HINDI KAVITA: संस्कार

संस्कार

संस्कारों का भी अपना संसार है,
संस्कारों पर भी सबके अलग मानदंड हैं।

सब अपने अपने ढंग से
संस्कार ही तो देते हैं,

पर उन संस्कारों की परिधि से
खुद को दूर ही रखते हैं।

आज संस्कार भी विडम्बनाओं के
जाल में उलझकर रह गया है।

बाप बेटे को संस्कार ही तो देता है,
अपने माँ बाप की उपेक्षा,

अनादर करके,
माँ बहू से बड़ी अपेक्षा रखती है पर

बेटी को वही बात नहीं समझाती है।
हम औरों को संस्कार सिखाते हैं,

परंतु खुद उनकी परिभाषा तक
नहीं जानना चाहते।

क्योंकि संस्कार तो
औरों के लिए है,

हम तो संस्कारों की परिधि
बहुत पीछे छोड़ आये हैं।

Read Also:
HINDI KAVITA: हिंदी
HINDI KAVITA: अस्तित्व बचाइए
HINDI KAVITA: लौटकर नहीं आओगी
HINDI KAVITA: पल

अगर आप की कोई कृति है जो हमसे साझा करना चाहते हो तो कृपया नीचे कमेंट सेक्शन पर जा कर बताये अथवा contact@helphindime.in पर मेल करें.

1 Star2 Stars3 Stars4 Stars5 Stars (1 votes, average: 5.00 out of 5)
Loading...

About Author:

सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002