Information about Ganga River in Hindi

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Essay on Ganga River in Hindi | गंगा नदी पर निबंध | Information about Ganga River in Hindi | गंगा नदी के बारे में जानकारी

Information about Ganga River in Hindi | गंगा नदी के बारे में जानकारी


भूमिका

भारत की सभ्यता और संस्कृति की परिचायक गंगा नदी भारत की सबसे पवित्र नदी मानी जाती है। इस नदी को लेकर हिंदू धर्म के लोगों की आस्था काफी मजबूत है। बताया जाता है कि इस नदी पर अगर आप एक डुबकी लगा लेते हैं, तो इससे आपके सारे पाप धुल जाएंगे। इस नदी का उल्लेख भारतीय धर्म ग्रंथों में भी मिलता है। धर्म ग्रंथों में इस नदी को सबसे पवित्र बताया गया है। यही वजह है कि गंगा नदी की पूजा सिर्फ एक नदी के रूप में नहीं, बल्कि एक देवी के रूप में की जाती है।

गंगा नदी के अवतरित होने से जुड़ी पौराणिक कथा

गंगा नदी के आध्यात्मिक जुड़ाव को देखते हुए, कई लोगों के मन में यह प्रश्न उठता है कि आखिर गंगा नदी का अवतरण कैसे हुआ और आखिर क्यों लोगों की आस्था इससे जुड़ी हुई है? पौराणिक कथाओं के मुताबिक प्राचीन काल में एक बेहद शक्तिशाली राजा हुआ करते थे जिनका नाम था सगर। एक बार राजा सगर के अश्वमेघ घोड़े को इंद्र देव ने पकड़ लिया और इस घोड़े को उन्होंने कपिल मुनि के आश्रम के बाहर बांध दिया।

इस अश्वमेघ घोड़े की खोज में राजा सगर के 60 हजार पुत्र भटक रहे थे। तभी उन्होंने अश्वमेघ को कपिल मुनि के आश्रम के बाहर बंधा देखा और उस घोड़े को देखते ही उन्होंने आश्रम में धावा बोल दिया। आश्रम के अंदर कपिल मुनि अपने तप में लीन थे। लेकिन उन साठ हजार पुत्रों की वजह से उनकी तपस्या भंग हो गई जिससे क्रोधित कपिल मुनि ने राजा के 60,000 पुत्रों को राख में तबदील कर दिया।

सगर राजा के एक अन्य पुत्र अंशुमान को जब यह ज्ञात हुआ तो उन्होंने कपिल मुनि से विनती की, कि उनके भाइयों की आत्मा का उद्धार करें। बहुत मनाने के बाद कपिल मुनि ने बताया कि राजा सगर के साठ हजार पुत्रों को तभी मुक्ति मिलेगी जब गंगा का जल पुत्रों के भस्म में छिड़का जाएगा। बहुत प्रयत्न के बाद भी अंशुमान इसमें सफल नहीं हो पाए। आगे जाकर उनके पोते राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों की शांति के लिए कठोर तपस्या करने का निर्णय लिया। उनकी कठोर तपस्या को देखते हुए देवी गंगा ने उनके धरती पर आने की प्रार्थना को स्वीकार किया।

इस तरह गंगा नदी भगवान शिव की जटाओं से निकलकर धरती पर आई और राजा सगर के साठ हजार पुत्रों को श्राप से मुक्ति मिली। यही वजह है कि गंगा नदी को भागीरथी के नाम से भी जाना जाता है।

गंगा नदी का महत्व

गंगा नदी का उद्गम विशाल हिमालय के गंगोत्री पर्वत से होता है। गंगा नदी अपने उद्गम स्थल से लेकर बंगाल की खाड़ी तक एक लंबी यात्रा तय करती है। यह पहाड़ियों के बीच से निकलकर तथा हरिद्वार के मैदानी इलाकों में जाकर अपने स्वरूप में ढलती है और अंत में बंगाल की खाड़ी में जाकर मिल जाती है।

गंगा नदी भारत में लोगों की आस्था से काफी ज्यादा जुड़ी हुई है। यही वजह है कि इस नदी को पवित्र माना जाता है तथा लोग इसमें डुबकी लेते हैं। लोगों की मान्यता है कि इस नदी में डुबकी लेने से इंसान के पाप धुल जाते हैं। गंगा नदी के तटों पर मृतकों के शरीर को जलाया जाता है तथा मृतकों की अस्थियों को भी गंगा नदी में प्रवाहित किया जाता है। इसके साथ ही गंगा जल का इस्तेमाल बहुत से पूजा व हवन में किया जाता है। कई बार तो पूजा तथा हवन गंगाजल के बिना अधूरी होती है।

गंगा नदी का सिर्फ धार्मिक महत्व ही नहीं है बल्कि इसके कई अन्य महत्व भी है। गंगा नदी के पानी का इस्तेमाल बिजली बनाने के लिए किया जाता है। दरअसल, गंगा नदी पर कई बांध बनाए गए हैं जिससे विद्युत का निर्माण होता है। इसके साथ ही गंगा नदी का इस्तेमाल सिंचाई के लिए भी किया जाता है।

