Freedom Fighters Essay in Hindi

Last updated on: January 9th, 2021

स्वतंत्रता सेनानी पर निबंध | Essay on Freedom Fighters

Freedom fighters meaning in Hindi = स्वतंत्रता सेनानी, उन्हें कहते है जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।

आज भारत की आज़ादी को 73 वर्ष हो गए हैं। परंतु आजादी हमको कैसे मिली इस बात को हम में से शायद ही कोई भूल पाया होगा। भारत को आजादी दिलाने के लिए और अंग्रेजों के चंगुल से आजाद करने के लिए लाखों करोड़ों लोग आगे आए थे। लाखों लोगों ने अपनी जाने गवाई । आजादी की इस लड़ाई में कुछ ऐसे धुरंधर थे जिन्होंने बड़े ही साहस और निडरता के साथ देश को आजाद कराने में अपना पूरा जीवन कुर्बान कर दिया। भारत देश के आजादी के इतिहास के पन्नों पर इन स्वतंत्रता सेनानियों का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है।

तो आइए जानते हैं कुछ स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जिन्होंने भारत की आजादी के लिए दिन रात एक कर दिया और अंत में भारत को आजादी दिलाकर अमर हो गए।

स्वतंत्रता सेनानियों का नाम और उनका योगदान हिंदी में (Freedom fighters name and their contribution in Hindi)

चंद्रशेखर आजाद

जन्म- 23 जुलाई, 1906
जन्म स्थान- भाबरा, अलीराजपुर मध्य प्रदेश
मृत्यु- 27 फरवरी, 1931

चंद्रशेखर आजाद जी का जन्म 23 जुलाई 1906 में मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के भाबरा में हुआ था। 14 वर्ष की आयु में ही उन्होंने गांधीजी के असहयोग आंदोलन में भाग लिया। इस आंदोलन के दौरान चंद्रशेखर आजाद को गिरफ्तार कर लिया गया। जज के आगे उन्होंने अपना नाम आजाद, पिता का नाम स्वतंत्रता और जेल को उनका निवास बताया। इस पर उन्हें 15 कोड़ों की सजा सुनाई गई थी, हर कोने पड़ने पर उन्होंने वंदे मातरम और महात्मा गांधी जी की जय का उद्घोष किया।

इसके बाद चंद्रशेखर आजादी के आंदोलन में सोशलिस्ट आर्मी से भी जुड़े। राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में 1925 के काकोरी कांड में भी भाग लिया और पुलिस की आंखों में धूल झोंक कर वहां से भाग निकले।

1920 में लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए उन्होंने सांडर्स पर गोलीबारी भी की। 1930 मई में इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में उन्होंने समाजवादी क्रांति का आह्वान किया। उनका यह कहना था कि वह ब्रिटिश सरकार के आगे कभी घुटने नहीं टेकेगें। 27 फरवरी 1931 को इसी संकल्प को पूरा करने के लिए उन्होंने इलाहाबाद के इसी बाग में स्वम को गोली मार के अपने प्राण भारत माता के लिए त्याग दिये।

ईमानदारी सबसे अच्छी नीति पर निबंध 

मंगलपांडे

जन्म 19 जुलाई, 1827
जन्म स्थान- बलिया, उत्तर प्रदेश
निधन- 8 अप्रैल 1857

मंगल पांडे का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में 19 जुलाई को बलिया, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनके पिता दिवाकर पांडे और माता का नाम अभय रानी था। वर्ष 1849 में वह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना मे भर्ती हुए।

बैरकपुर की सैनिक छावनी में 34 वें बंगाल नेटिव इन्फेंट्री की पैदल सेना में वह एक सिपाही थे। यहां सूअर और गाय की चर्बी वाले राइफल में नई करतूतों का इस्तेमाल होने लगा जिसका सैनिकों ने विद्रोह किया। 9 फरवरी 27 को मंगल पांडे ने यह करतूस इस्तेमाल करने से मना कर दिया। जब अंग्रेज अफसर मेजर ह्युसन ने इनको दूसरी राइफल इस्तेमाल करने से रोका है और जब इनकी राइफल छींननी चाही तो उन्होंने इस अफसर को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया। जिसके लिए मंगल पांडे को 8 अप्रैल 1857 को फांसी की सजा सुनाई गई। 1857 का की क्रांति इसी के विद्रोह में शुरू हुई थी।

