दादा-दादी पर निबंध | Essay on Grandparents in Hindi
दादा दादी का हमारे जीवन में बहुत ही विशेष स्थान होता है। जिस प्रकार माता पिता का बच्चों के सिर पर हाथ होना जरूरी है उसे पता दादा दादी की दुआएं भी बहुत जरूरी है।
जिन लोगों के दादा दादी गांव या दूसरे शहर में रहते हैं वह नियमित रूप से उनसे छुट्टियों में मिलने जाया करते हैं। दादा दादी से मिलने का अलग ही उत्साह होता है, जितना प्रेम दादा दादी अपने पोती पोता से कर सकते हैं उतना शायद मां-बाप भी न करें।
मां-बाप गलती करने पर हमें दंडित करते हैं लेकिन दादा दादी के हम आंखों का तारा होते हैं। दादा दादी के साथ समय बिताना बहुत ही महत्वपूर्ण है, न केवल हमें उनसे प्यार और आशीर्वाद मिलता है बल्कि बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है।
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दादा दादी का हमारे जीवन में महत्व
उसके घर के बच्चों को एक शिक्षक और दोस्त बचपन में ही मिल जाते हैं जिस घर में बुजुर्गों का वास होता है।
प्यार और आशीर्वाद
दादा-दादी हमेशा सच्चे दिल से अपने पोते पोतियो की तरक्की के लिए दुआ करते हैं। उनका सर पर आशीर्वाद होना किसी खजाने से कम नहीं है। जब हम सफल होते हैं तो वह बहुत प्रसन्न होते हैं। वह बिना किसी शर्त के हम से प्रेम करते हैं और हमारी इच्छाओं की पूर्ति की कामना करते हैं। जब हम अपनी बातें मां बाप से न मनवा पाए तो दादा दादी हमारी इच्छाओं को पूरा करने में जरा भी सोचते नहीं।
सीख मिलना
दादा दादी से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। इतिहास से जुड़ी बातें हो या धार्मिक सीख। जो ज्ञान हमें किताबों से प्राप्त नहीं हो सकता वह हमें दादा-दादी से प्राप्त होता है। हम उनसे बहुत से गुण प्राप्त करते हैं। वह हमें सच्चाई, ईमानदारी और सीधे रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। वह हमें सब के साथ प्रेम से और समान भाव का व्यवहार करने की सीख देते हैं। उनके द्वारा सिखाई गई बातें हमें जीवन के हर पहलू में काम आती है और हमे अच्छा इंसान बनाती है।
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साथ में समय बिताना
दादा-दादी के साथ समय बिताना बहुत ही अच्छा लगता है अक्सर कामकाजी होने के कारण मां-बाप अपने बच्चों को उनके दादा-दादी के पास छोड़ देते हैं। ऐसे में बच्चों का उनके दादा दादी के निगरानी में पालन पोषण होता है। वह उन्हे बहुत प्यार करते हैं और उनका ध्यान रखते हैं।
सच्चे मित्र
कहने को तो दादा-दादी और उनके पोती पोता में उम्र का फासला होता है, लेकिन सच कहें तो यह रिश्ता एक सच्ची मित्रता से कम नहीं होता। जब हम उनसे बातें करते हैं और उनके समय की बातें जानते हैं तो हमें बहुत प्रसन्नता होती है। वह भी बच्चों की उम्र के बनकर उनके साथ खेलते हैं, समय बिताते हैं और उनसे बातें करते हैं। जो बात हम अपने माता-पिता से नहीं कह सकते वह हम खुलकर अपने दादा-दादी से कह सकते हैं।
आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोगों ने रिश्तों को महत्व देना कम कर दिया है। नौकरी और पैसो के चक्कर में लोग इतने अंधे हो चुके हैं कि उन्होंने अपनों से दूरी बना ली है।
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यहां तक कि आज लोग अपने मां बाप को वृद्ध आश्रम में छोड़ आते हैं। लेकिन तब भी मां बाप अपने बच्चों के लिए कभी बुरा नहीं सोचते और हमेशा उनकी सफलता और स्वास्थ्य के लिए दुआ करते हैं।
जिस घर में बड़ों का आशीर्वाद होता है उस घर में हमेशा खुशहाली रहती हैं। वह हमें सही-गलत की सीख देते हैं। इसलिए यह बहुत आवश्यक है कि हम अपने बड़ों का आदर सम्मान करें और उनके साथ अधिक से अधिक समय बिताए।
मेरे दादा-दादी
मेरे दादा दादी गांव में रहते हैं जो हमारे घर से कुछ ही घंटे दूर है। अक्सर वो हमारे घर आया करते हैं और हम भी हर हफ़्ते उनसे मिलने जाया करते हैं।
उनसे मिलकर और उनके साथ समय बिता कर मुझे बहुत प्रसन्नता होती है। वह मुझे बहुत स्नेह करते हैं और मेरे आने के पहले ही दादी जी मेरे पसंद की स्वादिष्ट पकवान बनाकर रखती हैं।
मेरे दादाजी एक रिटायर टीचर है और दादी गृहिनी है। हमेशा गांव में रहने के कारण उनका मन शहरी वातावरण में नहीं लगता, परंतु हम उनसे मिलने जाया करते रहते हैं। मेरे दादाजी इतिहास के अध्यापक थे, इसलिए वह मुझे हमेशा इतिहास से जुड़ी रोचक बातें बताया करते हैं। उनके साथ बातें करके मुझे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। और मेरी दादी जी एक धार्मिक महिला है जो मुझे धर्म से जुड़े पाठ और सीख बताती है।
मैं और मेरे माता-पिता पूरा दिन दादा दादी के साथ समय बिताते हैं और शाम को वापस घर लौट आते हैं। घर लौटते समय दादी जी हमेशा मुझे अपनी पसंद की चीजें लेने के लिए पैसे देती हैं।
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निसंदेह मेरे जीवन में दादा दादी का होना किसी वरदान से कम नहीं है।
दादा दादी और पोते पोती के बीच के रिश्ते का वर्णन करना संभव नहीं है। उनके आदर्शों पर चलकर हम एक बेहतर इंसान बन सकते हैं। बच्चों की वृद्धि और विकास के लिए यदि उनके साथ पर दादा दादी का आशीर्वाद हो तो वह बहुत भाग्यशाली होते हैं।
हालांकि आज के समय में बच्चे तकनीकी और मोबाइल की दुनिया में इतना गुम हो जाते हैं कि वह अपने बड़ों के साथ समय बिताना पसंद नहीं करते। जब वह हमारे जीवन से चले जाते हैं तो हमारे हाथ में केवल अफसोस रह जाता है।
निष्कर्ष
मां-बाप अपना पूरा जीवन के बच्चों के लिए कुर्बान कर देते हैं और फिर एक अवस्था के बाद जब वह अपने बच्चों और पोते पोती के साथ समय बिताना चाहते हैं तो हम उनसे दूरी बना लेते हैं। परंतु जब हम उनके साथ समय बिताते हैं, उनसे बातें करते हैं तो वह समय बहुत ही अनमोल होता है। जिन बच्चों के ऊपर उनके दादा-दादी का हाथ है वह बहुत ही भाग्यशाली है और उन्हें उनके साथ अधिक से अधिक समय बिताना चाहिए।
दादा-दादी के संदर्भ बिल्कुल सही कहा गया है-
“बड़े बुजुर्ग की उंगलियों में कोई ताकत तो न थी,जब झुका सर मेरा तो कापते हाथों ने जमाने भर की दौलत दे दी“
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Author:
आयशा जाफ़री, प्रयागराज