HINDI KAVITA: दिखावटी समाज

Last updated on: October 26th, 2020

दिखावटी समाज

मन को छुपा के रख
इस झूठे दिखावटी समाज से

जो मिलने का हक ना दे
जो खिलने का हक ना दे

जो बांध कर रखे
काली रात में काले कमरे मे जंग लगी बेडी के समान

जो अपने मान के लिए करवाए
भूतकाल वर्तमान और भविष्य का बलिदान

जो इस दीवार के बाहर गया
उसे निकाला गया समाज से

पर क्यों फंसे हुए है
हम इसके जाल मे

जो दिखा रहा है
यह अपना महान होने का रूप

और इंसानो मे ला रहा है
विभाजन का एक नया स्वरूप

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About Author:

नाम हेमंत सोलंकी है, निवासी दिल्ली का हूंँ। लेखक बनने का है सपना और शुद्ध कर सको समाज को यह अरमान है अपना। 🙏🏻😊