भगतसिंह

जन्म- 28 सितंबर, 1907
जन्मस्थान- लायलपुर जिले के बंगा, पंजाब
निधन- 23 मार्च 1931

भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 में पंजाब के लायलपुर जिले के बंगा में हुआ था। उनके पिता का नाम किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती था। केवल 23 वर्ष की आयु में उन्होंने अपने देश के लिए फांसी को हंसते-हंसते गले लगा लिया था। भगत सिंह मार्क्सवादी विचारधारा से बहुत प्रभावित हुए थे। लाला लाजपत राय की मौत ने उनके अंदर आक्रोश भर दिया और वह अंग्रेजों के विरोध में उतर आए। उनकी मौत का बदला भगत सिंह ने ब्रिटिश अधिकारी जॉन सांडर्स की हत्या करके लिया। भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने केंद्रीय विधानसभा मे क्रांतिकारी नारे लगाते हुए बम फेंका था। भगत सिंह पर लाहौर षड्यंत्र का मुकदमा चलने के बाद 23 मार्च 1931 को फांसी की सजा दी गई। फांसी को गले लगाने से पहले उन्होंने इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाए थे।

दहेज प्रथा पर निबंध

पंडित जवाहरलाल नेहरू

जन्म- 14 नवंबर, 1889
जन्म स्थान- इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
मृत्यु- 27 मई 1964

पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म इलाहाबाद में 14 नवंबर 1889 को हुआ था। उनके पिता का नाम पंडित मोतीलाल नेहरु और माता का नाम श्रीमती स्वरूपरानी था। भारत को आजादी दिलाने में पंडित जवाहरलाल नेहरु जी ने बहुत ही अहम भूमिका निभाई थी। महात्मा गांधी जी के साथ उन्होंने भारत के असहयोग आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। वह राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन भारत को स्वतंत्र दिलाने के लिए कुर्बान कर दिया। इस दौरान उन्हे 9 साल की कारावास भी हुई। वह भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप मे भी चुने गए थे (1947-1964)। उन्हें चाचा नेहरू और भारत के वास्तुकार के नाम से भी जाना जाता है।

सुभाष चंद्र बोस

जन्म- 23 जनवरी ,1897
जन्म स्थान- कटक, उड़ीसा
मृत्य- 19 अगस्त 1945

सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 में कटक, उड़ीसा में हुआ था। इनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माता का नाम प्रभावती था। उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। उन्हें नेताजी के नाम से भी जाना जाता था। राष्ट्रीय युवा कांग्रेस के एक बड़े नेता थे और वर्ष 1938 से 1939 मई तक राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान उन्होंने आजाद हिंद फौज का निर्माण किया था। 5 जुलाई 1943 को उन्होंने सिंगापुर के टाउन हॉल में दिल्ली चलो का नारा लगाया था। 18 अगस्त 1945 को जापान जाते समय ताइवान के पास एक हवाई दुर्घटना में नेता जी का निधन हो गया। दुर्घटना के पश्चात उनका शव नहीं मिल पाया था।

भारतीय संविधान पर निबंध

रानी लक्ष्मीबाई

जन्म- 19 नवंबर, 1828
जन्म स्थान- वाराणसी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु- 18 जून 1858

महिला क्रांतिकारियों की गणना की जाए तो उसमें रानी लक्ष्मीबाई का नाम सर्वप्रथम आता है। भारत की वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई ने 1857 की क्रांति में में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके साहस और वीरता की प्रशंसा अंग्रेजों ने भी की थी। 1842 में उनका विवाह झांसी के राजा गंगाधर राव से हुआ था जिसके बाद में झांसी की रानी बन गई थी और उनका नाम लक्ष्मी बाई कर दिया गया। 1853 मे गंगाधर स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण परलोक सिधार गए।

