मदर टेरेसा का जीवन परिचय

Last updated on: January 4th, 2021

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मदर टेरेसा की जीवनी | Mother Teresa biography in Hindi

मानव सेवा के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाली मदर टेरेसा महान नारी थीं, उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन दूसरों की सेवा में लगा दिया। मदर टेरेसा एक ऐसी महान आत्मा थीं जिनके दिल हमेशा दूसरों के लिए प्रेम से भरा रहा। उनसे किसी की पीड़ा देखी नहीं जाती थी और वह सदैव दूसरों की सहायता और सेवा करने के लिए तत्पर रहती थी तो आइए जाने मदर टेरेसा के बारे में-

मदर टेरेसा का प्रारंभिक जीवन

मदर टेरेसा का जन्म(Mother Teresa birthday) 26 अगस्त 1910 को स्कॉप्जे (अब मैसेडोनिया) में हुआ था। मदर टेरेसा का वास्तविक नाम अगनेस गोंझा बोयाजिजू था। गोंझा का अर्थ अल्बेनियन भाषा मे फूल की कली होता है। उनकी माता का नाम द्राना बोयाजू व पिता निकोला बोयाजू थे, पिता एक साधारण व्यवसाई थे। जब मदर टेरेसा आठ वर्ष की थी तो उनके पिता का देहांत हो गया जिसके बाद उनका पालन पोषण उनकी माता ने किया। मदर टेरेसा अपने पांच भाइयों भाई बहनों में सबसे छोटी थी। उनके दो भाई बहन बचपन में ही गुजर गए।

मदर टेरेसा को पढ़ाई के साथ गाने का भी शौक था। बचपन में वह अपनी बहन के साथ पास के गिरजाघर जाती थी और वहाँ गाना गाती थी, वे वहां की मुख्य गायिका भी थी। केवल 12 साल की आयु में होने का फैसला कर लिया कि उन्हें अपना पूरा जीवन मानव सेवा में बिताना है। 18 साल की आयु में वह सिस्टर्स ऑफ लोरेटो मे शामिल हुई थी जिसके बाद वह आयरलैंड अंग्रेजी सीखने गई थी, क्योंकि लोरेटो सी सिस्टर अंग्रेजी भाषा के माध्यम से ही भारत में बच्चों को पढ़ाया करती थी।

मदर टेरेसा पूर्ण/वास्तविक/ मूल नाम (Mother Teresa full/real/original name)अगनेस गोंझा बोयाजिजू
मदर टेरेसा का जन्म कब हुआ था (Mother Teresa birthday/when Mother Teresa born)26 अगस्त 1910
मदर टेरेसा का जन्म कहाँ हुआ था (Where Mother Teresa born)स्कॉप्जे, उत्तर मैसेडोनिया
मदर टेरेसा का निधन कब हुआ था (Mother Teresa death date/when mother Teresa died)5 सितंबर 1997

मदर टेरेसा का भारत आगमन और सेवा

मदर टेरेसा वर्ष 1929 में बाकी नन के साथ भारत के दार्जिलिंग शहर आई थी, यहां पर उन्हें मिशन स्कूल में पढ़ाने के लिए भेजा गया था। वर्ष 1931 में उन्होंने नन के रूप में प्रतिज्ञा ली थी और कोलकाता शहर आकर गरीब लड़कियों को पढ़ाने लगी। यहां पर उन्होंने डबलिन की सिस्टर लोरेटो द्वारा सेंट मैरी स्कूल की स्थापना की, मदर टेरेसा कई वर्षों तक इस स्कूल में पढ़ाती रही। स्कूल में पढ़ाने के साथ-साथ वह कलकत्ता में गरीबों की पूरे मन से सेवा भी करती थी। वर्ष 1937 में उनको मदर की उपाधि से सम्मानित किया गया।

वर्ष 1944 में वह सेंट मैरी स्कूल की प्रिंसिपल नियुक्त हुई। आजादी के दौरान वर्ष 1946 में हो रहे दंगों में मदर टेरेसा ने गरीब और लाचार लोगों की सहायता करने का निर्णय लिया। वह पटना के होली फैमिली हॉस्पिटल में नर्सिंग ट्रेनिंग के लिए आई और वर्ष 1948 में वापस कोलकाता लौट गई। और वहां से तालतला गई जहां पर उन्होंने गरीब, मरीज और घायल लोगों की सेवा की।

1948 में मदर टेरेसा ने स्कूल छोड़ दिया और पूरे तन मन से लोगों की सेवा में लग गई। काम छोड़ने की वजह से उनके पास आमदनी का कोई रास्ता नहीं था लेकिन वह घबराई नहीं। अपने प्रभु पर भरोसा करते हुए वह इस काम में लगी रही।

