HINDI KAVITA: अंत
अंत जिस्म की गिरफ़्त से तो आजाद हो गया वो … रूह पर मगर एक दाग रह जायेगा…१ अब तो इस कंकाल से जुदाई ही बेहतर है.. कुछ दिन और रुका तो ये इंसान ढह जायेगा…२ आज आंखों का सारा पानी सुखा दो तुम… कल एक आंसू भी गिरा तो ख्वाब़ बह जायेगा…३ औ बेशुमार […]