वृक्षों की कटाई के नुकसान पर निबंध

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वृक्षों की कटाई के नुकसान पर निबंध | Disadvantages of Cutting Trees Essay in Hindi

वृक्षों की कटाई के नुकसान पर निबंध | Disadvantages of Cutting Trees Essay in Hindi

प्रकृति ईश्वर की एक ऐसी देन है जिससे मानव को उसकी जरूरत का हर समान प्राप्त होता है। लेकिन सबसे ज्यादा मनुष्य जिस चीज पर निर्भर है वह वृक्ष। क्योंकि पेड़ मनुष्य को जीवन जीने के लिए ऑक्सिजन प्रदान करते हैं जिसके बिना शायद मानव जाति की कल्पना ही नहीं की जा सकती। एक दौर था जब पृथ्वी पूरी जंगलों से भरी हुई थी। लेकिन अगर आज देखें तो कुछ गिने-चुने ही जंगल मौजूद है।

वहीं दिन-प्रतिदिन जनसंख्या में हो रही वृद्धि की वजह से लोगों की आवश्यकताएं बढ़ती ही जा रही हैं। इन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वनों की कटाई की जा रही है तथा उन्हें शहरों में तब्दील किया जा रहा है। लोग हर तरह के कार्यों के लिए इन्हीं वृक्षों पर निर्भर हैं जैसे कागज, माचिस, फर्नीचर बनाना, सड़क, भवन निर्माण आदि किए जा रहे है। इस तरह के कार्यों की वजह से लगातार लकड़ी की आवश्यकता बढ़ती ही जा रही है और इसका परिणाम है वृक्षों की अंधाधुंध कटाई।

लेकिन वृक्षों की कटाई का प्रभाव पर्यावरण में बहुत ही बुरा पड़ा है क्योंकि वृक्षों की कटाई की वजह से पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में वृद्धि हुई है। प्रदूषण की समस्या बढ़ी है जिससे ग्रीन हाउस गैसों में बढ़ोतरी हुई है और यही ग्लोबल वार्मिंग का कारण बना है। इसके साथ ही जलवायु में भी दिन-प्रतिदिन परिवर्तन होता जा रहा है अलग-अलग क्षेत्रों में इसका प्रभाव अलग पड़ता है, जैसे कई जगह सिर्फ गर्मी की वजह से सूखा पड़ रहा है तो कहीं अधिक बारिश की वजह से बाढ़ और तूफान की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।



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वृक्षों की कटाई के 10 नुकसान (10 Disadvantages of Cutting Trees in Hindi)

वृक्षों की कटाई की वजह से कई तरह के नुकसान हमें उठाने पड़ रहे हैं जिनमें से कुछ निम्नलिखित है:-

1. वन्यजीवों का विस्थापन और मृत्यु

वृक्षों की कटाई की वजह से धीरे-धीरे जंगल खत्म होते जा रहे हैं जिस वजह से जंगलों पर आश्रित जीव-जंतु लुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके हैं। वहीं कई जीव जंतुओं का तो अस्तित्व ही मिट चुका है। उदाहरण के लिए गौरैया पक्षी का अस्तित्व धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है।

जीव जंतुओं को उनका आहार जंगलों से प्राप्त होता है तथा वह जंगलों में ही निवास करते हैं। मानव की लालची प्रवृत्ति की वजह से यह सब खत्म हो रहा है जिस वजह से वह जंगलों को छोड़कर मानव क्षेत्रों में प्रवेश कर रहे हैं।

2. वायु प्रदूषण की समस्या

वृक्षों में ही खासियत होती है कि वह कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण कर लेते हैं और ऑक्सीजन देते हैं। लेकिन धीरे-धीरे इन वृक्षों के खत्म हो जाने की वजह से अब वातावरण में कई प्रकार की जहरीली गैसे फैल चुकी है जिस वजह से वायु प्रदूषण की समस्या दिन-ब-दिन विकराल होती जा रही है। वायु प्रदूषण की वजह से लोग कई प्रकार की घातक बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं जैसे कि फेफड़ों और स्वास्थ्य संबंधित रोग।

