HINDI KAVITA: नब्ज

Last updated on: October 13th, 2020

नब्ज

मैं नेता हूं
मगर मैं दूसरे किस्म का नेता हूं

गली गली नहीं भटकता
जनता की नब्ज नहीं टटोलता,

क्योंकि मुझे खुद से प्यार है
जनता पर क्या एतबार है।

मैं सत्ता के गलियारों में
सत्ता की नब्ज टटोलता हूं ,

सत्ता में रहने के लिए
सूत्र ढूंढता हूं ।

अपनी पार्टी का अध्यक्ष भी हू्ँ
और कार्यकर्ता भी,
मैं खुद पूरी पार्टी हूँ।

ईमान धर्म से मेरा
कोई न नाता है,

जनता की सेवा
मुझे नहीं भाता है।

बस!मैं तो बस
अपनी भलाई चाहता हूँ,

जनता जाये भाड़ में
मैं कुछ नहीं जानता हूँ।

सत्ता के लिये मैं
कुछ भी कर सकता हूँ,

कुर्सी के लिए मैं
नीचे तक गिर सकता हूँ।

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About Author:

सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002