HINDI KAVITA: कभी न होगी उन्नति

Last updated on: October 27th, 2020

कभी न होगी उन्नति

जिस देश के समाज के लोगों की
मरती रहेगी बेटियों के लिये मति
नारी शक्ति के अपमान भरे संसार की
कभी नहीं हो सकती उन्नति,

कुंठित मानसिकता का है समाज
बेटियों से बलात्कार का चला है
देश में इक नया रीती और रीवाज
उस पर भी नहीं उठती समाज की
विरोधाभासी आक्रोशित आवाज़
जिसे देखकर चुप खड़ी मौन है

आख़िर ये कौन सी कौम है
जब तक नहीं लाओगे सम्मान
देश की हर बहन बेटियों के प्रति
नारियों के प्रति अपमान भरे
समाज में नहीं हो सकती उन्नति,

कब तक रौंदोगे नारी के जिस्म को
बताओगे चरित्र अपना
तुम किस किस्म को
लाओ तनिक लज्जा
अपनी दृस्टि में
करो कलंकित पाप
न पवित्र सृस्टि में
कुछ नहीं रखा है मति भ्रस्टि में

धिक्कारा नहीं तेरी आत्मा दुस्टि नें
है पाप तेरा ऐसा के प्रायश्चित नहीं
मुकदमा भी तेरा के न्यायोचित नहीं
दामन को तार-तार कर उचित नहीं
हत्यारी सी बनगई क्या तेरी आत्मा

संदेह इसमें शायद किंचित नहीं
जब-जब होगा चीर हरण
नारी शक्ति का जग में
होगी संसार की छति
नारियों के प्रति अपमान भरे
इस समाज की होगी नहीं उन्नति!

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सोनल उमाकांत बादल , कुछ इस तरह अभिसंचित करो अपने व्यक्तित्व की अदा, सुनकर तुम्हारी कविताएं कोई भी हो जाये तुमपर फ़िदा 🙏🏻💐😊