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Moral Education Essay in Hindi | नैतिक शिक्षा पर निबंध
नैतिक शिक्षा किसे कहा जाता है?
नैतिक शिक्षा को समझने से पूर्व ‘नैतिक’ शब्द को समझना आवश्यक है। दरअसल, नैतिक शब्द से तात्पर्य अच्छे व्यवहार और कर्तव्य से है जिसकी अपेक्षा हम दूसरों से करते हैं इसीलिए दूसरों से अच्छा व्यवहार हासिल करने के लिए हमें उनके साथ अच्छा व्यवहार करना होगा। नैतिक शिक्षा के द्वारा लोगों को इस बात का बोध कराया जाता है कि वह अन्य लोगों में नैतिक मूल्यों का संचार करें। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि नैतिक शिक्षा, नैतिक मूल्यों का संचार करता है जिससे न सिर्फ एक व्यक्ति का बल्कि बहु उपयोगी समाज का निर्माण किया जा सकता है।
नैतिक मूल्यों के अभाव से समाज में अपराध बढ़ जाता है। बच्चों को यदि शुरू से ही नैतिक शिक्षा नहीं प्रदान की जाती है तो आगे जाकर बच्चों के चरित्र के खराब होने, आपराधिक प्रवृत्तियों जैसे धूम्रपान व चोरी, डकैती, खून-खराबा आदि में संलिप्त होने की आशंका बढ़ जाती है। बच्चों का यह स्वभाव सिर्फ माता-पिता और उनके परिजनों के लिए ही एक समस्या नहीं है बल्कि यह समाज के लिए भी काफी ज्यादा खतरनाक है।
ऐसे में इन सभी घटनाओं को रोकने के लिए नैतिक शिक्षा काफी जरूरी है। नैतिक शिक्षा के द्वारा नैतिक मूल्यों को मानव मस्तिष्क में बिठाया जाता है जिससे व्यक्ति का सर्वांगीण उत्थान हो सके। नैतिक शिक्षा ही मानव को अन्य प्राणियों से अलग एक सामाजिक प्राणी बनने में सहायता करती है। जिससे वे अपने कर्तव्यों को समझ सके।
नैतिक शिक्षा की क्रियाएं
नैतिक शिक्षा का स्तर काफी व्यापक है तथा इसमें अलग-अलग क्रियाओं को समाहित किया गया है जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं :-
- मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखना
- शिष्टाचार तथा अच्छा आचार व्यवहार
- अच्छा सामाजिक आचरण
- शारीरिक स्वास्थ्य प्रशिक्षण
- धार्मिक प्रशिक्षण
बहुत से लोग नैतिक शिक्षा को धार्मिक शिक्षा का ही एक अंग मानते हैं। वहीं बहुत से लोगों का यह भी मानना है कि नैतिकता को न ही पढ़ाया जा सकता है न ही इसे पढ़ाई के द्वारा किसी अन्य को ग्रहण कराया जा सकता है।
नैतिक शिक्षा के उद्देश्य
नैतिक शिक्षा के कुछ महत्वपूर्ण उद्देश्य इस प्रकार है :-
- शारीरिक और मानसिक विकास :- नैतिक शिक्षा के जरिए बच्चों में शारीरिक और मानसिक विकास किया जाता है जिससे कि वे स्वयं निर्णय ले सके।
- तर्कशक्ति का विकास :- नैतिक शिक्षा का उद्देश्य होता है बालकों में तर्क शक्ति को विकसित करना। जिससे कि वे तर्क शक्ति के बल पर अपनी चारित्रिक और नैतिक विकास करें।
- चरित्र निर्माण :- महात्मा गांधी और हरबर्ट स्पेंसर जैसे विद्वानों के अनुसार नैतिक शिक्षा का मूल उद्देश्य बच्चों का चरित्र निर्माण है।
- समाजसेवा का भाव :- नैतिक शिक्षा का महत्वपूर्ण उद्देश्य है बच्चों में समाजसेवा का भाव उत्पन्न करना जिससे वे समाज के लोगों की मदद कर सके।
- सामाजिक बुराइयों का अंत :- नैतिक शिक्षा का एक अन्य महत्वपूर्ण उद्देश्य है बच्चों में सामाजिक बुराइयों के बारे में जागरूकता पैदा करना जिससे समाज में दहेज प्रथा, छुआछूत जैसी सामाजिक बुराइयों का अंत हो सके।
नैतिक शिक्षा की आवश्यकता
हर समाज को नैतिक शिक्षा की काफी आवश्यकता होती है ऐसा इसलिए क्योकि यह नैतिक शिक्षा ही लोगों में नैतिकता को जगाती है। किसी देश में रहने वाले व्यक्ति उस देश के उत्थान और पतन के लिए जिम्मेदार होते हैं। नागरिक जिस स्तर के होंगे उसी स्तर का समाज वहां बनेगा। ऐसे में इन नागरिकों की शिक्षा पद्धति इस बात पर निर्भर करती है कि उस देश के नागरिक किस स्तर के होंगे।
आपने देखा होगा पूरे विश्व भर में कई तरह की ऐसी घटनाएं घटी जिसमें कहीं हद तक शिक्षा ही प्रधान साधन बनी रही। जर्मनी में जन्मा नाजीवाद, रूस और चीन का साम्यवाद यह सभी चीजें वहां की शिक्षा प्रणाली की वजह से ही उत्पन्न हुई।
शिक्षा इंसान की भौतिक और चरित्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और जब यह शिक्षा व्यक्तियों के समूह को दिया जाता है तो यह व्यक्तियों का समूह देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यही कारण है कि बच्चों को आरंभ से ही नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाने पर बल दिया जाता है।
क्योंकि जब बच्चा जन्म लेता है तो वह नैतिकता और अनैतिकता के ज्ञान से परे होता है। उस बच्चे की शिक्षा ही उसे नैतिक और अनैतिक बनाने का काम करती है। आखिर वह कौन से माता-पिता होंगे जो चाहते होंगे कि उनका बच्चा अनैतिक बने। हर माता-पिता चाहता है कि उनका बच्चा समाज में प्रशंसा और लोकप्रियता हासिल करें।
इसीलिए ज्यादातर माता-पिता अपने बच्चों को अपनी हैसियत से बढ़कर अच्छे स्कूलों में दाखिला करवाते हैं जिससे कि वह नैतिक बन सकें। हालांकि नैतिकता सिर्फ स्कूली शिक्षा से नहीं आ सकती। बल्कि नैतिक शिक्षा प्रदान करने में परिवार के सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसलिए बच्चों को शुरुआत से ही सच बोलना, लोगों की मदद करना, दया भावना दिखाना, निष्पक्ष रहना बड़ों की आज्ञा का पालन करना, राष्ट्र के लिए देशभक्ति की भावना रखना जैसे गुणों को सिखाना चाहिए।
आज पूरे विश्व को नैतिक शिक्षा की आवश्यकता है जिससे हर देश में नैतिकता को उत्पन्न किया जा सके और विश्व भर में शांति बहाल हो सके।
नैतिक शिक्षा का क्या महत्व है?
