HINDI KAVITA: कुहासा
कुहासा क्या कहूँ? मेरी जीवन में तो हमेशा ही छाया रहता है, बेबसी, लाचारी, भूख का कभी न मिटने वाला कुहासा। औरों का तो छंट भी जाता है मौसमी कुहासा, पर मेरा कुहासा तो छँटने का नाम ही नहीं लेता। ऐसा लगता हैये कुहासा भी जैसेजिद किये बैठा है,जो आया है मेरे जन्म के साथ […]