परोपकार
संवेदनशील भाव
संवेदनाओं के स्वर
पर उपकार की
निःस्वार्थ भावना
गैरों की चिंता से जोड़कर
स्वेच्छा से सामने वाले की
पीड़ा से/मर्म से
खुद को जोड़ने की कोशिश ही
परोपकार है।
बिना लोभ मोह
अपने पराये के भेद किये बिना
किसी का सहयोग/सहायता ही
तो परोपकार है,
हमारे द्वारा किया गया
परोपकार ही तो
हमारी खुशियों का बेजोड़
आधार है।
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Author:
✍सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002