3. जलवायु परिवर्तन

लगातार वनों की कटाई की वजह से जलवायु में दिन-प्रतिदिन परिवर्तन होता जा रहा है। जल चक्र और कार्बन चक्र में भी इसका प्रभाव पड़ा है। मनुष्य पर्यावरण से ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं तथा कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं। इसी कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर पेड़-पौधे इसे वापस ऑक्सीजन में तब्दील कर देते हैं। लेकिन जब से वृक्षों की कटाई में तेजी आई है तब से वातावरण में कई तरह के बदलाव आए हैं। वातावरण में मिथेन और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में वृद्धि हुई है और यह दोनों ही गैसे ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाने में अपना योगदान दे रही है जो की बिलकुल अच्छा नहीं है। इसी वजह से वातावरण के तापमान में वृद्धि हो रही है तथा मौसम का असमान चक्र देखने को मिल रहा है।



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4. वनस्पतियों का विलोपन

जंगलों में कई तरह के पेड़-पौधे पाए जाते हैं कुछ पेड़-पौधों में जड़ी बूटिय गुण होते हैं जो कई प्रकार की बीमारियों के इलाज में सक्षम होते हैं। लेकिन इन्हीं पेड़-पौधों की कई तरह की प्रजातियों को हमने खो दिया है। अब इन पेड़-पौधों की प्रजातियों को वापस पाना असंभव हो गया है।

5. मृदा अपरदन की समस्या

पेड़ों में यह खासियत होती है कि वह अपनी जड़ों के जरिए मिट्टी को जकड़े रखते हैं। लेकिन जब पेड़ों को काट दिया जाता है तब यही जड़ मिट्टी के अंदर सूख जाती है जिस वजह से यह मिट्टी को पकड़ने की अपनी क्षमता खो देते हैं। मिट्टी की ढीली पकड़ की वजह से चट्टाने खिसक जाती हैं, कई बार मृदा अपरदन की वजह से जनजीवन को काफी नुकसान पहुंचता है। वहीं मृदा अपरदन की वजह से यह मिट्टी नदी में मिल जाती है जिससे सिंचाई प्रक्रिया तो बाधित होती है साथ ही यह नदी के तल में जाकर जम जाती है जिससे जल स्तर ऊपर आ जाता है और बाढ़ की समस्या पैदा हो जाती है। इसके अलावा नदियों के तलछट में मछलियां अंडे दिया करती है लेकिन मृदा अपरदन की वजह से अंडों को भी नुकसान पहुंचता है।

6. जल चक्र को नुकसान

पेड़ मनुष्य से कुछ नहीं लेते उल्टा यह मनुष्य को बहुत कुछ देते हैं। पेड़-पौधे तो पानी को भी अपने पास नहीं रखते और वाष्पोत्सर्जन के माध्यम से वातावरण में पानी छोड़ते रहते हैं। जब वाष्पोत्सर्जन की प्रक्रिया होती है तब पेड़ों से पानी के बुलबुले बादलों तक पहुंचते हैं जिससे बारिश होती है। लेकिन लगातार वृक्षों की कटाई की वजह से जल चक्र प्रभावित हुआ है। बारिश न होने की समस्या की वजह से आज देश का किसान बेहद परेशान है क्योंकि इससे मिट्टी बंजर होती जा रही है और फसलों को सही समय में पानी न मिलने की वजह से काफी नुकसान हो रहा है।



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7. रेगिस्तान में फैलाव

वृक्षों की कटाई की वजह से जंगल खत्म होते जा रहे हैं जिस वजह से भूमि क्षरण बढ़ रहा है और इसका परिणाम है रेगिस्तान के क्षेत्र, बड़े पैमाने में फैलते ही जा रहे हैं।

8. मूल निवासियों का अस्तित्व खत्म होना

हमारे मूलनिवासी जिन्हें आदिवासी भी कहा जाता है, वह जंगलों पर ही निर्भर हैं। भोजन, आवास से लेकर, स्वास्थ्य और उपचार के लिए विभिन्न जड़ी-बूटियां बनाने तक आदिवासी जंगलों का ही उपयोग करते हैं और इसके साथ ही वह अपने पूर्वजों के काल से जंगलों की रक्षा करते आए हैं। लेकिन इंसान के लालची प्रवृत्ति तथा आधुनिक समाज की सोच ने धीरे-धीरे आदिवासियों को विलुप्त होने की कगार पर पहुंचा दिया है।

9. औषधीय वनस्पतियों का लुप्त होना

प्राचीन काल से ही भारत के लोग जड़ी बूटियों पर निर्भर थे। प्रकृति से हमें कहीं तरह की औषधियां प्राप्त होती है लेकिन वृक्षों की अंधाधुंध कटाई की वजह से पहाड़ और जंगल वीरान होते जा रहे हैं इस वजह से दुर्लभ औषधियों की प्राप्ति नहीं हो रही, जिससे हर्बल दवाइयां अनुपलब्ध हो रही हैं।



