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विक्रम सेठ की जीवनी | Biography of Vikram Seth in Hindi
भारतीय हिंदी साहित्य में तो अनेकों लेखक है, लेकिन अंग्रेजी में कुछ चुनिंदा लेखक ही है। इन्हीं लेखकों में एक नाम आता है विक्रम सेठ का। विक्रम सेठ एक जाने-माने कवि, उपन्यासकार तथा लेखक है जिन्होंने कई सारे उपन्यास और कविताओं को लिखा है। आइए जानते हैं विक्रम सेठ के जीवन के बारे में।
नाम | विक्रम सेठ |
जन्म स्थान | कोलकाता |
जन्म तिथि | 20 जून, 1952 |
माता का नाम | लीला सेठ |
पिता का नाम | प्रेम सेठ |
विक्रम सेठ का आरंभिक जीवन
विक्रम सेठ 20 जून 1952 में कोलकाता में जन्मे। इनका नाम भारत के प्रसिद्ध कवियों, उपन्यासकारों, यात्रा वृतांत लेखकों तथा जीवनी लेखकों में शुमार है।
उनकी माता का नाम लीला सेठ है जो कि दिल्ली उच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश रह चुकी हैं। बाद में उन्हें हिमाचल प्रदेश में पहली महिला मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।
वहीं उनके पिता का नाम प्रेम सेठ है जो कि बाटा इंडिया लिमिटेड के साथ काम कर चुके हैं। विक्रम सेठ के चाचा का नाम है शांति बिहारी सेठ एवं उनकी चाची का नाम है हेन्नेरले गर्दा कारो। इन दोनों के जीवन पर भी विक्रम सेठ ने एक पुस्तक लिखी है।
विक्रम सेठ कोलकाता के बाटानगर, पश्चिम बंगाल, पटना तथा लंदन सहित कई जगहों में रह चुके हैं। साल 1996 में एंग्लिकन कवि जॉर्ज हर्बर्ट का घर खरीदने के बाद से वह इंग्लैंड एवं नोएडा (माता पिता के साथ) दोनों जगह बारी बारी से निवास करते हैं।
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विक्रम सेठ की शिक्षा
विक्रम सेठ की शुरुआती शिक्षा देहरादून के दून स्कूल में हुई। दून से स्नातक पूरा होने के बाद वे ए–लेवल पूरा करने के लिए इंग्लैंड के टानब्रिज स्कूल में गए। इसके अलावा उन्होंने पटना के सेंट जेवियर्स हाई स्कूल में भी अध्ययन किया।
इसके बाद भी यूनाइटेड किंग्डम के ऑक्सफोर्ड कॉर्पस क्रिस्टी कॉलेज में दर्शन शास्त्र, अर्थशास्त्र और राजनीति शास्त्र पढ़ने गए। स्नातक स्तर की शिक्षा के अलावा उन्होंने पीएचडी लेवल की पढ़ाई की भी कोशिश की।
वह अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र में पी. एच. डी. करने गए लेकिन कभी उन्होंने इसे पूरा नहीं किया। इन सबके बाद उन्होंने चीन में क्लासिकल चीनी कविता का अध्ययन किया जो कि नानजिंग विश्वविद्यालय से हुआ। यहाँ उन्होंने मुख्यत: चीनी भाषा का ही अध्ययन किया है।
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विक्रम सेठ का करियर
विक्रम सेठ ने अपनी पुस्तकों के लिए काफी नाम कमाया। वह एक उपन्यासकार तथा अच्छे कवि के रूप में जाने जाते हैं। विक्रम सेठ के करियर को इन चरणों में समझा जा सकता है:-
- विक्रम सेठ जब अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे थे तभी से उन्होंने कविताओं का लेखन शुरू कर दिया था। इस दौरान उन्होंने ‘मैपिंग्स’ नामक कविता लिखी। जिसे उन्होंने निजी तौर पर प्रकाशित किया इस कविता को 1980 में प्रसिद्धि प्राप्त हुई। इस किताब को न अधिक महत्व मिला न ही इसमें आलोचकों ने कोई विशेष टिप्पणी की।
- 1980 से 1982 तक विक्रम सेठ ने चीन के नानजिंग विश्वविद्यालय में शास्त्रीय चीनी कविता और भाषा की पढ़ाई की।
- उनकी दूसरी किताब 1983 में आई। इस किताब का नाम था ‘फ्रॉम हेवन लेक’। इस किताब में यह विक्रम ने चीन से भारत की अपनी यात्रा के विषय में बताया। इस किताब को भी समीक्षकों से प्रशंसा हासिल हुई। इस किताब के बाद ही विक्रम सेठ एक लेखक के रूप में स्थापित हुए।
- उनकी तीसरी किताब 1885 में आई। इस किताब का नाम था ‘द अंबल एडमिनिस्ट्रेटर्स गार्डन’। इस किताब में भी उन्होंने कविताएं लिखी।
