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चार्ल्स बैबेज की जीवनी | Biography of Charles Babbage in Hindi
नाम | चार्ल्स बैबेज |
जन्म | 26 दिसंबर 1791 |
जन्म स्थान | लंदन, यूनाइटेड किंग्डम |
मृत्य | 18 अक्टूबर 1871 |
शिक्षा | ट्रिनिटी कॉलेज, कैंब्रिज पीटरहाउस, कैंब्रिज |
सम्मान | गोल्ड मेडल ऑफ द रॉयल एस्ट्रोनॉमीकल सोसाइटी |
विवाह | जॉर्जियाना विटमोर |
पिता का नाम | बेंजामिन बैबेज |
माता का नाम | बैटसी प्लमलेगटिप |
Charles Babbage the father of computer
फादर ऑफ कंप्यूटर यानी कंप्यूटर के जनक कहे जाने वाले चार्ल्स बैबेज एक गणितज्ञ, आविष्कारक और यांत्रिक इंजीनियर थे। चार्ल्स बैबेज को पहले यांत्रिक कंप्यूटर की खोज और प्रोग्रामेबल कंप्यूटर डिजाइन की खोज का श्रेय जाता है।
जन्म व परिवार
चार्ल्स बैबेज का जन्म 26 दिसंबर 1791 में लंदन, इंग्लैंड में हुआ था। उनके पिता का नाम बेंजामिन बैबेज था जो कि एक बैंकर थे और उनकी माता का नाम बैटसी प्लमलेगटिप था। इनके चार भाई बहन थे।
शिक्षा
चार्ल्स बैबेज एक उच्च मध्यमवर्गीय परिवार से थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर में शिक्षक बुलाकर प्राप्त की उसके बाद इन्होंने 1810 में कैंब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज में दाखिला लिया। यहां पर वह समकालीन गणित का अध्ययन करते थे और रॉबर्ट वुड हाउस, युसूफ लुईस लाग्रेंज और मेरी अग्नेसी को पढ़ते थे जिसके कारण कैंब्रिज में उपलब्ध मानक गणितीय शिक्षा उनको पर्याप्त नही लगी।
और उसके बाद उन्होंने अपने मित्रों के साथ मिलकर 1812 में विश्लेषणात्मक सोसाइटी (Analytical society) का गठन किया। 1812 में ही इनको पीटर हाउस, कैंब्रिज में भेज दिया गया। और यहीं से उन्होंने 1814 में अपनी स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
चासर्ल ने शिक्षा पूरी होने के बाद कई पदों पर नौकरी करने के लिए आवेदन किया था लेकिन वह आवेदन स्वीकार नहीं किए गए थे।
चार्ल्स बैबेज का विवाह
1814 में जैसे ही उन्होंने अपनी स्नातक की शिक्षा पूरी की तब ही उन्होंने जॉर्जिया विटमोर से विवाह कर लिया। इन दोनों की आठ संतान थी परंतु बाद में केवल तीन संतान ही जीवित रहे।
1815 में चार्ल्स को रॉयल इंस्टीट्यूशन में भाषण दिया, वहां पर इन्होंने खगोल विज्ञान के बारे में लोगों को जानकारी दें।
इसके बाद 1825 में चार्ल्स ने हर्षेल के साथ इलेक्ट्रोडायनेमिक्स ऑफ एग्रोस रोटेशन (Electrodynamics of Arago’s rotations) पर काम किया था परंतु वह इस थ्योरी पर ठीक से विश्लेषण नही कर पाए और बाद में माइकल फैराडे ने इसे सही ढंग से प्रस्तुत किया।
चार्ल्स और हर्षेल ने एक और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक थ्योरी पर काम किया था जो कि अम्पेयर फोर्स लॉ(Ampère’s force law) से बहुत मिलता जुलता था।
1820 में चार्ल्स ने रॉयल एस्टॉनोमिकल सोसायटी की स्थापना की। इसका उद्देश्य एस्ट्रोलॉजिकल कैलकुलेशंस को आसान बनाना था। 1824 में उन्होंने मैथमेटिकल एंड एस्टॉनोमिकल टेबल्स को कैलकुलेट करने के लिए एक इंजन बनाया था जिसका नाम उन्होंने डिफरेंस इंजन रखा था।
चार्ल्स बैबेज के द्वारा किये गए आविष्कार (Charles Babbage invention)
डिफरेंस इंजन
डिफरेंस इंजन को बनाने में बैबेज को समय लगा इसके पहिए, क्रैंक और गियर आदि के लिए बनाने के लिए बहुत सी मशीनों की आवश्यकता थी और धन की भी इसी कारण बैबेज ने स्वयं ही इसे डिजाइन किया परंतु कुछ पैसों की कमी होने के कारण यह पूरा न हो सका। इसके बाद उन्होंने ऐसा 1847-1849 में दोबारा से मशीन बनाना शुरू किया जिसका नाम इन्होंने डिफरेंस इंजन 2 रखा। परंतु यह भी किसी कारणवश समाप्त नहीं हो सका किंतु चार्ल्स ने इससे बहुत कुछ सीखा और इसके बाद इससे भी बड़ी मशीन बनाई जिसका नाम एनालिटिकल इंजन रखा।
एनालिटिकल इंजन
यह मशीन ही आज के आधुनिक कंप्यूटर का कारण है। एनालिटिकल इंजन पंच कार्ड से चलने वाला था जिसे पंच किया जाता था और इसे दुनिया का पहला कंप्यूटर कहां जा सकता है। यह बहुत ही भारी और लगभग एक घर के बराबर बड़ा था। इसको बनाने में बहुत ही ज्यादा धन की आवश्यकता थी जिसे अमेरिकी सरकार ने पूरी की थी।
चार्ल्स बैबेज को उनके आविष्कारों के लिए एस्टॉनोमिकल सोसाइटी ऑफ लंदन से गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया गया था।
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मृत्यु
चार्ल्स बैबेज की मृत्यु चार्ल्स बैबेज की मृत्यु 18 अक्टूबर 1871 को हुई थी।
चार्ल्स बैबेज के बारे में कुछ रोचक तथ्य (Some interesting facts about Charles Babbage in Hindi)
1. चार्ल्स बैबेज को फादर ऑफ कंप्यूटर(Charles Babbage the father of computer) यानी कंप्यूटर का पिता कहा जाता है
2. चार्ल्स ने अपनी स्कूली शिक्षा घर पर ही ट्यूटर के द्वारा प्राप्त की।
3. चार्ल्स ने रॉयल इंस्टिट्यूट में लेक्चर दिया था और बाद में रॉयल सोसाइटी के मेंबर बन गए थे।
4. चार्ल्स बैबेज और हर्षल ने मिलकर 1812 मे विश्लेषणात्मक सोसाइटी की स्थापना की थी।
5. चार्ल्स बैबेज के द्वारा बनाए गए डिफरेंस इंजन के पहले प्रोटोटाइप को लंदन साइंस म्यूजियम की प्रदर्शनी में अभी भी रखा गया है।
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Author:
आयशा जाफ़री, प्रयागराज