मेरी मातृ भूमि
वो जो शौर्य का शिखर हुयी
वो जो शत्रुओं का डर हुयी
वो काल थी हर काल का
सूरज थी वो स्वराज्य का
जो मिट गयी माटी पे थी
मैं इस माटी की वो बेटी होना चाहती हूँ
हाँ मैं लक्ष्मीबाई होना चाहती हूँ |
वो जो मेरी मातृ भूमि को जान से प्यारा है
वो जो सारे राष्ट्र का सबसे दुलारा है
वो जो इन्क़लाब के नारे पर
अपना सर्वस्व बिछा गया
वो जो फाँसी चूम कर
अंग्रजों का सिंघासन हिला गया
मैं इस माटी का वो बेटा होना चाहती हूँ
हाँ मैं भगत सिंह होना चाहती हूँ |
बन गया जो स्वयं ही ढाल
माटी की रक्षा करने को
मैं वो ढाल होना चाहती हूँ
हाँ मैं चंद्र शेखर सा वो विश्वास होना चाहती हूँ |
सक्षम बनाया राष्ट्र को
दुश्मन से रक्षा के लिये
कर दिया जीवन न्योछावर
राष्ट्र सुरक्षा के लिये
हाँ मैं इस राष्ट्र का गौरव कलाम होना चाहती हूँ।।
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About Author:
मेरा नाम प्रतिभा बाजपेयी है. मैं कई वर्षों से कविता और कहानियाँ लिख रही हूँ, कविता पाठ मेरा Passion है । मैं बी•एड की छात्रा हूँ और सहित्य मे मेरी गहरी रुचि है।
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