नैतिक शिक्षा बच्चों के जीवन में काफी महत्वपूर्ण होती है। आइए निम्नलिखित बिंदुओं से जानते हैं इसके क्या-क्या महत्व है:-
- चारित्रिक निर्माण के लिए :- मनुष्य का चरित्र उसके जीवन की सफलता और विफलता पर निर्भर करता है इसीलिए बच्चों को शुरुआत से ही नैतिक शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए जिससे उनका चरित्र निर्माण हो सके और वे आगे जाकर एक सफल व्यक्ति, उत्तम नागरिक और देश के विकास में अपनी भागीदारी दें सके।
- सामाजिकरण की भावना :- नैतिक शिक्षा के द्वारा बच्चों में समाजीकरण की भावना को जागृत किया जाता है।
- उचित-अनुचित कार्य की समझ :- जब बच्चों में नैतिकता का विकास होता है तब वे यह समझने लगते हैं कि कौन से कार्य उचित है? कौन से कार्य अनुचित है? किस कार्य से उनके माता-पिता की बदनामी होगी तथा किस कार्य से उन्हें लोग पसंद करेंगे।
- अच्छे मूल्यों का समावेश :- पश्चिमी देशों में धार्मिक व नैतिक शिक्षा का अभाव है जो वहां कई प्रकार की वांछित और अवांछित घटनाओं का कारण बनता है। इसीलिए नैतिक शिक्षा के जरिए बच्चों को अच्छे मूल्य प्रदान करने चाहिए जिससे वे भारतीय समाज में अच्छे मूल्यों के साथ जीवन यापन कर सकें।
- अच्छे गुणों और आदतों के निर्माण के लिए :- बच्चों को प्रारंभ से ही नैतिक शिक्षा देनी चाहिए क्योकि नैतिक शिक्षा अच्छे गुणों और आदतों को सीखने में बच्चों की मदद करता है। इस तरह के अच्छे गुण होने से वे समाज में मूल्यवान सदस्य बन सकेंगे।
- व्यक्तित्व का विकास :- नैतिक शिक्षा व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास करती है।
- देश भक्ति की भावना :- नैतिक शिक्षा से बालकों में देशभक्ति की भावना जन्म लेती है जिससे वे अपने स्वार्थ से परे होकर देश हित में कार्य करते हैं।
बच्चों को नैतिक शिक्षा कैसे दें?
बच्चों को स्कूलों व घरों दोनों जगहों पर यदि नैतिक शिक्षा का ज्ञान कराया जाए तो उनका सर्वागीण विकास होगा और वह अच्छे मूल्यों और गुणों को जल्दी सीखेंगे। आइए जानते हैं कि आप अपने स्तर पर बच्चों को नैतिक शिक्षा कैसे प्रदान कर सकते हैं:-
- परिवार का व्यवहार :- परिवार के सदस्यों का व्यवहार और आचरण जैसा होगा वैसा ही व्यवहार उस परिवार के बच्चों का होगा। क्योंकि बच्चे सर्वप्रथम अपने परिवार से ही सीखते हैं इसीलिए हमेशा ध्यान रखें कि आपके परिवार का व्यवहार और आचरण अच्छा होना चाहिए जिससे बच्चे भी उन गुणों को सीख पाएं।
- बच्चों को प्रोत्साहित करें:- जब बच्चों को आप नैतिकता का पाठ पढ़ाते है तब उन्हें हमेशा पुरस्कृत करें क्योंकि पुरस्कार से बच्चे प्रोत्साहित होते हैं इसीलिए जब बच्चे अच्छे कार्य करें तब उन्हें पुरस्कृत करें और गलत कार्य करें तो उन्हें दंडित करें।
- बच्चों में नैतिक शिक्षा के जरिए नैतिक विकास करने के लिए उन्हें घर के साथ ही विद्यालय में भी अलग-अलग क्रियाकलापों के जरिए ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए जिससे वे नैतिकता को सीख सके।
निष्कर्ष
वर्तमान समय में नैतिक शिक्षा बहुत ही जरूरी है क्योंकि नैतिक शिक्षा ही आम इंसान को मनुष्य बनाती है। इससे न सिर्फ व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास होता है बल्कि राष्ट्रीय का भी सही अर्थों में निर्माण होता है।
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Author:
भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।