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सफेद रंग की नीली धारी वाली साड़ी में यह महिला महिला लोगों की निस्वार्थ भाव से सेवा करने में लग गई और धीरे-धीरे सब का ध्यान इन पर केंद्रित होने लगा और बहुत से लोग इनकी सहायता के लिए आगे आए।

मिशनरीज ऑफ चैरिटी

वेटिकन से अनुमति मिलने के बाद 7 अक्टूबर 1950 को मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की गई। इस संस्था का उद्देश्य गरीब, भूखे, बीमार और बेघर लोगों की सहायता करना था। इस संस्था की शुरुआत तो केवल 13 लोगों से हुई थी पर आज के समय में इस से 4 हजार से भी अधिक सिस्टर जुड़ी हुई है जो दुनिया भर में गरीबों और बीमार लोगों की सेवा कर रही हैं।

निर्मल हृदय और निर्मला शिशु आश्रम

मदर टेरेसा ने निर्मल हृदय और निर्मला शिशु नाम से दो आश्रम भी शुरू किए। निर्मला हृदय, बीमार और पीड़ित गरीब व्यक्तियों की सेवा के लिए शुरू किया गया था। निर्मला शिशु भवन अनाथ और बेघर गरीब बच्चों की सहायता के लिए शुरू किया गया था।

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पुरस्कार व सम्मान

मदर टेरेसा को उनकी उदारता और मानवता सेवा के लिए बहुत सारे पुरस्कार और सम्मान मिले।

भारत सरकार द्वारा वर्ष 1962 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया, इसके बाद वर्ष 1980 में सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया गया।

वर्ष 1985 में संयुक्त राज्य अमेरिका ने उन्हें मेडल ऑफ फ्रीडम पुरस्कार से नवाजा।

वर्ष 1979 में मदर टेरेसा को नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया। इस पुरस्कार में मिली 1,92,000 रुपयों की धनराशि को उन्होंने गरीबों के लिए फंड के तौर पर इस्तेमाल किया।

मदर टेरेसा की मृत्यु

वर्ष 1983 में 73 वर्ष की आयु में मदर टेरेसा को पहला दिल का दौरा पड़ा और इसके बाद निरंतर उनका स्वास्थ्य गिरता जा रहा था। वर्ष 1989 में उनको दूसरा हार्ट अटैक आया।

मार्च 13,1997 में उन्होंने मिशनरीज ऑफ चैरिटी के मुखिया का पद त्याग दिया था और सितंबर 5,1997 को उनका निधन हो गया।

मदर टेरेसा की कुछ अनमोल विचार (Mother Teresa quotes)

  1. मैं चाहती हूं कि आप अपने पड़ोसी के बारे में चिंतित हो।
  2. यदि आप सौ लोगों को नहीं खिला सकते तो एक ही खिलाइए।
  3. शांति की शुरुआत मुस्कुराहट से होती है।
  4. जहां जाइए प्यार फैलाइये, जो भी आपके पास आएगा और खुश होकर लौटे।
  5. छोटी चीजों में वफादार रहिए क्योंकि इन्हीं में आप की शक्ति निहित है।
  6. खूबसूरत लोग हमेशा अच्छे नहीं होते लेकिन अच्छे लोग हमेशा खूबसूरत होते हैं।
  7. कल जा चुका है, कल अभी आया नहीं है, हमारे पास केवल आज है, चलिए शुरुआत करते हैं।
  8. दया और प्रेम भरे शब्द छोटे हो सकते हैं लेकिन वास्तव में उनकी गूंज अनंत होती है।
  9. एक जीवन जो दूसरों के लिए नहीं जिया गया वह जीवन नहीं है।
  10. हम सभी महान कार्य नहीं कर सकते लेकिन हम अन्य कार्यो को प्रेम से कर सकते हैं।
  11. यदि हमारे मन में शांति नहीं है तो इसकी वजह है कि हम यह भूल चुके हैं कि हम एक दूसरे के हैं।
  12. भगवान यह अपेक्षा नहीं करते कि हम सफल होगे, वह तो केवल इतना ही चाहते हैं कि हम प्रयास करें।
  13. यह महत्वपूर्ण नहीं है कि आपने कितना दिया, बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि देते समय आपने कितने प्रेम से दिया।

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निष्कर्ष

मदर टेरेसा मानवता का सबसे बड़ा उदाहरण है। जब वह भारत आई और यहां पर गरीब लोगों और बच्चों की हालत देखी तो उनका हृदय कराह उठा और उन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों की सेवा करने में व्यतीत करने का निर्णय लिया। वह आजीवन इस कार्य में लगी रही और अपने अंतिम समय तक अपने इस व्रत का पालन करती रही।

Author:

आयशा जाफ़री, प्रयागराज