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मेरा मोबाईल… 🙂
मेरा मोबाईल मेरा दोस्त था।
रिश्तों से बड़ा समझता था।।
मेरे अकेलेपन का साथी था।
और किसी से मेरा मतलब था।।
क्योंकि मेरा मोबाईल मेरे पास था।
बिना हाथ हिलाए सबको हाय, हैलो करता था।।
अंगुठा भी कमाल है बस इसका ही इस्तेमाल था।
असल में तो यह बहुत ही समझदार था।।
क्योंकि मेरा मोबाईल मेरे पास था।
जब बिगड़ गया तो याद आया अपनों की ।।
तब कोई मेरे पास था।
तन्हा सी हो गई जिंदगी।।
अब समझ आई जिंदगी
दोस्त मेरा दोस्त था।।
मोबाईल मेरा होस्ट था।
रिश्ते मेरे साथ न था।।
मोबाईल मेरे हाथ था।
क्योंकि मेरा मोबाईल मेरे पास था।।
मेरा मोबाईल मेरे पास नहीं।
अब कोई गम नहीं।।
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मेरा नाम निर्भय सोनी है और मैं उत्तर प्रदेश के रहने वाला हूँ। मुझे लिखने में अच्छी रूचि है। मुझे विश्वास है कि आप लोगों को मेरा ये लेख जरुर पसन्द आएगा। आप लोग अपना आशिर्वाद और प्यार इसी तरह बनाए रखिये। 🙏🏻😊