Advocate & Lawyer Difference

Difference between Advocate & Lawyer in Hindi
अधिवक्ता और वकील में अंतर | Difference between Advocate & Lawyer in Hindi

अधिवक्ता और वकील में अंतर

कानूनी पेशे में कई तरह के जटिल शब्दों का प्रयोग किया जाता है। लेकिन इस पेशे के बाहर के आम लोग जिनका कानूनी पढ़ाई से कोई लेना-देना नहीं होता उन्हें इन शब्दों को समझने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

अधिवक्ता और लॉयर जैसे शब्दों का इस्तेमाल आम बोलचाल की भाषा में पर्यायवाची के रूप में कर दिया जाता है। लेकिन कानूनी तौर पर इनमें कई अंतर विद्यमान होते हैं। कई लोग जो किसी कानूनी कार्यवाही में सम्मिलित होते हैं उन्हें पता नहीं होता है कि वे अपना केस किसी वकील के पास ले जाएं या किसी अधिवक्ता के पास।

ऐसे में इन दोनों के मध्य के अंतर को समझाने के लिए आज हम इस आर्टिकल में आपको बताएंगे कि अधिवक्ता और एक लॉयर कौन होते है तथा एक अधिवक्ता और लॉयर का काम कैसे अलग होता है व उनमें क्या-क्या अंतर होते हैं।

अधिवक्ता कौन होते हैं? (Who is an Advocate in Hindi?)

अधिवक्ता या एडवोकेट वह व्यक्ति होता है जो कानून की पढ़ाई तो पूरी कर चुका है साथ ही मौजूदा समय में वे किसी न्यायालय में वकील के रूप में प्रैक्टिस कर रहा होता है। यानी कि एक अधिवक्ता वह व्यक्ति होता है जो अब विद्यार्थी नहीं है बल्कि दूसरों का केस लड़ने में सक्षम है। अधिवक्ता अधिनियम 1961 की धारा 2(1) ए के तहत अधिवक्ता शब्द को परिभाषित किया गया जिसके मुताबिक, ‘अधिवक्ता अधिनियम 1961 के प्रावधान के मुताबिक वह व्यक्ति एक वकील है जो किसी भी रोल में दर्ज हो।‘

दरअसल, जो छात्र कानून की पढ़ाई पूरी करके डिग्री हासिल कर चुके है। उन्हें डिग्री हासिल करने के बाद ऑल इंडिया बार काउंसिल एसोसिएशन द्वारा आयोजित परीक्षा को पास करना जरूरी होता है। इस परीक्षा को पास करने के बाद उन छात्रों को सनद मिलता है। आपको बता दें, सनद भारत की अदालतों में अभ्यास करने की पात्रता का मानदंड होता है। सनद को हासिल करने वाला व्यक्ति ही अधिवक्ता कहलाता है।

एक एडवोकेट अदालत में अपने मुवक्किल का प्रतिनिधित्व करता है तथा वह अपने मुवक्किल का पक्ष रखता है। हर अधिवक्ता एक लॉयर होता है क्योंकि Advocate (अधिवक्ता), लॉयर से एक कदम आगे का पद (Post) होता है। पहले व्यक्ति एक लॉयर होता है जो आगे जाकर अधिवक्ता बनता है।

आपने गांधीजी के बारे में अक्सर यह बात पढ़ी होगी कि गांधीजी दक्षिण अफ्रीका में बैरिस्टर थे। दरअसल, एडवोकेट को ही स्कॉटिश और दक्षिण अफ्रीका में बैरिस्टर के नाम से जाना जाता है।

वकील कौन होते हैं? (Who is a Lawyer in Hindi?)

जो व्यक्ति विधि स्नातक और कानून का जानकार होता है एवं जिसके पास LLB की डिग्री होती है, वह लॉयर कहलाता है। लेकिन एक लॉयर तब तक कोर्ट में केस नहीं लड़ सकता जब तक उसे बार कॉउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) से सनद नहीं मिलती। यह सनद हासिल करने के लिए उसे BCI के द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षा को पास करना ज़रूरी होता है। जब तक वह इस परीक्षा को पास नहीं कर लेता तब तक वह अधिवक्ता के रूप में खुद का रजिस्ट्रेशन नहीं कर सकता। जैसे ही वह इस परीक्षा को पास कर लेता है, वैसे ही वह कोर्ट में केस लड़ने के लिए सक्षम हो जाएगा।

ऐसे में हम कह सकते हैं कि वकील, अधिवक्ता बनने से एक चरण पीछे होता है। भले ही वकील कोर्ट में केस नहीं लड़ सकता लेकिन उसके अलावा वह कई काम करता है जैसे वकील का काम होता है कानूनी सलाह देना, जनहित याचिकाओं को दायर करना आदि।

अधिवक्ता और वकील के बीच अंतर (Advocate and Lawyer difference in Hindi)