अंग्रेजों से संघर्ष के दौरान उन्होंने एक सेना का संगठन किया जिसमें उन्होंने महिलाओं को युद्ध प्रशिक्षण दिया। वर्ष 1858 में अंग्रेजी सेना ने झांसी पर कब्जा कर लिया। रानी लक्ष्मीबाई अपने पुत्र को लेकर वहां भाग गई और तात्या टोपे और सेना के साथ मिलकर ग्वालियर के एक किले पर कब्ज़ा कर लिया। 17 जून 1958 में ग्वालियर के पास कोटा के सराय में अंग्रेजी सेना से लड़ते लड़ते इन्होंने अपने प्राण त्याग दिये।

महात्मा गांधी

Mahatma Gandhi
Mahatma Gandhi

जन्म- 2 अक्टूबर, 1869
जन्म स्थान- पोरबंदर, काठियावाड़ एजेंसी
निधन-30 जनवरी 1948

हमारे राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर काठियावाड़ एजेंसी (अब गुजरात) में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गांधी ने अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलकर भारत को आजादी दिलवाई। उन्होंने अहिंसा, सच्चाई और राष्ट्रवाद को अपना सिद्धांत बनाया।

उन्होंने वर्ष 1920 में असहयोग आंदोलन, 1930 में नमक सत्याग्रह, 1933 में दलित आंदोलन, 1917 में चंपारण सत्याग्रह, 1980 में खेड़ा सत्याग्रह और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन किये।

उनके आंदोलन में दलितों को न्याय दिलाने, छुआछूत के खिलाफ, नमक पर टैक्स और नील उत्पादन आदि जैसे आंदलनो की आवाज़ पूरे विश्व में गूंजी। इनके नेतृत्व मे वर्ष 1947 में भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजादी प्राप्त हुई। 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर गांधी जी की हत्या कर दी थी।

डॉ भीमराव अंबेडकर

जन्म- 14 अप्रैल, 1891
जन्म स्थान- महू, मध्य प्रदेश
मृत्यु- 6 दिसंबर,1956

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर एक दलित परिवार में हुआ था। आगे जाकर उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया और सभी नीची जाति वालों को ऐसा करने को कहा क्योंकि कम जाति होने के कारण कोई भी उनकी बुद्धिमता को महत्व नहीं देता था। भीमराव अंबेडकर जी ने अपने पूरे जीवन जातिवाद से लड़ने में बिताया। वह भारत संविधान कमेटी के चेयरमैन बने। भारत का संविधान डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने ही लिखा था।

अशफाक उल्ला खान

जन्म- 22 अक्टूबर 1900
जन्म स्थान- उत्तर प्रदेश
मृत्यु- 19 दिसंबर 1927

उर्दू के कवि और भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी अशफाक उल्ला खान एक साहसी और निर्भयी सेनानी थे। काकोरी कांड में मुख्य चेहरा अशफ़ाक़ उल्ला खान का ही था। उनकी विचारधारा थी कि अंग्रेजों को अहिंसा और शांति की नहीं बल्कि जंग और विस्फोट की भाषा समझ आती है। अशफाक उल्ला खान व राम प्रसाद बिस्मिल अच्छे मित्र थे, इन दोनों ने मिलकर काकोरी में ट्रेन लूटने की योजना बनाई थी। वर्ष 1925 में अशफाक उल्ला खान ने राम प्रसाद बिस्मिल व अन्य साथियों के साथ मिलकर ट्रेन से अंग्रेजों का खजाना लूटा था।

निष्कर्ष

हमारे ऐसे ही अन्य बहुत से स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना पूरा जीवन भारत को स्वतंत्रता दिलाने में न्योछावर कर दिया। इस दौरान कइयों को जेल जाना पड़ा, कइयों को अंग्रेजी सेनाओं के जुल्म सहने पड़े, कइयों को फांसी दे दी गई लेकिन उनका एक ही लक्ष्य था- भारत को आजाद कराना और आखिरकार वह इसमें सफल हुए। ऐसे महान सेनानियों को हमारा शत शत नमन।

Author:

आयशा जाफ़री, प्रयागराज