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10. पृथ्वी की सुंदरता नष्ट होना

पृथ्वी की सुंदरता इन वनों से ही बनती है आसपास रंग-बिरंगे फूल, हरे-हरे घास और पेड़-पौधे, इसकी सुंदरता में इजाफा करते हैं। लेकिन इनकी कटाई की वजह से जमीनें बंजर होती जा रही हैं वातावरण में प्रदूषण फैल रहा है जिससे पृथ्वी ने अपनी सुंदरता खो दी है।

वृक्षों की कटाई की वजह से जो यह विकराल स्थिति पैदा हुई है उसे रोकने के लिए मनुष्य के पास अभी भी समय है। यदि प्रत्येक व्यक्ति अपने स्तर पर वृक्षों का रोपण करें तो वापस हरियाली की ओर लौट सकते हैं और इसके साथ ही मनुष्य की आवश्यकताएं भी इससे पूरी हो सकती है।

वनों के संरक्षण के कुछ उपाय

  • वृक्षारोपण

वृक्षारोपण से तात्पर्य वृक्षों को लगाने से है। यदि लोग जो वृक्षों को काट रहें है उसकी जगह नए वृक्षों को लगाते हैं तो इससे पर्यावरण में संतुलन बना रहता है।

  • कागज का पुनर्चक्रण

कागज की उत्पत्ति लकड़ी से होती है लगातार कागज बनाने के लिए वृक्षों की कटाई की जा रही है। लेकिन यदि लोग अपने स्तर पर इन कागजों का पुनः चक्रण करें तो वृक्षों की कटाई से पैदा होने वाली समस्या को कम किया जा सकता है। लोग टिशू पेपर, कॉपी के पन्ने को अनावश्यक रूप से उपयोग करने की जगह यदि उनका उपयोग कम करें तथा जो कागज इस्तेमाल के लिए नहीं है उन्हें रद्दी में दे दे तो हम इन वस्तुओं का पुनः उपयोग कर सकते हैं।

  • सरकार के प्रयास

इसके अलावा प्रत्येक देश की सरकार को पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर कुछ नियम कायदे कानून बनाने चाहिए जिससे लोग पर्यावरण के प्रति जागरूक हो। आपको बता दें, कुछ समय पहले ही सरकार ने एक बच्चा एक पेड़ की मुहिम चलाई थी जिसके तहत 15 अगस्त को कई स्कूलों में पेड़ बांटे गए थे।

  • लकड़ी के वस्तुओं का कम उपयोग

वनों की रक्षा करने के लिए लकड़ी के वस्तुओं पर अपनी निर्भरता को त्यागना होगा। इसके अंतर्गत लोग लकड़ी के फर्नीचर, अलमारी आदि का प्रयोग करना बंद कर सकते हैं। आजकल मार्केट में लकड़ी के स्थान पर लोहे या स्टील के फर्नीचर उपलब्ध है जिनके उपयोग से आप पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं।

  • जागरूकता अभियान चलाकर

यदि प्रत्येक व्यक्ति अपने स्तर पर जागरूकता अभियान चलाएं तो लोगों में पर्यावरण रक्षा को लेकर जागरूकता फैल सकती है। इसके लिए नुक्कड़ नाटक, पोस्टर बैनर लगाकर पर्यावरण के प्रति लोगों को सचेत किया जा सकता है।



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निष्कर्ष

अतः हम कह सकते हैं कि वृक्षों को बचाना काफी जरूरी है क्योंकि इनकी कटाई की वजह से हम विनाश की ओर बढ़ रहे हैं। यदि हम समय रहते इस पर लगाम नहीं लगाते तो पर्यावरण को तो नुकसान होगा ही, साथ ही जन-जीवन को भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। आज वृक्षों की कटाई एक वैश्विक समस्या बन चुकी है इसलिए आवश्यकता है कि समस्त देश इसके लिए कदम उठाए। समस्त देशों की सरकार इस समस्या को दूर करने का एक सामूहिक कदम उठा सकती है। हालांकि इन वृक्षों की कटाई को पूरी तरह से तो बंद नहीं किया जा सकता लेकिन इसमें कमी लाने की ओर कदम जरूर उठाए जा सकते हैं।

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Author:

भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।