  1. वह व्यक्ति जिसने कानून की पढ़ाई और प्रशिक्षण पूरा कर लिया हो वह अधिवक्ता कहलाता है, अधिवक्ता किसी न्यायालय में केस लड़ सकता है। वह व्यक्ति वकील कहलाता है जिसने अभी कानून की पढ़ाई पूरी न की हो तथा वह कोर्ट में केस लड़ने में सक्षम न हो।
  2. हर अधिवक्ता एक लॉयर होता है लेकिन हर लॉयर एक अधिवक्ता नहीं होता।
  3. लॉयर शब्द का प्रयोग हर उस व्यक्ति के लिए किया जाता है जिसके पास कानून की डिग्री होती है। वही एक अधिवक्ता बार काउंसलिंग की परीक्षा पास करने के बाद सनद हासिल करता है और वही अदालतों में मुवक्किल का प्रतिनिधित्व करने की क्षमता रखता है।
  4. बार काउंसलिंग ऑफ इंडिया सभी अधिवक्ताओं की गतिविधियों को नियंत्रित करता है जबकि यह वकीलों के आचरण को विनियमित नहीं करता।
  5. वकील के पास सिर्फ अकादमिक का अनुभव होता है जबकि अधिवक्ताओं के पास न्यायालय का अनुभव होता है।
  6. वकील के पास न एक्सपीरियंस होता है न ही उन्होंने किसी क्लाइंट का केस लड़ा होता है। लेकिन एक अधिवक्ता ने न सिर्फ डिग्री हासिल की होती है बल्कि उसने कानूनी क्षेत्र में कानूनी पेशे के रूप में अभ्यास भी किया होता है।
  7. वकील स्वयं कोई भी अन्य व्यवसाय कर सकते हैं जबकि अधिवक्ता किसी अन्य व्यवसाय या पेशे में संलग्न नहीं हो सकते।
  8. वकील किसी भी शैक्षणिक गतिविधियों जैसे कि शिक्षण आदि के रूप में पूर्णकालिक रूप से शामिल हो सकते हैं। लेकिन अधिवक्ता इन गतिविधियों में शामिल तो हो सकते हैं लेकिन पूर्णकालिक रूप से नहीं।
  9. अधिवक्ता अदालत में मुवक्किल का प्रतिनिधित्व करने व उनका पक्ष रखने में सक्षम होता है जबकि वकील (Lawyer) का काम होता है कानूनी सलाह देना तथा जनहित याचिकाओं को दायर करना।
  10. अमेरिका में एडवोकेट शब्द का इस्तेमाल नहीं होता वहां लॉयर शब्द प्रचलन में है। वही यूनाइटेड किंगडम और अन्य राष्ट्रीय मंडल राष्ट्र में एडवोकेट शब्द का इस्तेमाल किया जाता है।
  11. एक अधिवक्ता को मुवक्किल का केस लड़ने के लिए हायर किया जाता है। वहीं एक वकील को कानूनी परामर्श देने के लिए हायर किया जाता है।
  12. एक अधिवक्ता को वकील के मुकाबले ज्यादा शुल्क दिया जाता है क्योंकि उसके पास उच्च शिक्षा के साथ अनुभव भी होता है।

निष्कर्ष

इस लेख में हमने जाना कि एडवोकेट और लॉयर क्या होते है तथा यह दोनों एक-दूसरे से कैसे अलग होते हैं? ऊपर बताए गए अंतरों से यह तो स्पष्ट होता है कि लॉयर और एडवोकेट एक दूसरे के पर्यायवाची की तरह लगते हैं जिस वजह से कई लोग इन्हें एक मान लेते हैं हालांकि इनमें कई अंतर विद्यमान होते हैं।

कई लोग कानूनी लफड़ों में फंस जाते हैं जिससे उन्हें बाहर निकालने के लिए एडवोकेट और लॉयर ही काम आते हैं। लेकिन इन लोगों को यह पता नहीं होता कि है आखिर एडवोकेट से मदद लें या लॉयर से। इसीलिए आम लोगों के लिए भी इन दोनों के अंतर को जानना जरूरी होता है।

इसके साथ ही इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि लॉयर व एडवोकेट जैसे शब्दों का इस्तेमाल किस सन्दर्भ में भारत में होता है। वहीं इन्हीं शब्दों का इस्तेमाल अलग-अलग देशों में अलग-अलग सन्दर्भ में होता है। जैसे स्कॉटिश और दक्षिण अफ्रीका में एडवोकेट को बैरिस्टर के नाम से जाना जाता है, परंतु अमेरिका में एडवोकेट जैसा कोई शब्द ही प्रचलन में नहीं है।

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तो ऊपर दिए गए लेख में आपने जाना अधिवक्ता और वकील में अंतर | Difference between Advocate & Lawyer in Hindi, उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।

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Author:

Bharti

भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।