप लोगों को मेरा ये लेख जरुर पसन्द आएगा। आप लोग अपना आशिर्वाद और प्यार इसी तरह बनाए रखिये। 🙏🏻😊