HINDI KAVITA: जलेबी
जलेबी मेरी शक्ल सूरत ही मत देखिए, मेरे अंदर भी झाँकिए। माना कि उलझा उलझा है तन मेरा, पर इसकी चिंता मैं क्यों करुँ? मैं अपना स्वभाव नहीं छोड़ती, अपनी व्यथा का रोना नहीं रोती शांत भाव से मिठास बाँटती हूँ, खौलते तेल में जाकर भीअपना स्वभाव नहीं बदलती हूँ। सीख देने की कोशिशलगातार करती […]