धर्म-अधर्म
धर्म अधर्म
विचार तो कीजिये,
आगे बढ़िए।
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धर्म बेधर्म
मत करिए भाई
संयम रखें
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धर्मानुरागी
प्रेरक व्यक्तिव
सदविचारी
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धर्म का अंधा
अंधानुकरण नहीं
विचार करो।
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अधर्मियों का
गलत मार्ग होगा
बच के रहो।
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अधर्मी कभी
सत्य के पथ पर
आ सकता है
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धर्म को चोखा
धंधा न बनाइये
रहने भी दें।
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About Author:
✍सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002