बुरा मत मानना
कोई कुछ कह जाए तो बुरा मत मानना ,
प्यार से अच्छा कह जाए तो बुरा मत मानना।
जिस तरह हम साथ चलते,साथ मिलते हैं,
गर कोई इश्क कह जाए तो बुरा मत मानना।
हम जानते हैं यह नशा है देह का,
कोई दूसरा छू जाए तो बुरा मत मानना।
आँख खुली , मन खुला, तुम खुला देखते हो,
गलती से ढका दिख जाए तो बुरा मत मानना।
न इज्जत है मिली मुझको और न ही प्यारी है,
कभी खुद्दारी का तैश आ जाए तो बुरा मत मानना।
बढ़ेगी शाख आंगन में जड़ें मजबूत भी होंगी,
तुलसी सूख जाए तो बुरा मत मानना।
मैली है मगर सरिता बह रही है,
कहीं कुछ प्यास रह जाए तो बुरा मत मानना।
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मेरा नाम आदित्य रंजन सुधाकर”रंजन” है और मैं सुल्तानपुर, उ.प्र. का रहने वाला हूँ। मुझे लिखने में अच्छी रूचि है।