पंकज त्रिपाठी की जीवनी

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पंकज त्रिपाठी की जीवनी | Pankaj Tripathi Biography in Hindi

पंकज त्रिपाठी की जीवनी | Pankaj Tripathi Biography in Hindi

छोटे शहर से उठकर बड़े पर्दे पर धूम मचाने वाले पंकज त्रिपाठी सभी के लोकप्रिय हो चुके हैं। Gangs of Wasseypur (गैंग्स ऑफ वासेपुर) में एक जानलेवा कसाई की भूमिका निभाकर पंकज त्रिपाठी ने बॉलीवुड इंडस्ट्री में अपना महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है।

कुछ कलाकार ऐसे होते हैं जिनके अभिनय की प्रशंसा हर कोई करता है और वह एक सच्चे कलाकार के रूप में उभरता है। इन्हीं कलाकारों में एक नाम पंकज त्रिपाठी का भी है।

नामपंकज त्रिपाठी
जन्म तिथि5 सितंबर 1976
आयु (2020) (Pankaj Tripathi age)44 वर्ष
जन्म स्थान (पंकज त्रिपाठी कहां के रहने वाले हैं)गांव बेलसंड, बिहार
पिता का नामपंडित बनारस त्रिपाठी
माता का नामहेमवंती देवी
पत्नी का नाम (Pankaj Tripathi wife name)मृदुला त्रिपाठी
बेटी का नाम (Pankaj Tripathi daughter name)अशी त्रिपाठी
भाई-बहन3 भाई, 2 बहन
बच्चेएक बेटी
पेशाअभिनेता
राशिकन्या
राष्ट्रीयताभारतीय
विद्यालयडीपीएच स्कूल, गोपालगंज, बिहार
कॉलेज (Pankaj Tripathi Education)पटना कॉलेज; नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, दिल्ली।
पहली फिल्म (Pankaj Tripathi first movie)रन
पंकज त्रिपाठी नेट वर्थ (Pankaj Tripathi net worth)$5.5 Million (Rs. 40 Crore)
पंकज त्रिपाठी की जीवनी | Pankaj Tripathi Biography in Hindi

पंकज त्रिपाठी का निजी जीवन

पंकज त्रिपाठी का जन्म 5 सितंबर 1976 को बिहार के बेलसंड नामक गांव में हुआ था। उनके पिता पंडित बनारस त्रिपाठी एक किसान थे और माता हेमवंती त्रिपाठी गृहिनी थी। पंकज त्रिपाठी के घर (Pankaj Tripathi family) में उनके माता-पिता के अतिरिक्त 3 भाई और 2 बहन है।

पंकज जी ने बिहार के डी पी एच स्कूल, गोपालगंज में दाखिला लिया। उसके बाद उन्होंने पटना कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की और फिर नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, दिल्ली से ड्रामे की डिग्री भी प्राप्त की।

पंकज ने बताया कि वह बचपन में पेड़ के नीचे बैठकर शिक्षा प्राप्त करते थे। उन्होंने बताया की वह एक पिछड़े गांव से है जहां बिजली तक की सुविधा नहीं थी और न ही स्कूल हुआ करते थे। बचपन मे वह अपने गांव में होने वाले अनेक प्रकार के महोत्सव में भाग लिया करते थे।

इसके साथ ही छठ महोत्सव में वह लड़की की भूमिका निभाया करते थे। 10वीं कक्षा तक पंकज त्रिपाठी फिल्मों से बिल्कुल परिचित नहीं थे क्योंकि उनके गांव में किसी के भी घर में टीवी नहीं था और रंगमंच उनके गांव से लगभग 20 किलोमीटर दूर था।

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पंकज जी के पिता उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे इसलिए उनको आगे की पढ़ाई के लिए पटना भेज दिया। बायोलॉजी से इंटर पास करने के बाद पंकज जी ने मेडिकल के एंट्रेंस की तैयारी कर दी शुरू कर दी। लेकिन दो बार कोशिश करने के बाद भी वह एंट्रेंस नहीं निकाल पाए।

उन्होंने हाजीपुर के एक कॉलेज से होटल मैनेजमेंट का कोर्स किया। अपनी पढ़ाई के दौरान वह छात्र संघ से जुड़े और एक आंदोलन के दौरान उन्हें 7 दिनों के लिए जेल भी जाना पड़ा। इसके बाद वह वाम दल से भी जुड़े। उसी दौरान उन्होंने अपने दोस्त के साथ कालिदास रंग मंच में नाटक देखने के लिए जाने लगे और उनको अभिनय में रुचि होने लगी।

अभिनय में रुचि बढ़ने के कारण उन्होंने बिहार के आर्ट थियेटर में प्रवेश लिया। यहां वह नाटकों में अभिनय करने लगे। अभिनय करने के साथ-साथ उन्होंने दो वर्ष तक पटना के एक होटल में नाइट शिफ्ट में रसोई पर्यवेक्षक में काम करना शुरू कर दिया।

बिहार के आर्ट थिएटर में काम करते हुए उन्हें दिल्ली के ड्रामा स्कूल के बारे में जानकारी मिली। यहां पर दो बार एडमिशन में रिजेक्ट होने के बाद वर्ष 2001 में आखिरकार उन्हें एडमिशन मिल गया। अपनी पढ़ाई के दौरान ही वर्ष 2004 में उनका विवाह हुआ है।