- विक्रम सेठ ने 1986 में एक अन्य उपन्यास निकाला। इस उपन्यास का नाम था ‘द गोल्डन गेट’। उपन्यास होने के बावजूद इस किताब में कविताएं लिखी गई थी। यह एक अद्वितीय पुस्तक इसलिए भी थी क्योंकि इस पुस्तक में सिलीकॉन वैली के लोगों के जीवन के बारे में बताया गया था। यह उपन्यास अलेक्सान्द्र पुश्किन के उपन्यास ‘यूजीने ओनेगिन’ से प्रेरित था। विक्रम की यह किताब काफी प्रसिद्ध हुई तथा साहित्य प्रेस से भी इस किताब को लेकर उन्हें काफी प्रशंसा हासिल हुई।
- 1990 में विक्रम ने एक कविता की किताब लिखी, जिसका नाम था ‘ऑल यू हु स्लीप टुनाइट’।
- 1992 में भी उन्होंने एक अन्य कविता की पुस्तक ‘थ्री चाइनीस पोएट्स’ लिखी।
- साल 1993 में उनकी एक कविता ‘अ सूटेबल बॉय’ आई जिसे सबसे अधिक प्रसिद्धि हासिल हुई। इस किताब में एक परिवार का जिक्र किया गया है जो कि स्वतंत्रता मिलने के बाद कैसे जीवन व्यतीत करता है। यह किताब कुल 1349 पन्नों की है तथा अंग्रेजी के लंबी की किताबों में से एक है। इस किताब में भी 1952 तक के चुनाव राजनीतिक मुद्दों के बारे में बताया गया है। यह किताब रिचर्ड्सन की किताब ‘क्लैरिसा’ जितनी लंबी किताब मानी जाती है।
- साल 1994 में उनकी एक किताब आई, जिसका नाम था ‘द फ्रॉग एंड नाइटिंगेल’।
- साल 1999 में उनका एक उपन्यास प्रकाशित किया गया जिसका नाम था ‘एन इक्वल म्यूजिक’। इस उपन्यास में उल्लेखित कहानी एक पेशेवर वायलिन बजाने वाले माइकल तथा जूलिया की है। संगीत के प्रशंसकों ने इस उपन्यास की काफी सराहना की। वहीं विक्रम के संगीत को लेकर सटीकता की भी तारीफ हुई।
- साल 2005 में उनकी किताब ‘टू लाइव्स’ आई। यह किताब उनके अपने चाचा शांति बिहारी सेठ एवम उनकी जर्मन यहूदी चाची हेन्नेरले गर्दा कारो के जीवन पर आधारित है।
- विक्रम सेठ ने ‘अ सूटेबल बॉय’ के अगले भाग के अनुक्रम पर काम किया जिसे 2016 ‘अ सूटेबल गर्ल’ के नाम से प्रकाशित किया गया।
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विक्रम सेठ को इन पुरस्कारों से नवाजा गया
- 1983 में उन्हें थॉमस कुक ट्रैवल बुक अवार्ड मिला। यह अवार्ड उन्हें ‘फ्रॉम हेवन लेक: ट्रैवल्स थ्रू सिकियांग एंड तिब्बत’ के लिए मिला।
- साल 1985 में उन्हें उनकी पुस्तक ‘हंबल एडमिनिस्ट्रेटर्स गार्डन’ के लिए कॉमनवेल्थ पोएट्री प्राइज़ (एशिया) से सम्मानित किया गया।
- साल 1988 में उन्हें साहित्य अकैडमी अवॉर्ड दिया गया जो कि उनकी पुस्तक ‘द गोल्डन गेट’ के लिए था।
- साल 1993 में उन्हें उनके सबसे प्रसिद्ध पुस्तक ‘अ सूटेबल बॉय’ के लिए आइरिश टाइम्स इंटरनेशनल फिक्शन प्राइज़ (शॉर्टलिस्ट) मिला।
- 1994 में भी उन्हें ‘अ सूटेबल बॉय’ के लिए कॉमनवेल्थ राइटर्स प्राइज़ (सर्वश्रेष्ठ किताब) से नवाज़ा गया। इसी साल उन्हें इसी पुस्तक के लिए डब्ल्यू एच स्मिथ लिटरेरी अवॉर्ड भी मिला।
- 1999 में उन्हें “एन इक्वल म्यूजिक“ पुस्तक के लिए क्रॉसवर्ड बुक अवार्ड से नवाजा गया।
- साल 2001 में उन्हें ऑफिसर के लिए ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर मिला। इसी साल उन्हें एन इक्वल म्यूजिक के लिए भी उन्हें ईएमएमए (बीटी एथनिक एंड मल्टीकल्चरल मीडिया अवार्ड) मिला।
- साल 2005 में उन्हें प्रवासी भारतीय सम्मान प्राप्त हुआ।
- साल 2007 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
- उन्हें 2013 में भारत के 25 महान वैश्विक महापुरुषों की सूची में शामिल किया गया।
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विक्रम सेठ ने अपने करियर में कई तरह की किताबें लिखी है उन्होंने बच्चों की कथाएं, सत्यकथा, कविताएं व उपन्यास आदि लिखें। उनकी कई किताबों में प्रसिद्धि हासिल की जिनमें ‘A Suitable Boy (ए सूटेबल बॉय)’ का नाम उल्लेखनीय है।
विक्रम सेठ के बारे में एक अन्य महत्वपूर्ण बात यह है कि वह समलैंगिकता के प्रबल समर्थक हैं तथा वे स्वयं भी एक समलैंगिक हैं। उन्होंने इस बात को खुलकर स्वीकारा भी है। उनका कहना है कि प्रेम में लिंग, रंग तथा किसी भी प्रकार का भेद मायने नहीं रखता, सिर्फ प्रेम मायने रखता है।
Author:
भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।