आज हिंदी भाषा परेशान हैं
मैं उस देश की भाषा हूं
जिसका नाम भारत है
जो बटा है अनेक भाषाओं में
पर जुड़ा है मुझसे
मैं ना हिंदू की ना मुसलमान की
मैं भाषा हूं हिंदुस्तान की
मुझे वेदों में तब्दील कर या कुरान में
दोनों ही मुझ पर जचते हैं
मैं भाषा हूं हिंदुस्तान की
मुझ में सारे धर्म बसते हैं
बस कमी इतनी सी खलती है
क्यों नहीं हो रहा है मेरा अब विकास
सुना है आजकल कुछ विद्यालयों में चल रहा है
मेरे बोलने पर दंड का प्रावधान
मैं नहीं चाहती मैं अतीत बन जाऊं
ए परिंदों पकड़ लो मेरा हाथ
जिससे मैं भी विश्व भर में मशहूर हो जाऊ
हाय
हाय हाय होती है।
यह दुनिया सारी रोती है।
भागती हुई दुनिया में।
यह अपनी माला पर पिरोती है।
दुनिया में ना आने का सुख।
ना दुनिया से जाने का दुख।
हाय हाय करते हुए।
यह अपना जीवन खोती है।
हाय हाय होती है।
यह दुनिया सारी रोती है।
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About Author:
नाम हेमंत सोलंकी है, निवासी दिल्ली का हूंँ। लेखक बनने का है सपना और शुद्ध कर सको समाज को यह अरमान है अपना। 🙏🏻😊