विवाह (पंकज त्रिपाठी मृदुला त्रिपाठी) – 15 जनवरी 2004 को पंकज त्रिपाठी का विवाह मृदुला से हुआ था इनकी पुत्री भी है। इनकी पत्नी मृदुला मुंबई के गोरेगांव में एक स्कूल में शिक्षक है।

उनकी पहली मुलाकात उनकी पत्नी से 1993 में एक विवाह के दौरान हुई थी। पंकज की बहन का विवाह मृदुला के भाई से हुआ था। मृदुला विवाह से पहले कोलकाता में रहती थी और पंकज पटना में। वह वर्ष मे दो बार अपनी बहन से मिलने कोलकाता जाया करते थे और तब मृदुला के साथ भी समय बताया करते थे।

मृदुला बताती है कि वह दोनों साथ में उपन्यास, लिटरेचर और अलग-अलग अभिनय के बारे में देर तक बातें किया करते थे। कुछ समय बाद मृदुला के माता-पिता उनके लिए योग्य वर ढूढ़ने लगे और इस दौरान पंकज और उनके बीच कुछ नोक झोंक भी हुई। आखिरकार 2004 जब पंकज एनएसडी के तीसरे वर्ष में थे तब इन दोनों ने विवाह कर लिया।

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पंकज त्रिपाठी के फिल्मी करियर की शुरुआत

विवाह के बाद भी पंकज रंगमंच पर काम किया करते थे। लेकिन जब उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें जीवन में कुछ बड़ा करना है तो वह अपनी पत्नी को लेकर 2004 में ही मुंबई चले आए। मुंबई आते ही वर्ष 2004 में उन्हें रन नाम की बॉलीवुड फिल्में छोटा सा रोल मिला। इसके बाद उन्होंने फिल्म में और सीरियल में बहुत से छोटे रोल अदा किए।

उन्होंने कुछ तमिल फिल्मों में भी काम किए। 2012 में उन्हें गैंग्स ऑफ वासेपुर मे रोल मिला जिसमें उनकी बहुत प्रशंसा हुई और इसके बाद वह काफ़ी प्रसिद्ध हो गए।

2017 मे आई गुड़गांव नाम की फिल्म में उन्होंने मुख्य अभिनेता के तौर पर अभिनय किया।

उनकी वेब सीरीज सैक्रेड गेम्स, मिर्जापुर, क्रिमिनल जस्टिस के बाद लोगों में बहुत ही लोकप्रिय हो गए। मिर्जापुर वेब सीरीज के बाद उन्हें लोग कालीन भैया के नाम से बुलाने लगे।

पंकज त्रिपाठी फ़िल्में और टीवी शो

पंकज त्रिपाठी के फिल्मों के नाम (Pankaj Tripathi movies)-

2004- रन

2005- अपहरण

2006- ओमकारा

2007- धर्म

2008- शौर्य

2009- चिंटू जी

2010- रावण

2011- Gangs of Wasseypur-1 (गैंग्स ऑफ वासेपुर -1)

2012- Gangs of Wasseypur-2 (गैंग्स ऑफ वासेपुर -2)

2013- फुकरे

2014- गुंडे

2015- मांझी

2016- निल बटे सन्नाटा

2017- न्यूटन

2018- स्त्री

2019- द ताशकंत फाइल्स

पंकज त्रिपाठी के द्वारा की गई वेब सीरीज के नाम (Pankaj Tripathi web series)

(2018) मिर्जापुर

(2018-19) सेक्रेड गेम्स

(2018)- क्रिमिनल जस्टिस

पंकज त्रिपाठी को मिले पुरस्कार

2017- फिल्म न्यूटन के लिए नेशनल फिल्म अवार्ड

कैटेगरी- स्पेशल मेंशन

2017- फिल्म न्यूटन के लिए न्यूज़-18 रील अवॉर्ड्स

कैटेगरी- बेस्ट सर्पोटिंग एक्टर

2018- फिल्म स्त्री के लिए स्क्रीन अवॉर्ड
कैटेगरी- बेस्ट सर्पोटिंग एक्टर

2019- फिल्म स्त्री के लिए ज़ी सिने अवार्ड

कैटेगरी- बेस्ट डायलॉग

2019- मिर्जापुर के लिए आई रील अवॉर्ड्स

कैटेगरी- बेस्ट एक्टर ड्रामा।

पंकज त्रिपाठी जी ने अपने जीवन में बहुत सी कठिनाइयां देखी और बहुत संघर्ष किया। मुंबई आने के बाद उन्हें आर्थिक तंगी भी हुई लेकिन उन्होंने और उनकी पत्नी ने मिलकर सभी कठिनाइयों को पार किया और आज के समय में पंकज त्रिपाठी सबसे लोकप्रिय अभिनेताओं में से एक हैं।

केवल उनके नाम से ही फिल्में हिट हो जाती है। इसमें कोई शक नहीं कि पंकज त्रिपाठी बॉलीवुड के दमदार कलाकारों में से एक है। आशा है अपने दम पर मेहनत करके नाम बनाने वाले पंकज त्रिपाठी आगे भी हमें ऐसे ही बेहतरीन फिल्में देते रहेंगे।

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Author:

आयशा जाफ़री, प्रयागराज