मजदूर की लाचारी
कुछ लोग है बारिश से परेशान,
कुछ है कोरोना से बीमार अभी।।
मजदूर है दो रोटी को लाचार,
शहर से आया था द्वार अभी।।
इतने में बीबी और बच्चे बोल पड़े,
तुम्हरे हाथ नहींं है कुछ पागार अभी।।
सरकार कही थी गांव में हैं रोजगार,
खोज रहा हूंँ मिला नहीं जुगार अभी।।
कहने को तो सब कहते हैं सरकार,
कहानी सुनकर हो गया बीमार अभी।।
थोड़ी अगर होती चिन्ता उनको तो,
इतनी स़ख्या ना करती पार अभी।
करेंगें काम यंही गांव की मिट्टी में
लोग नहीं है जागरूक तो सरकार अभी।।
कितने कारखाना और उद्योग तुले है,
मजदूर बुलाने को कोई नहीं है तैयार अभी।।
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