गंगा की सहायक नदियां

गंगा नदी का उद्गम स्थल हिमालय है। यह नदी भारत की सबसे बड़ी नदी मानी जाती है। इसकी लंबाई 2525 किलोमीटर है। गंगा नदी बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है। लेकिन उससे पहले इसमें कई तरह की छोटी-बड़ी नदियां आकर मिलती है। यह सभी नदियां गंगा की सहायक नदियां कहलाती है। गंगा की सहायक नदियों में सबसे प्रमुख नाम यमुना नदी का है क्योंकि यह सबसे बड़ी सहायक नदी मानी जाती है। यमुना नदी यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है तथा यह 1310 किलोमीटर की दूरी तय कर गंगा से मिलती है।

यमुना के अलावा गंगा कि कई सहायक नदियां हैं जिनमें गोमती, हुगली, महानदी, गंडक, कोसी, घघर, टोंस सोंन आदि शामिल हैं।

गंगा नदी के करीब बसे शहर

गंगा नदी के किनारों पर भी कई शहर बसे हुए हैं जिस तरह गंगा नदी पवित्र मानी जाती है, उसी तरह यह शहर भी पवित्र शहरों के नाम से जाने जाते हैं। गंगा नदी 5 राज्यों से होकर बहती है और इन राज्यों के 100 से ज्यादा शहर इसी नदी के किनारे बसे हुए हैं। इन शहरों में उत्तर प्रदेश के कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, हस्तिनापुर, कन्नौज, रामनगर आदि शामिल है।

वहीं उत्तराखंड के शहरों में ऋषिकेश, हरिद्वार, रुद्रप्रयाग, तपोवन, कर्णप्रयाग, गंगोत्री, बद्रीनाथ, देवप्रयाग आदि शामिल है। बिहार के राज्यों में दानापुर, छपरा, बक्सर, पटना, बरौनी आदि शामिल है। वहीं झारखंड के शहरों में साहिबगंज और राज महल प्रमुख है। यह नदी बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है, ऐसे में बंगाल के कई महत्वपूर्ण शहर इस नदी के किनारे हैं। इनमें कोलकाता, एमसी श्रीरामपुर, उत्तरी बैरकपुर, टीटागढ़, कृष्णा नगर, कल्याणी, हल्दिया, प्रमुख शहरों में शुमार है।

गंगा नदी और प्रदूषण की समस्या

गंगा नदी अब धीरे-धीरे इतनी प्रदूषित हो चुकी है कि सरकार भी इसे लेकर चिंतित है। लोग इस पवित्र नदी पर कूड़ा कचरा, मृतक पशु, फैक्ट्रियों का कचरा जैसे कई तरह के प्रदूषित पदार्थ डालते हैं। यही वजह है कि अपने उद्गम स्थल पर गंगा नदी का पानी पीने योग्य होता है। लेकिन आगे जाकर यह इतना गंदा हो जाता है कि इसे इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

ऐसे में अपनी संस्कृति तथा सभ्यता को बरकरार रखने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को गंगा नदी के प्रदूषण को कम करने में योगदान देना चाहिए। इसमें किसी भी तरह के कूड़े कचरे का विसर्जन नहीं करना चाहिए। आज कई तरह की परियोजनाएं चलाई जा रही है जिससे कि गंदा नदी के प्रदूषण को खत्म किया जा सके।

इसके साथ ही 4 नवंबर 2008 को भारत सरकार द्वारा गंगा नदी को राष्ट्रीय नदी भी घोषित किया गया था और इस नदी से प्रदूषण को खत्म करने के लिए गंगा घाटी प्राधिकरण को गठित किया गया था।

गंगा नदी से जुड़े कुछ पौराणिक तथ्य

  1. गंगा धरती पर आने से पहले भगवान विष्णु के चरणों पर रहती थीं।
  2. पौराणिक कथाओं के मुताबिक गंगा नदी माता पार्वती की बहन है।
  3. हालांकि कई बार गंगा नदी को शिव के अर्धांगिनी भी कहा जाता है।
  4. आज भी गंगा नदी, शिव की जटाओं में वास करती हैं।
  5. भागीरथ की कठोर तपस्या को देखते हुए गंगा ने धरती पर आने का निर्णय लिया। लेकिन धरती पर आना उनके लिए काफी मुश्किल था। क्योंकि उनकी धारा इतनी तेज थी कि धरती पर तबाही मच सकती थी इसीलिए भगवान शंकर ने उन्हें अपनी जटाओं में धारण किया।
  6. भगवान शिव ने अपनी जटाओं का विभाजन सात धाराओं में किया। यह 7 धाराएं नलिनी, पावनी, सीता, सिंधु, चक्षुष, भागीरथी और हृदिनी थी।
  7. हिंदू धर्म में गंगा नदी को मोक्षदायिनी माना जाता है। बताया जाता है कि गंगा नदी के जरिए मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  8. गंगा नदी के लिए गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है यह पर्व जेष्ठ शुक्ल दशमी तिथि को धूमधाम से मनाया जाता है।

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Author:

Bharti
Bharti

भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।