HINDI KAVITA: परोपकार

परोपकार

संवेदनशील भाव
संवेदनाओं के स्वर

पर उपकार की
निःस्वार्थ भावना

गैरों की चिंता से जोड़कर
स्वेच्छा से सामने वाले की

पीड़ा से/मर्म से
खुद को जोड़ने की कोशिश ही
परोपकार है।

बिना लोभ मोह
अपने पराये के भेद किये बिना

किसी का सहयोग/सहायता ही
तो परोपकार है,

हमारे द्वारा किया गया
परोपकार ही तो

हमारी खुशियों का बेजोड़
आधार है।

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Author:

सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002